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मेले में वनवासियों की जुटी भीड़

कार्यक्रम . बंगालगढ़ मैदान में दो दिवसीय शहीद स्मृति मेला आयोजित दादीबगीचा से कार्यक्रम स्थल तक किया पैदल परिभ्रमण कटोरिया : हमारे शोषित समाज के लिए शहादत देने वाले क्रांतिकारी साथियों की स्मृति में शहीद स्मृति मेला का आयोजन किया गया है. हम सभी उनके बताये हुए आदर्शों पर चलने का संकल्प लें. शोषित खैरा, […]

कार्यक्रम . बंगालगढ़ मैदान में दो दिवसीय शहीद स्मृति मेला आयोजित

दादीबगीचा से कार्यक्रम स्थल तक किया पैदल परिभ्रमण
कटोरिया : हमारे शोषित समाज के लिए शहादत देने वाले क्रांतिकारी साथियों की स्मृति में शहीद स्मृति मेला का आयोजन किया गया है. हम सभी उनके बताये हुए आदर्शों पर चलने का संकल्प लें. शोषित खैरा, आदिवासी, दलित व अन्य संगठनों को कोर्डिनेट करते हुए संघर्ष को लेकर आपसी सलाह मशविरा करना ही हमारा मुख्य उद्येश्य है. उक्त बातें भारत जनपहल मंच बिहार इकाई के समन्वयक पुकार ने बंगालगढ़ मैदान में आयोजित दो दिवसीय शहीद स्मृति मेला को संबोधित करते हुए कही.
उन्होंने केंद्र व राज्य सरकार द्वारा शोषित वनवासी व आदिवासी लोगों पर पुलिसिया दमन एवं सरकारी दमन का पुरजोर विरोध करने का संकल्प लेते हुए संघर्ष के लिए एकजुट होने का आहृवान किया. अंध राष्ट्रभक्त के नाम पर लोगों को गुमराह कर आतंकित करने के मंसूबों को गरीब, किसान व शोषित लोग कभी पूरा नहीं होने देंगे.
चाहे इसके लिए जान भी क्यों ना देनी पड़े. शहीद स्मृति मेला की अध्यक्षता कमली बहन एवं संचालन भारत जनपहल मंच के समन्वयक पुकार ने की. इस मौके पर खैरा लोक मंच के सचिव सन्नू खैरा, प्रतिशील दलित संघर्ष मंच के नंदकिशोर दास, जनजाति अधिकार रक्षा मंच के मदन मुर्मू, प्रगतिशील महिला मंच की हीरामनि हेंब्रम, बिहार किसान संघर्ष संघ के कॉमरेड विनोद, बीएसए छात्र संगठन के सुरेश खैरा, नगीना राय के अलावा बिहार, उत्तरप्रदेश व झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों से काफी संख्या में वनवासी व आदिवासी शरीक हुए.
शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण
दो दिवसीय शहीद स्मृति मेला का शुभारंभ कटोरिया बाजार के देवघर रोड स्थित दादी बगीचा से बंगालगढ़ गांव तक भव्य जुलूस निकाला गया. जिसमें करीब दो हजार की संख्या में महिला-पुरूष ढोल-नगाड़ा के अलावे पारंपरिक हथियार तीर-धनुष, कुल्हाड़ी, फरसा आदि से लैश थे. इस क्रम में ‘शोषित समाज के लिए शहादत देने वाले सभी साथियों को लाल-सलाम’, ‘यह आजादी झूठी है, जब गरीब जनता ही भूखी है’, ‘जल, जंगल, जमीन पर किसका अधिकार,
जंगलवासी का अधिकार’, ‘आदिवासी, खैरा जाति व वनवासी जिंदाबाद’ आदि के नारे भी लगाये गये. इसके बाद कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित अतिथियों के हाथों मशाल जलाया गया. फिर भगत सिंह, बिरसा-मुंडा, तिलकामांझी व सिद्धू-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.
क्रांतिकारी गीतों का हुआ गायन
बंगालगढ़ के मंच पर गुरूवार को मेहनतकश, उत्पीडि़त व संघर्षरत जनता की स्थिति को उजागर करने व उनमें जीवन-शक्ति भरने हेतु रात भर कार्यक्रमों का दौर चलता रहा. कविता, नाटक, कला-प्रदर्शन व भाषण के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान होता रहा. इस क्रम में यूपी के रजलू द्वारा प्रस्तुत कॉमरेड श्रीकांत के गीत ‘अमर रहे कॉमरेड श्रीकांत जी, लेलो हमारी लाल-सलाम, विद्यार्थी जीवन से ही थामा झंडा, ना झुका है, ना झुकने दिया है लाल झंडा’ पर खूब तालियां बजी.

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