शहर के आसपास बसे गांवों के किसानों के सामने सिंचाई को लेकर बार-बार समस्या उत्पन्न होती है. हालांकि, शहर की सीमा से होकर ही दो नदियां बहती हैं, लेकिन, नदी और नहर अतिक्रमित हैं. किसान परेशान हैं. जिला प्रशासन इस मामले को संज्ञान में नहीं ले रहा है.
बांका : बांका जिला मुख्यालय होते हुए ओढ़नी और चांदन नदी गुजरती है जबकि शहर के बीचों बीच जोर नदी बहती है. जबकि शहर से सटे सैजपुर, करहरिया, नौनिहारी, विषनपुर, कर्मा, जोगडिहा, रैनिया, शंकरपुर, दोउदा, मसुरिया सहित कई गांव है जहां किसान बसते है. यहां के अधिकांश लोगों का रोजगार खेती है. लेकिन फिर भी उनको सिंचाई के लिए माथापच्ची करना पड़ता है. इसकी मुख्य वजह नदियों से बेतरतीब बालू उठाव व जोर नदी का अतिक्रमण करना है. इसके अलावे कई नहर और डाढ़ में गाद भरी हुई है. जिस वजह से किसानों के खेतों तक सिंचाई का पानी नहीं पहुंच पाता है.
कई बार किसान कर चुके हैं प्रदर्शन
नदियों से बेतरतीब बालू उठाव को लेकर कई बार पूरे जिले भर के किसानों के द्वारा प्रदर्शन किया गया है. मुख्यालय पर धरना से लेकर प्रखंड मुख्यालय में आमरण अनशन भी होता रहा है लेकिन फिर भी जिला प्रशासन किसानों की मांगों को अनदेखी करता रहा है.
नियम के अनुसार बालू माफिया नदियों से मात्र दस फीट तक ही बालू का उठाव कर सकते है लेकिन यहां नियम के विरुद्ध बालू का उठाव होता है. जिसकी वजह से नदीयां गहरी होती जा रही है और नहर का मुंह लगातार ऊंचा होता जा रहा है. नहर का मुंह उठा होने के कारण नदियों में आने वाला पानी नहर के माध्यम से किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पाता है. मजबूरन किसानों को पंपसेट व आस पास के तलाबों के पानी से ही अपने खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है.
नहरों में जम चुकी है गाद
पिछले कई सालों से नहरों की सफाई नहीं होने की वजह से उसमें मोटी गाद जमी हुई है. साथ ही नहर जिर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है. जिसकी वजह से जब नहरों में पानी आता है तो वह या तो टूटे हुए भाग से बह जाता है या फिर गाद मोटी रहने की वजह से जरूरतमंद किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पाता है.
बिंडी, गोलाहू, कर्मा, शंकरपुर, विषणपुर सहित अन्य गांवों के किसानों के द्वारा गाद की सफाई के लिए कई बार आवेदन भी दे चुके है लेकिन फिर भी अब तक नहरों की सफाई नहीं हुई है.