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कुडरो रो दसे दिनों में नक्से बदली गेलै रे भाय, आरू हमरो गांव में सड़कों नय

बांका : कुडरो में दसे दिनों में स्कूल चकाचक होय गेलय. स्कूली में भवन बनी गेलय. बाड्री पर तार लगी गेलय. औरो त औरो खाली स्कूली में 12-15 गो भेपर लगी गेलय. सड़को चकचकाय गेलय. दसे दिनों में सड़क बनी गेलय. पशु अस्पताल बनलै. सबभे घरों में पाईपो से पानी आव लगलै. नाटलो तक ऐगो […]

बांका : कुडरो में दसे दिनों में स्कूल चकाचक होय गेलय. स्कूली में भवन बनी गेलय. बाड्री पर तार लगी गेलय. औरो त औरो खाली स्कूली में 12-15 गो भेपर लगी गेलय. सड़को चकचकाय गेलय. दसे दिनों में सड़क बनी गेलय. पशु अस्पताल बनलै. सबभे घरों में पाईपो से पानी आव लगलै. नाटलो तक ऐगो हममी सबनी जे गांवों में आवैलै रोडों ना छैय. हेकरे कहे छैय सरकार और सरकारों रो आदमी. हय गांवों से विधायक छैयले तअ मुख्यमंत्री आबी गयले और वहीं पंचायतों में हममे सब छिये तय कुछो नय.

उक्त बातें कुडरो पंचायत के सिंहेश्वरी गांव पहुंचे उसी पंचायत के अल्पसंख्यक गांव अमर बडेल के ग्रामीण बोल रहे थे. ग्रामीणों का कहना था कि अगर सरकार चाह ले तो बिकास की किरण कहीं भी पहुंच सकती है और वो भी कभी भी. दस दिन पूर्व जो गांव विरान दिखता था आज वहां चमन है. घर-घर में जल का नल लग गया है. लोग आराम से उस पानी का उपयोग कर रहे है. उनके गांव तक पहुंचने के लिए नई सड़क बन गयी. कुडरो का जो विद्यालय टूटा हुआ था वह पूरी तरह से ठीक हो गया. विद्यालय में नयी भवन बन गयी. चार दिवासी बनाकर उस पर तार लगा दिया गया. विद्यालय के सभी भवनों के चारों कोने पर भेपर लगा दिया गया.
बिजली विभाग से लेकर आधार केंद्र, गव्य विकास से लेकर इंदिरा आवास, शौचालय से लेकर सड़कों किनारे फुल और पौधे लगाकर शहर सा नजारा बना दिया है. ऐसा कोई विभाग नहीं होगा जो उस गांव में अपनी नजरों की इनायत नहीं की होगी.
ग्रामीण इकबाल, मनीर, अकरम, लुकमान, समसीर, अब्दुल आदि ने बताया कि उनका गांव भी इसी पंचातय के तहत आता है. लेकिन वहां पर विकास की कोई किरण नहीं पहुंची है. विद्यालय टूटा हुआ है. 24 केबी के ट्रांसफार्मर से पूरे गांव में बिजली की आपूर्ति होती है.
पीने के पानी का समुचित साधन नहीं है. लोग किसी प्रकार से अपनी जिंदगी व्यतित कर रहे है. जितना विकास इस गांव का हुआ अगर उसका एक प्रतिशत विकास भी उसने गांव का हो जाता तो हम अल्पसंख्यकों की स्थिति कुछ और हेाती.

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