बांका : राज्य सरकार के तमाम दावों और तैयारियों के बावजूद बांका सदर अस्पताल की स्थिति संतोषजनक नहीं है. संसाधनों के कमी का आलम यह है कि अक्सर यहां के मरीज रेफर कर दिये जाते हैं. जबकि यह सदर अस्पताल है. सरकार लगातार दावे कर रही है कि लोगों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाएं काफी उन्नत हैं. अस्पताल में मरीजों को 148 प्रकार की दवाई के साथ साथ बेहतर चिकित्सीय सुविधा दी जा रही है.
लेकिन जमीनी हकीकत देखना हो तो आप बांका सदर अस्पताल पहुंच सकते हैं. यहां पर एक सिस्टम रेफर प्रणाली काफी अच्छी तरह से फल फुल रही है जो मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद दे दिया जाता है.
कर्मियों की हुई बहाली लेकिन नहीं बदला सिस्टम: अगर पिछले छह महीने से वर्तमान स्थिति का जायजा ले तो अस्पताल में कर्मियों की बहाली हुई है. ए ग्रेड नर्स से लेकर चिकित्सक दोनों की संख्या में बढ़ोतरी हुई. सूबे की सरकार के द्वारा अस्पताल में मैन पावर इसलिए बढ़ाया गया ताकि मरीजों को उत्तम सेवा मिल सके. लेकिन अभी भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. अगर चिकित्सक बाह्य विभाग में मरीजों को देख रहे है और तभी इमरजेंसी में कोई मरीज आ गया तो वहीं चिकित्सक मरीजों को देखना छोड़ इमरजेंसी के मरीजों को देखने जाते है. फिर अगर उसी वक्त कोई दूसरा मरीज भी इमरजेंसी में आ गया तो चिकित्सक खुद बीमार होने लगते है. ऐसे में रेफर प्रणाली काम करने लगती है.
राम भरोसे हैं रात्रिकालीन सेवा: सबसे विकट स्थिति तो रात में उत्पन्न हो जाती है जब सदर अस्पताल राम भरोसे चलता है. इस वक्त अस्पताल में ना तो कर्मी ही मिलते है और ना ही चिकित्सक. अगर चिकित्सक मिल भी गये तो उनका रामायण मरीजों को सूनना पड़ता है. वहीं रात्रि सेवा में महिला चिकित्सक नहीं के बराबर ही रहती है. ऐसे में अगर किसी प्रसूता की स्थिति गड़बड़ाती है तो उनको भागलपुर रेफर कर दिया जाता है.
कहते हैं सीएस
अस्पताल की स्थिति लगातार सुधर रही है. चिकित्सक अब 24 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं. गंभीर स्थिति को देखते हुए मरीजों को रेफर किया जाता है.
सुधीर कुमार महतो, सीएस, बांका