aआग लगी, तो होंगे असहाय. भगवान भरोसे है जिले का अग्निशमन केंद्र
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नहीं है पानी, कैसे बुझेगी आग
aआग लगी, तो होंगे असहाय. भगवान भरोसे है जिले का अग्निशमन केंद्र चंदन कुमार बांका : बांका जिले में अग्निशमन व्यवस्था भगवान भरोसे है. कहने को यहां अग्निशामक कार्यालय और कथित तौर पर लाव लश्कर भी हैं लेकिन इनकी क्या हालत है यह इन्हें देखने से ही स्पष्ट हो जाता है. अपना दफ्तर, निवास एवं […]
चंदन कुमार
बांका : बांका जिले में अग्निशमन व्यवस्था भगवान भरोसे है. कहने को यहां अग्निशामक कार्यालय और कथित तौर पर लाव लश्कर भी हैं लेकिन इनकी क्या हालत है यह इन्हें देखने से ही स्पष्ट हो जाता है. अपना दफ्तर, निवास एवं संसाधन से विहीन अग्निशमन कर्मचारी किस हाल में यहां सेवा कर रहे है यह उनकी स्थिति में पहुंचकर ही सहजता से समझा जा सकता है.
बांका प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थित मनरेगा भवन के एक हिस्से में किसी तरह जिले का अग्निशमन कार्यालय चल रहा है. एक कमरे और एक बरामदे वाला यह भवन किसी जेल से कम नहीं. कमरे में दो विभागीय कार्यालय चलता है. रहने के लिए कर्मचारियों को सिर्फ बरामदा नसीब है. इसी बरामदे पर उनका रहना, खाना पीना एवं सोना होता है. अग्निशमन कर्मचारियों के लिए शौचालय एवं स्नानागार तक की व्यवस्था नहीं है.
पानी तक का नहीं है इंतजाम
स्थानीय अग्निशमन ईकाई का रोना यह भी हैकि इसके लिए स्वतंत्र जल संसाधन नहीं है. कायदे से इसके लिए एक विभागीय बोरिंग और नलकूप होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं है. जरूरत पड़ने पर ये किसी नदी तालाब या पीएचईडी के पाईप लाईन से पानी प्राप्त करते हैं. उनके पाईप क्षतिग्रस्त हैं. पांच में से जो दो दमकल चालू हालत में हैं उनमें भी मिनी दमकल की बैटरी पिछले दो माह से खराब है. इस दमकल को धक्का देकर स्टार्ट करना पड़ता है.
मैन पावर भी तो नहीं है
संसाधनों के सिलसिले में बांका अग्निशमन ईकाई के पास मैन पावर का भी अभाव है. गिनती के कर्मचारियों के भरोसे यह ईकाई चल रही है. इस ईकाई के पास फिलहाल 2 चालक, 4 गृहरक्षक तथा 1 – 1 अग्निक सहायक एवं प्रधान चालक हैं. अग्निशामक पदाधिकारी का पद यहां रिक्त है. जबकि कायदे से प्रत्येक दमकल के पीछे 4 अग्निक, 1 हवलदार, 1 चालक एवं 1 अग्निक पदाधिकारी होने चाहिए.
खस्ताहाल में हैं संसाधन
संसाधनों के नाम पर बांका अग्निशमन ईकाई को पांच दमकल मिले हैं. इनमें से तीन पिछले दो वर्षो से खराप पड़े हैं. दस्ते में शामिल पांच दमकलों में से 3 बड़े और 2 छोटे दमकल हैं. फिलहाल एक बड़े और एक छोटे दमकल के भरोसे जिले के आधे हिस्से में आग बुझाने की जिम्मेदारी दस्ते के उपर है.
खराब पड़े तीन दमकलों को ठीक कर चालू कराने के लिए स्थानीय अग्निशमन प्रभारी द्वारा पिछले 2 वर्षो से विभागीय उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया जा रहा है. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. और खराब पड़े दमकल जस के तस पड़े हुए हैं.
फिर भी कंधे पर है बड़ी जिम्मेदारी
यह स्थिति तब है जबकि 11 प्रखंडों वाले बांका जिले के शंभुगंज, बेलहर, फुल्लीडुमर, अमरपुर तथा बांका सदर में आग बुझाने की जिम्मेदारी इनके पास है. इस कमांड क्षेत्र में वर्ष 2016 के दौरान अब तक 11 अग्निकांडों पर स्थानीय दस्ते ने काबू पाया तो अपनी जीवटता और कर्तव्य पारायणता से.
वरना संसाधनों का तो भगवान ही मालिक. वर्ष 2015 में भी इन दस्तों ने 41 अग्निकांडों पर काबू पाया था. हद तो यह है कि अग्निशामक केन्द्र में सरकारी तौर पर लगा टेलिफोन (नंबर 06424-223896) तीन साल से खराब है. इसे ठीक कराने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई. लिहाजा अग्निकांडों की स्थिति में सूचना कर्मियों के निजी मोबाईल पर दी जा सकती है जो हर जगह हर किसी के पास उपलब्ध नहीं है.
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