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शहरीकरण में समा गयी लघु सिंचाई योजना

शहरीकरण में समा गयी लघु सिंचाई योजना फोटो 24 बांका 1 प्लांट की तसवीर – जिले के अधिकांश जगहों में सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं किसान.- गांवों को जरूरत है योजना की.बांका: जिला मुख्यालय स्थित कई लघु सिंचाई योजना शहरीकरण के कारण अपना अस्तित्व खोती जा रही है. विभाग में कार्यरत कनीय अभियंता […]

शहरीकरण में समा गयी लघु सिंचाई योजना फोटो 24 बांका 1 प्लांट की तसवीर – जिले के अधिकांश जगहों में सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं किसान.- गांवों को जरूरत है योजना की.बांका: जिला मुख्यालय स्थित कई लघु सिंचाई योजना शहरीकरण के कारण अपना अस्तित्व खोती जा रही है. विभाग में कार्यरत कनीय अभियंता आशीष रंजन से मिली जानकारी के अनुसार जल संसाधन विभाग द्वारा 1984 के करीब जिले में लघु सिंचाई योजना के तहत फसल के पटवन हेतु चार जगहों पर प्लांट लगाया गया था, जो ओढ़नी से नदी से पानी लेकर पटवन के लिए सप्लाई करता था. इसमें बाबूटोला ईदगाह के समीप, विजय नगर सेंट जोसेफ स्कूल के समीप, जगतपुर आदि के समीप प्लांट लगाया गया था. जहां-जहां प्लांट लगाया गया था, उस वक्त उक्त स्थल पर खेती की जा रही थी. बांका को जिला का दर्जा नहीं मिला था. 1991 में बांका को जिला का दर्जा मिला, तब से बांका की आबादी तेजी से बढ़ने लगी. ऐसे में यह प्लांट तीन जगहों पर बंद हो चुका है. कारण यही रहा है कि उक्त स्थल पर कई व्यक्तियों ने जमीन की खरीदारी की और घर बना लिया. भूस्वामी खुद का घर भी बना रहे हैं. फिलहाल सेंट जोसेफ स्कूल के पास विभाग का एक प्लांट जिंदा है. उक्त स्थल पर भी रेलवे लाइन बिछाया जा चुका है. लोग मकान बना रहे हैं. ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि गांव के किसान आज धान को बचाने के लिए पानी के लिए तरस रहे हैं. अगर यह योजना सरकार गांव में भी लागू करती तो जिले के किसान इस योजना का लाभ उठा पाते. जिले में सिंचाई के अभाव में सूख राह है धान की फसल बांका: जिले में कई जगहों पर धान की फसल पानी के अभाव में सूख रही है. इससे किसानों में नाराजगी है. उन्हें धान की सिंचाई के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाली डीजल अनुदान की राशि भी फिलहाल नहीं मिल रही हैं. जिले में इस बार धान की रोपनी लगभग 90 प्रतिशत हुई है. फुल्लीडुमर प्रखंड के नाढ़ा पहाड निवासी हरि यादव, कृष्ण कुमार, महेंद्र राय, शिव शंकर यादव ने बताया कि रोपनी के समय में भी पंप सेट चला कर पानी दिया था. अब पानी के अभाव में धान सूख रहा है. सिंचाई के अभाव में हर वर्ष धान की फसल में क्षति पहुंच रही है. इन किसानों का कहना था कि सिंचाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था हो, सरकार की ओर से सिंचाई के लिए मिलने वाली डीजल अनुदान की राशि जिला प्रशासन ससमय मुहैया कराये, तो जिले के किसान विकास की भागीदारी में पीछे नहीं रहेंगे. कहते हैं अधिकारीजिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि इस महीने के अंतिम तारीख तक आवेदन लिये जा रहे हैं. आवेदन मिलने के बाद विभाग को भेजा जायेगा.

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