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संटू का शव तिरंगा से लिपटा देख दहाड़ मार कर रो पड़े परिजन

संटू का शव तिरंगा से लिपटा देख दहाड़ मार कर रो पड़े परिजन फोटो 17 बांका 3 आर्मी के शव काे सलामी देते जवान, 4 शव को कंधा देते जवान, 5 शव को देखने के लिए उमड़े लोग. बहन शव को पकड़ कर कह रही थी नींद में हैं भइया अभी उठ जायेंगे. शव को […]

संटू का शव तिरंगा से लिपटा देख दहाड़ मार कर रो पड़े परिजन फोटो 17 बांका 3 आर्मी के शव काे सलामी देते जवान, 4 शव को कंधा देते जवान, 5 शव को देखने के लिए उमड़े लोग. बहन शव को पकड़ कर कह रही थी नींद में हैं भइया अभी उठ जायेंगे. शव को देखते ही दौड़ पड़े ग्रामीण संटू की पत्नी अपने नवजात को गोद में लेकर पति को आंख खोल कर पुत्र का मुंह देखने की बात कह रही थी शनिवार को संटू के छोटे भाई ने सुलतानगंज स्थित श्मशान घाट पर दी मुखाग्नि प्रतिनिधि, बांका/शंभुगंज शंभुगंज थाना क्षेत्र के रामचुआ गांव निवासी आर्मी संटू का शव शुक्रवार की देर रात जैसे ही गांव पहुंचा उन्हें देखने के लिए गांव सहित पूरे सात पट्टी के लोग घंटों पहले से मृतक के घर के सामने खड़े थे. मालूम हो कि विगत 14 अक्तूबर को ड्यूटी पर ही संटू की मौत हो जाने की सूचना परिजनों को मिली थी. मौत की खबर सुनते ही मृतक के परिजन सहित पूरे गांव में मातम का माहौल बना हुआ था. इधर संटू की पत्नी रुपम देवी, पिता सुबोध सिंह, माता सुनीता देवी सहित पूरे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल था. परिजन अपने मृत पुत्र का मुंह देखने के लिए पागल की तरह कर रहे थे. शुक्रवार की देर शाम आर्मी के शव को लेकर तोपखाना लद्दाख के सुबेदार रघुवीर सिंह दानापुर के जीसीओ प्रकाश कुमार वर्मा अपने जवान के साथ शव को लेकर रामचुआ गांव पहुंचे. रात करीब 10: 30 बजे शव जब गांव पहुंचे तो आस-पास के लोग दौड़ पड़े. वहीं घंटों से शव को देखने इंतजार कर रहे पूरे सात पट्टी के लोगों की भीड़ जमा हो गयी, लेकिन कागजी प्रक्रिया पूरी करने को लेकर कुछ समय तक शव पुलिस के वाहन पर पड़ा रहा. इसके बाद मृतक के पिता सहित परिजनों का हस्ताक्षर कराने के बाद पुलिस ने शव को परिजन को सौंप दिया. ताबूत में तिरंगा लपेटा संटू का शव देखते ही परिजन दहाड़ मार कर रोने लगे. आर्मी की मां, पत्नी रह-रह कर बेहोश हुए जा रहे थे. आस-पास के लोग परिजनों को संभालते हुए सांत्वना दे रहे थे. इस घटना को देख कर ग्रामीणों के भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था. शनिवार की सुबह शव को लेकर आये जवान ने शव को सलामी दी. इसके बाद ग्रामीण व परिजन शव को दाह संस्कार के लिए सुलतानगंज स्थित गंगा घाट ले गये. घाट पर मृतक के छोटे भाई आशुतोष कुमार ने अपने भाई को मुखाग्नि दी. भईया को कुछ नहीं हुआ है वो नींद में हैं : बहन शुक्रवार की देर शाम संटू का शव जब घर पर पहुंचा तो स्थानीय लोग दौड़ पड़े. जहां तिरंगे कपड़े में शव को लिपटा देख कर बहन चांदनी कुमारी, गुड़िया कुमारी सहित भाई शव को पकड़ कर फुट-फुट कर रो रहे थे. बहन ने संटू के शव को पकड़ कर चिल्ला रही थी और कह रही थी कि भईया को कुछ नहीं हुआ है वो अभी नींद में सोये हुए हैं. वहीं संटू की पत्नी रुपम देवी अपने नवजात को गोद में लेकर पति को आंख खोलने की बात कहते हुए अपने पुत्र का मुंह देखने की बात कह रही थी. लोगों से हंस कर बात करते थे संटू संटू की नौकरी आर्मी में लगने के बाद 2014 में उन्होंने बगल के गुलनी गांव निवासी विभाष कुमार सिंह की पुत्री रुपम कुमारी के साथ आदर्श शादी की थी. पिछले माह रुपम को संतान की प्राप्ति हुई थी. इसे लेकर संटू ने अपने परिजन सहित दोस्त को फोन पर जल्द ही घर आने की बात कही थी. लेकिन अचानक बीमार पड़ने से ड्यूटी पर ही संटू की मौत हो गयी. इस संबंध में संटू के कई साथी व ग्रामीणों ने बताया कि संटू कभी गुस्से में नहीं रहता था. वो सभी लोगों से हंस कर ही बात करते थे. साथ ही बचपन से ही बड़ा तेज व साहसी लड़का था जो आज हम लोगों के बीच नहीं रहा. मातम में डूबा सात पट्टी एक ओर जहां दुर्गा पूजा को लेकर लोग बड़ी ही उत्साहित में देखने को मिलते हैं. वहीं रामचुआ गांव में आर्मी संटू की मौत के बाद गांव मातम में डूबा हुआ है. शनिवार को संटू के शव यात्रा में पूरे सात पट्टी के लोग शामिल हुए. इसके बाद शव को लेकर आये जवानों ने सलामी देते हुए अंतिम संस्कार के लिए सुलतानगंज गंगा घाट स्थित श्मशान घाट के लिए भेजा. इस दौरान सैकड़ों ग्रामीणों ने आर्मी को सलामी दिया. इसे लेकर पूरे गांव में अभी भी मातम का माहौल है. लोग संटू के बारे में तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं. धूमधाम से बहन का हाथ पीला करने का बात सोच रखा था संटू ने आर्मी भाई व बहन में सबसे बड़ा था जो अपने घर में अभिभावक के रूप में हर काम के बारे में सोचते रहता था. संटू की नौकरी लगने के बाद वो अपनी बहन की शादी बड़ी ही धूम-धाम करने की बात करते थे. वो ड्यूटी पर रहने के बाद भी प्रतिदिन अपने परिजन व बहन से बात कर घर की जानकारी रखते थे. वो जब ड्यूटी से घर आते थे तो बहन को हंसते हुए कहते थे कि तुम्हारी शादी धूम धाम से करेंगे. शायद यह विधाता को मंजूर नहीं था जो बहन का हाथ पीला नहीं कर पाये.

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