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गिरिडीह की दुर्गा का भतकुंडी में वास

इस साल नवरात्रि मंगलवार 13 अक्तूबर से आरंभ हो रही है. इसे लेकर मंदिरों की साफ-सफाई सहित रंग-रोगन का कार्य आरंभ है, साथ ही मूर्ति निर्माण के लिए कलाकार रात दिन-जुटे हुए हैं बांका : शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के दुर्गा मंदिरों में दुर्गा पूजा की तैयारी जोर शोर से चल रही है. मालूम […]

इस साल नवरात्रि मंगलवार 13 अक्तूबर से आरंभ हो रही है. इसे लेकर मंदिरों की साफ-सफाई सहित रंग-रोगन का कार्य आरंभ है, साथ ही मूर्ति निर्माण के लिए कलाकार रात दिन-जुटे हुए हैं

बांका : शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के दुर्गा मंदिरों में दुर्गा पूजा की तैयारी जोर शोर से चल रही है. मालूम हो कि इस साल नवरात्रि मंगलवार 13 अक्तूबर से आरंभ हो रही है. इसे लेकर मंदिरों की साफ-सफाई सहित रंग-रोगन का कार्य आरंभ है.
साथ ही मूर्ति निर्माण के लिए कलाकार रात दिन इस काम में जुटे हुए हैं. इस पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. क्षेत्र में ऐसे कई मंदिर हैं जहां की महिमा अपरंपार है. लोग बड़े ही आस्था से पूजा अर्चना करते हैं.
इसी क्रम में करमा पंचायत के भतकुंडी गांव मे गिरीडीह की दुर्गा को देखने के लिए दूर दराज से भक्त पहुंचते हैं. यहां मैथिली विधि से पूजा अर्चना की जाती है.
यहां के मेढ़पति नुनमनी ठाकुर व अनंत चौधरी ने बताया कि मंदिर में पहली पूजा से ही लोगों की भीड़ पहुंचने लगती है. पूजा में शामिल होने के लिए आस-पास सहित दूर-दराज में रहने वाले लोग भी काफी संख्या में आते हैं.
कैसे हुई मंदिर की स्थापना
भतकुंडी गांव में मंदिर की स्थापना विगत 1983 ई में हुई है. इस विषय मे जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी चंद्र ठाकु र ने बताया कि गांव के बुजुर्ग (75 वर्ष) मुकुंद लाल ठाकुर गिरीडीह में प्राइवेट नौकरी कर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते थे.
उन्होंने अपने बड़े पुत्र के सरकारी नौकरी होने के लिए देवी मां की सच्चे मन से पूजा अर्चना की.
उनकी मुराद जल्द ही पूरी हो गयी, और उन्होंने गिरीडीह के दुर्गा मां के पिंड को लाकर अपने गांव भतकुंडी में एक झोपड़ीनुमा मंदिर में स्थापित कर पूजा आरंभ कर दिया.
करीब 10 वर्ष केउपरांत उन्होंने नये सिरे से मंदिर के भवन का जीर्णोद्धार आरंभ किया. ग्रामीणों ने उनके इस पुनीत कार्य की सराहना करते हुए भरपूर आर्थिक मदद भी की.
फिर देखते ही देखते भतकुंडी गांव में भव्य देवी दुर्गा मंदिर की स्थापना हुई. कहते हैं कि यहां सच्चे मन से शीष झुकाने वाले आस्थावानों की मुरादें सहज पूरी हो जाती है.
प्रतिवर्ष यहां देवी की प्रतिमा प्रदान करने वाले भक्त अपनी बारी का इंजतार करते रहते हैं. पुजारी ने बताया कि आगामी 2022 तक के लिए प्रतिमा दाताओं का निबंधन हो चुका है. अष्टमी से ही दशमी पूजा तक मंदिर में 108 जोत से मां की आरती होती है.
ऐसे पहुंचे दुर्गा मंदिर
जिला मुख्यालय बांका के शास्त्री चौक से ऑटो के माध्यम से शंकरपुर गांव होते हुए मुड़हारा हॉल्ट को पार कर भतुकंडी गांव पहुंचने का मुख्य रास्ता है.
भागलपुर दुमका मुख्य मार्ग के रजौन व पुनसिया से पश्चिम करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर देवी का मंदिर स्थापित हैं. वहीं अमरपुर से आने वाले श्रद्धालु चांदन नदी तट पर स्थित बाबा ज्येष्टगौरनाथ घाट को पार कर आसानी से जीतनगर पहाड़ी होते हुए भतकुंडी मंदिर पहुंच पायेंगे.

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