बांका: इद-उल-अजहा यानी बकरीद का पर्व बुधवार को जिले के मुसलिम समुदाय द्वारा धूमधाम से मनाया गया. सबसे पहले मुरगीडीह स्थित इदगाह में मुसलिम भाइयों ने एक साथ मिल कर बकरीद का नमाज अदा किया. उसके बाद गले मिल एक-दूसरे को बधाई दी. बच्चे भी इस पर्व में खुशहाली के साथ शरीक हुए. सभी अपने नये परिधान में जंच रहे थे.
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
सुरक्षा के लिए शहरों में दंडाधारी व पुलिस की तैनाती थी. सीओ विमल कुमार घोष, बीडीओ प्रभु दयाल सिंहा, थानाध्यक्ष अरुण कुमार राय सहित अन्य अधिकारी शहर भ्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे थे. शहर के मलिकटोला के अलावे खड़ियारा गांव में भी नमाज अदा किया गया. कई मोहल्लों में तीस हजार रुपये तक के बकरे की कुर्बानी दी गयी. इसके बाद सद्भाव के साथ लोगों के बीच दावत का दौर भी चलता रहा. हिंदू समाज के लोगों को भी सेवई व गोश्त की दावत दी गयी. मौके पर सांसद पुतुल कुमारी ने जिलेवासियों के अकलियत समाज के लोगों को बकरीद की बधाई देते हुए कहा कि बकरीद समर्पण व बलिदान का प्रतीक है. इसे भाईचारे व खुशियों के बीच मनाया गया. वहीं गरीब लोगों के बीच मुसलिम भाइयों द्वारा दान भी किये गये.
एक-दूसरे को दी बधाई
बौंसी प्रतिनिधि के अनुसार डहुआ, महाराना, कैरी, अरकट्टा, गज्जर, बहगा, नयागांव, मेला ग्राउंड में भी बकरीद की धूम रही. लोगों ने नये वस्त्र धारण कर शहर के गांधी चौक स्थित मसजिद में एक साथ नमाज अदा कर एक दूसरे को गले मिल कर बधाई दी. दावत का दौर दिन भर चलता रहा.
नमाज के लिए जुटे लोग
शंभुगंज प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड क्षेत्र के मुसलिम गांव में बकरीद पर्व बुधवार को शांतिपूर्ण मनाया गया. क्षेत्र के मुसलिम गांव बेलारी, चुटिया, कसबा, खपड़ा, कमरडीह, जाैगनी के मसजिद में नमाज अदा कर पर्व मनाया. वहीं वेलारी मसजिद में मौलाना अता उल्लाह व इमाम गुलाम मुस्तफा, चुटिया मसजिद में मौलाना अजीम उद्दीन व मो समरेश कवरेज ने गांव से आये सभी लोगों को बकरीद की नमाज अदा करायी. इस दौरान सभी मसजिद में सैकड़ों की संख्या में बच्चे, बूढ़े व युवकों ने नमाज अदा कर एक दूसरे से गले मिल कर बकरीद की मुबारकबाद दी. साथ ही गरीब मुसलिम भाईयों के बीच कई मुसलिम समुदाय के लोगों ने बकरे की गोश्त वितरण किया.
एक-दूसरे से मिले गले
अमरपुर प्रतिनिधि के अनुसार मुसलिम धर्मावलंबियों के कुर्बानी का पर्व बकरीद ईद- उल- अजहा बुधवार को क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. क्षेत्र के सभी मसजिदों में मुसलिम संप्रदाय के लोगों ने बकरीद की नमाज पढ़ी. क्षेत्र के कटोरिया, भरको, महगामा, डुमरामा, सुलतानपुर, गरीबपुर, दौना, संग्रामपुर, घीमड़ा सहित ईदगाह एवं मसजिदों में मुसलिम संप्रदाय के लोगों ने नमाज अदा कर एक दूसरे के गले मिल कर बकरीद की मुबारक बाद दिया. कुर्बानी के बाद लोगों ने बकरे के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटने के बाद एक हिस्सा गरीबों का दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और पड़ोसियों को व तीसरा हिस्सा अपने परिवार के लिये रखा. इस दौरान लोगों ने गरीबों के बीच मिठाइयां और कपड़े भी बांटे गये. बकरीद को लेकर क्षेत्र में प्रशासन ने सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की थी.
कुरबानी की रस्म अदा
बेलहर प्रतिनिधि के अनुसार प्रखंड अंतर्गत त्याग और बलिदान का पर्व बकरीद मुसलमान भाईयों ने हर्षोल्लास के साथ मनाया. क्षेत्र के बेलहर, रांगा, धरतीथान, डुमरिया, चिरैता, डुब्बा, बेलडीहा सहित अन्य मसजिद में सुबह नमाज अदा कर सभी लोगों ने अपने- अपने घरों में बकरे की कुरबानी की रस्म अदा किया.
लोगों में उत्साह
बाराहाट प्रतिनिधि के अनुसार बकरीद के मौके पर बुधवार की सुबह से ही मुसलिम समुदाय के लोग बकरीद पर्व को लेकर खासे उत्साहित थे. जानकारी के मुताबिक अगामी 17 व 18 अक्तूबर को भी बकरीद के मौके पर बकरे की कुरबानी देंगे.
मुसलिम धर्म मानने वालों के लिये कुर्बानी का खास महत्व है. कहते हैं जब इब्राहिम अलेह सलम अल्लाह ताला का खान-ए-काबा बना रहे थे, तो उन्हें अल्लाह का एक हुक्म मिला की जो तुम्हारी सबसे प्यारी वस्तु है, उसे मेरे लिये कुर्बान कर दो. अल्लाह के इस हुक्म पर इब्राहिम ने काफ ी सोच विचार की. अंत में उसने अपने इकलौती औलाद इस्माईल को अल्ला के हुक्म को मानने के लिये तैयार कर लिया. वो अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे. इस दौरान तीन शैतानों ने उन्हें अपने मकशद से भटकाने के लिये काफी प्रयास किया. जिसे उन्होंने बखूबी पार किया. कहा जाता है कि इसी शैतान के प्रतीक को आज भी हज को मक्का पहुंचे मुसलिम समुदाय के लोग कंकड़ी मार कर भगाने का रस्म अदा करते हैं.
अंत में इब्राहिम ने जैसे ही अल्ला के हुक्म के अनुसार अपने बेटे को कुर्बानी के लिये लेकर गये. बेटे ने पिता से आंख पर पट्टी बांध लेन को कहा. क्योंकि इब्राहिम अलेह सलम का बेटा नहीं चाहता था की उसके पिता जब उसकी कुरबानी दे तो उन्हें कहीं अपने बेटे को देख कर अल्लाह का हुक्म पूरा करने में रुकावट हो.
आंख में पट्टी बांध कर जैसे ही इब्राहिम ने इस्माइल की कुर्बानी देनी चाही. अल्लाह के इशारे पर एक दुम्मा कुरबान हो गया. तब स लेकर ये त्योहार बड़ी शिद्दत से मनाया जा रहा है. बकरीद के मौके पर बुधवार को प्रखंड के नारायणपुर, औरिया, लबोखर, खिरीपघार, चिलमिल, खड़हरा सहित आसपास के गांवों में बड़ी खुशमिजाजी से मनाया गया.