* सिंचाई ठप, किसान परेशान, विभाग उदासीन
।। संजीव पाठक ।।
बौंसी : किसानों का लाइफ लाइन लक्ष्मीपुर–चांदन डैम अब किसानों के लिए सरदर्द साबित हो रहा है. प्रतिवर्ष नहर की मरम्मती के लिए सिंचाई विभाग को सरकार की ओर से लाखों की राशि दी जाती है, परंतु मरम्मती के नाम पर महज खानापूर्ति के अलावा विभाग द्वारा कभी कुछ नहीं किया जाता है.
विगत एक सप्ताह से मुख्य केनाल के कल्याणपुर गांव के समीप चैन संख्या 140 के पास करीब 30 फीट नहर के टूट जाने से क्षेत्र के किसानों को खरीफ फसल खेती के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है. इसकी वजह से किसानों में हाहाकार मचा है. साथ ही किसानों उग्र आंदोलन करने की तैयारी में है. सिंचाई विभाग के जेई कौशल कुमार ने बताया कि 26 जुलाई को मुख्य नहर में करीब 100 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिसे धीरे– धीरे बढ़ा कर 200 क्यूसेक कर दिया गया है. किसानों का आरोप है कि 100 क्यूसेक से ज्यादा पानी कभी नहीं छोड़ा गया.
जानकारी हो कि 60 के दशक में बने इस नहर में 350-400 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता था. विभागीय बात मानें तो 200 क्यूसेक पानी के दबाव में नहर का टूट जाना इसके मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति ही तो है. इसकी एक वजह विगत कई वर्षो से नहर की सही तरीके से देखभाल एवं मरम्मती भी है, और प्रत्येक वर्ष धान खेती के समय ही नहर क्यों टूट जाता है ?
किसान उग्रमोहन चौधरी, मुकुंद कुशवाहा सहित दर्जनों किसानों ने आरोप लगाया है कि बौंसी स्थित सिंचाई विभाग में बैठे अधिकारी इस ओर सही समय पर ध्यान दे तो प्रत्येक वर्ष ऐसी समस्या नहीं आयेगी. इस संबंध में विभाग के जुनियर इंजिनियर ने बताया कि सोमवार तक इसकी मरम्मत कर ली जायेगी.