इस दौरान कोर्ट हाजत प्रभारी द्वारा कैदियों को काफी समझाने-बुझाने का प्रयास किया गया. लेकिन, कैदी कोर्ट हाजत में सीजेएम व पुलिस अधीक्षक को बुलाने की मांग पर अड़े हुए थे. कैदियों का कहना था कि जेल में क्षमता से अधिक कैदी बंद है. वहां पर तो किसी तरह रह रहे हैं, लेकिन जब न्यायालय में जाने के लिए कोर्ट हाजत में लाकर बंद किया जाता है, तो यहां पर पीने के पानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. जब परिजन मिलने के लिए आते हैं, तो उनसे मिलने नहीं दिया जाता है.
पुलिसकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है. जब तक हाजत व जेल की कुव्यवस्था दूर नहीं होगी, तब तक न्यायालय में नहीं जायेंगे. जब कैदी हाजत प्रभारी बी तिवारी का बात नहीं माने, तो प्रभारी ने इसकी सूचना व्यवहार न्यायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को दी. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के निर्देश पर कैदियों को पुन: जेल में भेज दिया गया. इस संबंध में पूछे जाने पर कोर्ट हाजत प्रभारी बी तिवारी ने बताया कि कैदियों ने कोर्ट जाने से इनकार किया, तो उन्हें समझाने-बुझाने का काफी प्रयास किया गया, लेकिन लोग बात सुनने को तैयार नहीं थे. इसके कारण बिना कोर्ट में पेशी कराये सबको जेल भेज दिया गया.