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परवान पर ठंड, शीतलहर ने बढ़ायी कनकनी

परेशानी. नये साल के पहले हफ्ते में मौसम ने फिर ली करवट, रजाई में दुबकने को मजबूर हुए लोग बाजार में भी घटी रौनक देर से खुल रहीं व जल्दी बंद हो रहीं दुकानें औरंगाबाद सदर : इधर एक महीने से मौसम पल-पल अपना रंग बदल रहा है. कभी तेज सर्द तो कभी हल्की ठंड […]

परेशानी. नये साल के पहले हफ्ते में मौसम ने फिर ली करवट, रजाई में दुबकने को मजबूर हुए लोग

बाजार में भी घटी रौनक देर से खुल रहीं व जल्दी बंद हो रहीं दुकानें
औरंगाबाद सदर : इधर एक महीने से मौसम पल-पल अपना रंग बदल रहा है. कभी तेज सर्द तो कभी हल्की ठंड से मौसम की अठखेलियां लोगों के समझ से परे दिख रही है. एक दिन में दो तरह के मौसम देखने को मिल रहे है. कभी दिन में तेज धूप तो कभी घना कोहरा और शाम होते ही कड़ाके की ठंड से पूरा शहर ठिठुर रहा है.
मौसम के उतार-चढ़ाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करीब एक महीने के अंदर लगभग आधे दर्जन बार मौसम ने यू टर्न लिया है.आम तौर पर देखा जाता है कि 14 दिसंबर से ठंड तेवर में आ जाता है और 14 जनवरी के बाद ही मौसम में थोड़ी नमी कम आती है, पर इस बार सर्दी का कुछ अलग ही रंग देखने को मिल रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम जानकारों के अनुसार 14 दिसंबर से 31 दिसंबर के बीच मौसम पर गौर करें, तो इस बीच काफी ठंड बढ़ी रही. मौसम वैज्ञानिक इसे ठंड का उतार-चढ़ाव मान रहे हैं, लेकिन मौसम के इस तरह बार-बार बदलने से लोग असहज महसूस कर रहे हैं.
पिछले एक सप्ताह से ठंड अधिक बढ़ जाने के कारण सड़क पर रात गुजारनेवाले लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है. वहीं शहर की दुकानों के खुलने व बंद होने का समय भी पिछले एक सप्ताह से प्रभावित है.
फसलों को भी हो सकता है नुकसान : इधर कृषि विज्ञान केंद्र सिरिस के कृषि वैज्ञानिक डाॅ नित्यानंद ने बताया कि रह-रह बदल रहे मौसम से फसलों को नुकसान पहुंच सकता है.
खासकर दलहन और आलू को झुलसा रोग प्रभावित कर सकता है. इसके अलावे धान की नमी भी धूप नहीं निकलने के कारण खत्म नहीं हो रही. अगर कुछ दिनों तक मौसम ऐसा ही लगातार बना रहा तो फसलों पर विशेष ध्यान देना होगा. वैसे किसानों को चाहिए कि आलू की फसल की पटवन करते रहें और दवाओं का छिड़काव भी जारी रखें.
सड़क पर रात गुजारनेवाले गरीबों, ऑटोचालकों व रिक्शlवालों को हो रही मुश्किल
कड़ी ठंड के बीच स्कूल जाने को मजबूर हैं स्टूडेंट्स.
बस के इंतजार में कॉलोनी मोड़ पर खड़े स्कूली बच्चे.
कड़ाके की ठंड में बढ़ा बीमािरयों का खतरा
ठंड के मौसम में बच्चे से लेकर बुजर्ग तक सबको विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, ऐसे मौसम में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ठंड के दौरान स्वस्थ लोग भी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं, जबकि पहले से बीमार लोगों की परेशानी और बढ़ सकती है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने खान-पान में गर्म चीजों का सेवन बढ़ायें. ठंडी चीजों से परहेज करें.
स्कूल जाने से कतरा रहे बच्चे
रह-रह कर मौसम के करवट बदलने से बढ़ रही ठंड के कारण स्कूल जाने से बच्चे कतरा रहे हैं. सोमवार और मंगलवार को शहर के कुछ स्कूल खुले रहने के कारण निचली क्लासों में पढ़नेवाले बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी महसूस हुई. हालांकि, इस तेज ठंड में स्कूल के खुले रहने से अभिभावक भी थोड़े नाराज हैं और अभिभावक ही ऐसा कहते पाये जा रहे हैं कि कम से कम मौसम का मिजाज देख कर स्कूल को कुछ दिनों के लिये बंद कर देना चाहिए. ताकि, बच्चों को सुबह उठ कर स्कूल जाने में परेशानी न हो.
मॉर्निंग वॉक से परहेज करें बीमार व बुजुर्ग लोग
सुबह ज्यादा कोहरा व ठंड हो, तो फिलहाल मॉर्निंग वॉक से परहेज करना भी फायदेमंद हो सकता है. खासकर, तब जब आप ब्लडप्रेशर, दिल या सांस की बीमारियों से परेशान रहे हों. बुजुर्ग व बच्चों को शाम होने के बाद घर से बाहर निकलने से रोकें. जरा भी परेशानी हो, तो तुरंत अपने पारिवारिक चिकित्सक से मिलें और जरूरी दवाओं का डोज पूरा होने तक सेवन करें.
दिसंबर में प्रशासन ने की थी अलाव की व्यवस्था फिर से जरूरत महसूस कर रहे लोग
पिछले एक सप्ताह से बदलते मौसम के मिजाज ने लोगों के जनजीवन को प्रभावित किया है. सोमवार व मंगलवार को हल्की धूप निकली रही और पूरा दिन ठंड के आगोश में रहा. ऐसे में सड़कों पर जीवन-यापन करनेवाले लोगों की परेशानी बढ़ी रही. दिसंबर माह में कुछ समाजसेवी संगठनों और जिला प्रशासन की तरफ से शहर के चुनिंदा स्थानों अलाव की व्यवस्था उपलब्ध करायी गयी थी, लेकिन यह सिलसिला एक सप्ताह भी ठीक से नहीं चल सका और एक बार फिर से लोगों को अलाव की जरूरत महसूस होने लगी है. ठंड से बचने के लिए गरीब व असहायों के कंबल काम नहीं आ रहे. पिछले तीन दिनों के तापमान पर गौर किया जाये, तो अधिकतम 20 से 24 डिग्री व न्यूनतम 10 से 12 डिग्री तापमान रहा है. चार जनवरी बुधवार को अधिकमत तापमान 24 डिग्री और न्यूनतम 11 डिग्री व पांच जनवरी गुरुवार को अधिकतम 25 डिग्री व न्यूनतम 11 डिग्री तापमान रहने की उम्मीद मौसम संबंधी वेबसाइटों ने जाहिर की है.
बीपी के मरीजों के लिए सावधानी जरूरी
इस मौसम में लकवा (पारालायसिस) की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि ठंड में खून की नलियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे खून का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है. इससे हाइ ब्लडप्रेशर के मरीजों में लकवा का खतरा बढ़ जाता है. बुजुर्गों में उम्र बढ़ने के साथ भी यह खतरा बढ़ता है. इससे बचने के लिए समय-समय ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना जरूरी है. दमा के मरीजों को भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. ठंड के चलते दमा के मरीजों में दौरे पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे मरीज अपनी दवाएं हमेशा अपने साथ रखें. ठंड के चलते धमनी सिकुड़ने से हार्ट अटैक का भी खतरा बना रहता है.

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