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झाड़-फूंक के फेर में पड़ गंवा रहे जान
औरंगाबाद शहर : औरंगाबाद जिले में अंधविश्वास का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. पूरे जिले में दो दर्जन से अधिक जगहों पर झाड़-फूंक का बाजार सजा है. यहां ईश्वरीय शक्ति के नाम पर मेडिकल साइंस और विज्ञान को चुनौती दी जा रही है. अंधविश्वास में पड़ कर शारीरिक कष्टों से छुटकारा पाने की चाहत […]
औरंगाबाद शहर : औरंगाबाद जिले में अंधविश्वास का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. पूरे जिले में दो दर्जन से अधिक जगहों पर झाड़-फूंक का बाजार सजा है. यहां ईश्वरीय शक्ति के नाम पर मेडिकल साइंस और विज्ञान को चुनौती दी जा रही है. अंधविश्वास में पड़ कर शारीरिक कष्टों से छुटकारा पाने की चाहत लिए लोगों की कमी नहीं है.
ऐसे लोग पहले तो ओझा-गुनियों के चक्कर में फंस कर अपना समय और पैसा बर्बाद करते हैं और जब समस्या सिर से उपर उठती है तो डॉक्टरों का सहारा लेते हैं. इसी चक्कर में कई बार अस्पताल पहुंचते-पहुंचते केस इतना बिगड़ा जाता है कि डॉक्टर भी कुछ नहीं कर पाते. और तब लोग लापरवाही का आरोप लगा कर डॉक्टरों को कोसते हैं. औरंगाबाद शहर में चार से पांच जगहों पर अंधविश्वास का धंधा चल रहा है. शहर से चंद दूरी पर स्थित जनकोप गांव में अंधविश्वास का नंगा नाच हो रहा है. हर दूसरे-तीसरे दिन यहां झाड़ फूंक के नाम पर लोगों का शारीरिक व आर्थिक दोहन हो रहा है.
एक माह पहले मजदूर की हुई थी मौत : एक माह पूर्व जनकोप के समीप ही एनएच दो पर चलने वाले एक होटल के मजदूर को सांप ने काट लिया था. होटल मालिक के साथ-साथ आसपास के लोगों ने जनकोप गांव में झाड़ फूंक की सलाह दी. लगभग चार घंटे तक छोटू नामक होटल मजदूर के साथ अंधविश्वास का खेल हुआ और अंतत: जब उसकी हालत बिगड़ गयी तो अपने आप को ईश्वर बताने वाले ओझा ने उसे अस्पताल में इलाज की सलाह दी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. छोटू अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ गया. इसी तरह शनिवार को देव प्रखंड के नइबुंब गांव के एक युवक को सोये अवस्था में सांप ने डंस लिया. उसके परिजन इलाज कराने के बजाय जनकोप ले गये, लेकिन जब हालत नहीं सुधरी तो सदर अस्पताल भेज दिया. अस्पताल के चिकित्सकों ने हालत नाजुक देखते हुए उसे तुरंत गया रेफर कर दिया. इससे पहले भी सिर्फ इस वर्ष दो दर्जन से अधिक लोग जनकोप में झाड़-फूंक के लिए पहुंच चुके थे, जिन्हें बाद में अस्पताल की सुविधा लेनी पड़ी. मदनपुर के खिरियावां, देव के ढिबरा, नवीनगर के टंडवा, ओबरा के मनौरा सहित जिले के कई ऐसे गांव हैं, जहां झाड़ फूंक के नाम पर अंधविश्वास फैलाया जा रहा है.
क्या कहते हैं चिकित्सक : सदर अस्पताल के चिकित्सक डाॅ सरताज अहमद कहते हैं कि अस्पताल में हर दूसरे-तीसरे दिन सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति पहुंचते हैं. अगर वे समय पर इलाज का फायदा उठा लें, तो उनकी जान बच सकती है.
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