अधिकतर स्कूलों के वाहनों को चला रहे अपरिपक्व चालक
– ओम प्रकाश प्रीत –
औरंगाबाद : सावधान बच्चे है. करीब सभी स्कूल के वाहन पर ऐसा लिखा दिखता है. पर, कभी आपने तहकीकात की है कि ये किस हद तक सही है. नहीं, तो अब जरूर ध्यान दें. क्योंकि, सिर्फ सावधान बच्चे हैं लिख देने से बच्चे सुरक्षित नहीं हो जाते.
हर अभिभावक ये चाहते हैं कि उनके बच्चे सुरक्षित स्कूल जायें और सुरक्षित लौट कर घर आयें. आमतौर पर बच्चों को स्कूल जाने के लिए वाहन की व्यवस्था उपलब्ध करा देने के बाद अभिभावक उनकी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त भी हो जाते हैं, पर इन दिनों निजी विद्यालयों के वाहन अपरिपक्व चालकों के हाथों में होने से बच्चों की सुरक्षा के प्रति चिंता को बढ़ा दिया है. नाबालिग चालकों के हाथ में स्कूल के वाहन बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
हाइवे है मुख्य मार्ग
नाबालिग चालकों के हाथ में स्कूल वाहन होना आखिर विद्यालय की कौन सी मजबूरी को दर्शाता है. क्या ऐसे विद्यालयों को परिपक्व चालक नहीं मिलते या ये कम वेतनमान पर नाबालिगों से अपना काम निकाल रहे हैं. अगर, ऐसा है तो ये बच्चों के हित में नहीं. एक स्कूल का वाहन बच्चों को घर तक पहुंचाने व लाने के क्रम में शहर के विभिन्न मार्गो से होकर गुजरता है.
यहां तक कि ये बसें राष्ट्रीय राजमार्ग से भी गुजरती हैं. सड़क की व्यस्तता से लोग अंजान नहीं हैं. ऐसे में एक अपरिपक्व चालक बच्चों को सुरक्षित पहुंचाने में भले ही सफल हो रहा है, पर ऐसा ठीक तो नहीं.