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थाली से गायब हुई सब्जी

।। सुधीर कुमार सिन्हा ।। – प्याज खरीदने में भी निकल रहे आंसू – टमाटर का भाव देख लोग हुए लाल – करैला हुआ और भी कड़वा औरंगाबाद : दिन प्रतिदिन बढ़ रही महंगाई ने रसोई के जायका बिगाड़ दिया है. महंगाई की मार से जायका का स्वाद खराब होने के साथ ही घर का […]

।। सुधीर कुमार सिन्हा ।।

प्याज खरीदने में भी निकल रहे आंसू

– टमाटर का भाव देख लोग हुए लाल

– करैला हुआ और भी कड़वा

औरंगाबाद : दिन प्रतिदिन बढ़ रही महंगाई ने रसोई के जायका बिगाड़ दिया है. महंगाई की मार से जायका का स्वाद खराब होने के साथ ही घर का पूरा बजट ही बिगड़ गया है. तमाम प्रयासों के बाद भी बजट को संभाले रखने के लिए लोगों का जुगाड़ भी फेल होता दिख रहा है. वैसे तो रसोई से जुड़ी हर चीज महंगी हुई है. वर्तमान में इसका असर सबसे ज्यादा सब्जियों पर है.

इसके कारण हर तबके के लोग प्रभावित हैं. महंगाई के कारण गृहणियों की तड़का ही बिल्कुल फीका हो गया है. लोगों के थालियों से सब्जियां तो बिल्कुल गायब हो गयी हैं. लगभग सभी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं.

पाव भर से चल रहा काम

सब्जियों के दामों में वृद्धि होने के बाद लोग सब्जी की खरीदारी एक किलो की जगह पाव भर ही कर रहे हैं. सब्जी के बढ़े दामों से लोग काफी परेशान हैं. क्योंकि इसकी मार लोगों के जेब पर पड़ रही है.

सब्जियों के दाम बढ़ने का मुख्य कारण आसपास के इलाके में बड़े पैमाने पर सब्जियों का उत्पादन नहीं होना है. सब्जी उत्पादन के नाम पर कुछ मात्र में ओबरा के शंकरपुर, अतरौली महथू आदि गांवों में होता है, जो कि मौसमी होता है. दाउदनगर में पटल की खेती तो होती है वो भी ना मात्र का.

कुल मिला कर कहें कि जिले के लोग बाहर से आनेवाली सब्जियों पर ही निर्भर हैं. जिले के बाजारों में ज्यादातर बनारस झारखंड की सब्जियां आती हैं. सब्जी विक्रेता बताते हैं कि बनारस झारखंड के बाजारों से सब्जियां यहां आतेआते इनके दामों में उछाल जाता है. गाड़ी भाड़ा, मजदूर खर्च आदि को जोड़ते हुए यहां के बाजार में पहुंची सब्जियों के दामों में वृद्धि हो जाती है.

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