औरंगाबाद कार्यालय : एक तरफ स्वतंत्रता दिवस को लेकर पूरे जिले में आजादी की शोर गूंज रही थी. संस्थानों में झंडोत्तोलन का दौर चल रहा था तो दूसरे तरफ अंधविश्वासों का खेल एक युवक पर भारी पड़ गया. घटना कुटुंबा प्रखंड के भुतिया मेला के नाम से मशहूर महुआधाम की है. प्रेतबाधा से मुक्ति के लिए पहुंचे पटना जिले के पुनपुन टरमा गांव के तुलसी पासवान ने प्रेत की बात मानते हुए आत्महत्या की कोशिश की. पता चला कि तुलसी पासवान अपनी मां शांति देवी, पत्नी सुनिता देवी, नाती मुकेश कुमार के साथ भूत झड़वाने रविवार को ही महुआधाम मेला पहुंचा था.
बुधवार की सुबह महुआधाम में झूमते हुए उसने एक धारदार चाकू से अपने ही गर्दन पर वार कर दिया, जिसके बाद खून के फव्वारे छूट गये और वह जमीन पर गिर पड़ा. आनन-फानन में कुछ लोग उसे इलाज के लिए लेकर सदर अस्पताल पहुंचे, जहां ड्यूटी पर रहे डॉक्टर आशुतोष कुमार ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे किसी बड़े अस्पताल रेफर कर दिया. अंधविश्वास में इस तरह की घटना महुआधाम में कोई नयी बात नहीं है. सवाल यह उठता है कि अंधविश्वास का यह खेल कब तक आम लोगों पर भारी पड़ेगा. हाल के दिनों में अंधविश्वास में कई जाने गयी है. चाहे वह भूत भूतइया का मामला हो या सर्पदंश का.