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औरंगाबाद : जिले में 11 पीएचसी, नौ में नहीं हैं महिला चिकित्सक

नर्स और दाई के भरोसे महिलाओं का कराया जाता है प्रसव औरंगाबाद शहर : आधी आबादी मानी जाने वाली महिलाओं का इलाज जिले में भगवान भरोसे चल रहा है. महिलाओं के लिए इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था के नाम पर सिर्फ फाइलों के पुलिंदे हैं. औरंगाबाद जिले में 11 प्रखंडों में प्राथमिक स्वास्थ्य […]

नर्स और दाई के भरोसे महिलाओं का कराया जाता है प्रसव
औरंगाबाद शहर : आधी आबादी मानी जाने वाली महिलाओं का इलाज जिले में भगवान भरोसे चल रहा है. महिलाओं के लिए इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था के नाम पर सिर्फ फाइलों के पुलिंदे हैं. औरंगाबाद जिले में 11 प्रखंडों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जिसमें नौ में एक भी महिला डाॅक्टर नहीं है. सिर्फ दाउदनगर व हसपुरा में एक-एक महिला डाॅक्टर कार्यरत हैं, बाकी किसी भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला डाॅक्टर नहीं हैं. सदर प्रखंड के जम्होर, ओबरा, गोह, रफीगंज, मदनपुर, देव, अंबा-कुटुंबा, नवीनगर व बारुण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला डाॅक्टर नहीं हैं.
इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचने वाली महिलाओं का इलाज जैसे-तैसे होता है. औरंगाबाद प्रखंड क्षेत्र के जम्होर में पीएचसी है, जो मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी है. यहां महिला डाॅक्टर नहीं हैं जिसके कारण इस क्षेत्र की महिलाएं प्रसव कराने औरंगाबाद आती हैं. चूंकी जम्होर से नजदीक ओबरा पीएचसी भी है, लेकिन यहां भी महिला डाॅक्टर नहीं है.
प्रसव पीड़ा से ग्रसित महिलाओं को वहीं पुराने तरीके से ही प्रसव कराया जाता है, जिसके कारण महिलाओं की जान पर बन आती है. जम्होर पीएचसी वैसे सिर्फ कहने को ही स्वास्थ्य केंद्र हैं. महिला डाक्टरों की कमी के कारण महिलाओं को ग्रामीण डाक्टरों का सहारा लेना पड़ता है. खासकर गरीब तबके की महिलाएं ज्यादा प्रभावित होते हैं.
वैसे औरंगाबाद जिले में अधिकतर पीएचसी नर्स और दाई के भरोसे चल रहे हैं. प्रसव पीड़ा से ग्रसित महिलाओं का प्रसव भी इन्हीं लोगों द्वारा कराया जाता है. स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम कुमार मनोज ने बताया कि जिन पीएचसी में महिला डाॅक्टर नहीं हैं वहां पर महिला डाॅक्टरों की पदस्थापना के लिए सरकार को रिपोर्ट भेजा गया है.
12, 21, 389 संख्या है महिलाओं की
वर्ष 2011 जनगणना के अनुसार जिले में महिलाओं की संख्या 12 लाख 21 हजार 389 है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या के लिए महिला डाॅक्टर नहीं है.
सदर अस्पताल व दो पीएचसी को मिला दिया जाये तो सिर्फ छह महिला चिकित्सकों की बदौलत करीब 13 लाख महिलाओं का इलाज होता है. इनमें एक-दो महिला डाॅक्टर अपनी निजी क्लिनिक चलाने में ही व्यस्त रहती हैं. उन्हें सदर अस्पताल पहुंचने वाली महिला रोगियों से कोई सरोकार नहीं होता है. सिर्फ ड्यूटी पूरा किया जाता है.
सदर अस्पताल में भी स्थिति है खराब
वैसे सदर अस्पताल में चार महिला डाॅक्टरों की पदस्थापना की गयी है, लेकिन महिलाओं का इलाज कैसे होता है जगजाहिर है. कई बार मामला ऐसे आया है कि महिला रोगी तड़पती रहती है, लेकिन महिला डाॅक्टर नहीं पहुंचती है. कई बार इलाज के अभाव में महिलाओं की मौत तक हो गयी है.

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