कुटुंबा रेफरल अस्पताल में महिला की मौत का मामला
जल्द ही डीएम को रिपोर्ट सौंपेगी जांच टीम
औरंगाबाद नगर : कुटुंबा रेफरल अस्पताल में प्रसव के बाद महिला की मौत और अस्पताल में जम कर हंगामा, तोड़फोड़, इसके बाद डाॅक्टर, कर्मचारियों द्वारा की गयी हड़ताल के बाद जिलाधिकारी द्वारा गठित जांच टीम ने अपनी पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है. जल्द ही यह रिपोर्ट डीएम को सौंपी जानी है. जांच टीम में शामिल पदाधिकारियों की मानें, तो महिला की मौत के मामले में अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित डॉक्टरों व कर्मियों की लापरवाही सामने आयी है.
जांच टीम में शामिल पदाधिकारियों का कहना है कि यदि महिला का प्रसव रेफरल अस्पताल के बजाय कहीं झोलाछाप चिकित्सक के पास भी होता, तो उसकी मौत नहीं होती. क्योंकि प्रसव के बाद महिला का जब रक्तस्राव शुरू हुआ, तो उसके बाद न चिकित्सकों द्वारा कोई उपचार किया गया और न ही कर्मचारियों द्वारा किसी प्रकार की कोई दवा ही दी गयी. यदि समय पर महिला का इलाज हो जाता या फिर एंबुलेंस के माध्यम से दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता, तो शायद उसकी मौत नहीं होती. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर चिकित्सकों, कर्मियों व परिजनों का बयान सहित जांच रिपोर्ट तैयार कर डीएम को टीम गुरुवार की शाम तक सौंप देगी. मंगलवार को डीएम के निर्देश पर जांच दल में शामिल वरीय उपसमाहर्ता पुरुषोत्तम पासवान, सीएस डाॅ आरपी सिंह, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी मिथिलेश प्रसाद सिंह, बीडीओ लोक प्रकाश, सीओ अनिल कुमार शामिल थे. जांच टीम अलग- अलग पक्षों से बीते शनिवार को महिला की मौत व इसके बाद हुए उपद्रव की जानकारी ली थी. जांचकर्ता दल प्रमुख वरीय उप समाहर्ता पुरुषोत्तम पासवान ने सर्वप्रथम प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ मिथिलेश प्रसाद सिंह से रोस्टर पंजी की मांग की थी. प्रबंधन ने बहाने बना कर रोस्टर पंजी उपद्रवियों द्वारा नष्ट कर दिये जाने की बात कही गयी थी. वहीं अस्पताल के कर्मी वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने कहा कि उपद्रवियों ने रोस्टर पंजी से कोई छेड़छाड़ नहीं की है. इस पर जांच अधिकारी ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यह मामला तो एफआइआर का है. रजिस्टर अधिकारी के पास न होकर कर्मी के पास कैसे है? जब इमरजेंसी रजिस्टर की शिनाख्त की गयी, तो उसके 129 से 134 नंबर के पन्ने फटे पाये गये थे.
सामान्य तरीके से हुआ था प्रसव
वरीय उपसमाहर्ता पुरुषोत्तम पासवान ने अस्पताल प्रबंधन व कर्मियों से बारी-बारी से सवाल कर जवाब मांगा. एएनएम से महिला की मौत के संबंध में जानकारी ली गयी, तो बताया गया ड्यूटी पर तैनात एएनएम नीता व सुनीता ने उक्त महिला की देखरेख की गयी थी. डिलिवरी के बाद महिला की हालत सामान्य थी. लेबर रूम में अचानक महिला को रक्तश्राव शुरू हो गया था. स्थिति नाजुक देख डॉक्टरों ने उसे रेफर कर दिया. बाद में निजी वाहन में महिला की मौत हो गयी थी.
कर्मचारी ने डाॅक्टर पर लगाये कई आरोप
अस्पताल में कार्यरत कर्मी सह संघ के महामंत्री वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने जांच अधिकारी के समक्ष कहा कि महिला की मौत डाॅक्टरों की लापरवाही से हुई है. रोस्टर के अनुसार जिस डाॅक्टर की ड्यूटी थी, उनके स्थान पर दूसरे ड्यूटी कर रहे थे. इसी कारण रजिस्टर से छेड़छाड़ की गयी है. आयूष डाक्टर ओपीडी संभालते हैं और एमबीबीएस अपने निजी क्लिनिक में व्यस्त रहते हैं. अस्पताल के गेट पर ही उनका निजी क्लिनिक चलता है, जबकि सरकारी नियम के अनुसार उसे अस्पताल से 500 मीटर दूर रहना चाहिए. ज्ञात हो कि शनिवार को गर्भवती महिला रीता देवी की मौत प्रसव के ठीक बाद कुटुंबा रेफरल अस्पताल में हुई थी.
मृतक के पति से भी की पूछताछ, 10 बार बाहर से मंगायी थी दवा
मृतक महिला के पति प्रवेश कुमार मेहता को बुला जांच दल ने घटना व उसके बाद के हालात की जानकारी ली, तो उसने बताया कि अस्पताल में दवा होने के बाद भी 10 बार बाहर से दवा मंगायी गयी थी. डाॅक्टर से बार-बार महिला की हालत के बारे में पूछते रहे, पर सामान्य होने की बात बता कर हमें चुप रखा गया. जब स्थिति नाजुक हो गयी और डाॅक्टर को रेफर करने को कहा गया, तो आधा घंटा का समय लगा. अस्पताल में एंबुलेंस खराब रहने पर निजी वाहन लाया गया, तो डाॅक्टर ने आॅक्सीजन नहीं लगायी. जब आॅक्सीजन बाहर से लाया गया, तो डाॅक्टर ने कहा कि वे लगाना नहीं जानते हैं.