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सरकारी चावल की खुले बाजार में हो रही बक्रिी

सरकारी चावल की खुले बाजार में हो रही बिक्री ठाकुरगंज. गरीबों को 3 रुपये किलो मिलने वाला चावल खुले बाजार में बिक रहा है. बताते चलें कि सरकार के द्वारा विभिन्न योजनाओं के जरिये अनुदान में चावल गरीबों को दिया जाता है तीन रुपया किलो में. गरीबों को मिलने वाला यह चावल वे 12 से […]

सरकारी चावल की खुले बाजार में हो रही बिक्री ठाकुरगंज. गरीबों को 3 रुपये किलो मिलने वाला चावल खुले बाजार में बिक रहा है. बताते चलें कि सरकार के द्वारा विभिन्न योजनाओं के जरिये अनुदान में चावल गरीबों को दिया जाता है तीन रुपया किलो में. गरीबों को मिलने वाला यह चावल वे 12 से 13 रुपये किलो बाजार में बेच रहे 25 रुपये किलो का चावल खरीद कर खा रहे है. इस पूरे मामले में जानकार बताते है कि जनवितरण प्रणाली के जरिये जो चावल गरीबों को मिलता है वह अलुआ चावल होता है, जबकि इलाके में लोग उसना चावल खाना पसंद करते हैं. चावल खाने में यह पसंद नापसंद का खेल ही बिचौलियों को लाभ पहुंचा रहा है. गरीब डीलरों से तीन रुपया किलो में अलुआ चावल लेकर उसे 12 रुपये किलो में या तो ठाकुरगंज के बाजारों में बेच देता है या डीलरों के ही पास छोड़ पैसा ले लेता है. औने-पौने दामों में यह चावल बेच कर गरीब खुले बाजार से 25 रुपये किलो का उसना चावल खरीद कर खाता है. बाजारों में बिका चावल महाजनों द्वारा सिलीगुड़ी की मिलों में भेेज कर उसे फिनिसिंग करवा कर पेकिंग के बाद 35 से 40 रुपये किलो बेचा जाता है. जो चावल गरीब डीलर के पास ही छोड़ देते है डीलरों द्वारा विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को वह चावल महाजनों द्वारा सिलीगुड़ी भेजे जाने में रात के अंधेरे का इस्तेमाल किया जाता है. जानकारों की यदि माने तो प्रतिदिन दो पिकअप चावल बंगाल भेजा जा रहा है और ठाकुरगंज के कुछ सफेदपोश इस धंधे में लगे हुए हैं.

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