आखिरकार केसरी की हुई जीतमंचन केसरी का रहा है आरएसएस से पुराना संबंधप्रतिनिधि, फारबिसगंजभाजपा में फारबिसगंज सीट को लेकर जहां शुरुआती दौर में कार्यकर्ताओं का जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा था. वहीं बाद में भाजपा कार्यकर्ताओं ने एकजुटता दिखाते हुए क्षेत्र में उनका साथ दिया. कार्यकर्ताओं का यही जोश फारबिसगंज विधानसभा में भाजपा की जीत की वजह बनी. केसरी का भाजपा से पुराना संबंध रहा है. संघ परिवार से उनका गहरा संबंध रहा है. केसरी आठ वर्षों तक विहिप के उत्तर बिहार क्षेत्र के प्रांतीय संरक्षक रहे हैं. इसके अलावा पूर्व प्रदेश मंत्री व विश्व हिंदू परिषद धर्म प्रसार का दायित्व संभाल चुके हैं. उनकी रुचि पर्यावरण रक्षा व समाज सेवा में रही है. 1974 के छात्र आंदोलन में भी केसरी की सक्रियता रही है. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संचालित विभिन्न संगठन के अंतर्गत आहूत आंदोलन में सक्रिय भूमिका व संघ शिक्षा वर्ग 2009 में भोजन व्यवस्था प्रमुख व अग्रज सर्व व्यवस्था प्रमुख में सक्रिय रहे हैं. उनका सहयोग तथा भूमिका विद्यार्थी परिषद द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रम तथा आंदोलन में रहा है. केसरी विहिप द्वारा संचालित राम शिला पूजन सहित अनेक कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं. पूरे भारत में आहूत विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा के प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिला संचालक तथा कोसी त्रासदी में विहिप के जिला प्रभारी का भी दायित्व संभाल चुके हैं. वहीं कुशवाहा ग्रामीण मोहन पासवान, गंगा यादव, विश्वनाथ बैठा कहते हैं कि केसरी परिवार का संबंध शुरू से ही संघ और भाजपा के शीर्ष नेताओं से रहा है. उन नेताओं का इनके निवास पर आना-जाना लगा रहा है. कारण मंचन केसरी के बड़े भाई राम कुमार केसरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (पूर्णिया ) के विभाग संचालक तथा प्रांतीय अध्यक्ष तथा लोक शिक्षा समिति विद्या भारती से जुड़े हैं. दंशकों से कोई संघ के बड़े नेता व भाजपा के शीर्ष नेता इस क्षेत्र में आते हैं तो केशरी के घर जरूर पदार्पण करते हैं. दशकों पहले आरएसएस प्रमुख स्व कूपी सुदर्शन, वाजपेयी, उमा भारती, कैलाश पति मिश्रा, राम माधव, विद्या भारती के रमेंद्र राय, प्रकाश चंद्र व विहिप के धर्मनारायण, युगल किशोर शर्मा तथा हरिशंकर जी का प्रवास उनके निवास पर होता था और इन लोगों का स्वागत का जिम्मा मंचन केसरी पर होता था और उनके बड़े जिम्मा मंचन केसरी पर होता था और उनके बड़े भाई मंचन केसरी का उनलोगों से परिचय करवाते थे, जिसका लाभ उन्हें 2015 के विधानसभा चुनाव में मिला.
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आखिरकार केसरी की हुई जीत
आखिरकार केसरी की हुई जीतमंचन केसरी का रहा है आरएसएस से पुराना संबंधप्रतिनिधि, फारबिसगंजभाजपा में फारबिसगंज सीट को लेकर जहां शुरुआती दौर में कार्यकर्ताओं का जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा था. वहीं बाद में भाजपा कार्यकर्ताओं ने एकजुटता दिखाते हुए क्षेत्र में उनका साथ दिया. कार्यकर्ताओं का यही जोश फारबिसगंज विधानसभा में भाजपा की जीत की […]
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