लेकिन पीड़ा के हरे जख्म पर रुपये का चेक मरहम का काम नहीं कर पायेगा. परिजन, पत्नी, पिता-माता को तभी मानसिक शांति मिलती, जब हत्यारा बौआ राय जिंदा या मुर्दा पुलिस के कब्जे में होता. बहरहाल दारोगा हत्या कांड का मुख्य तथा कथित आरोपी की गिरफ्तारी न होने से पुलिस महकमा कि किरकिरी हो रही है. आम जन स्तब्ध हैं कि जब दारोगा के हत्यारे को पुलिस नहीं पकड़ पाती है तो आम लोगों के साथ ऐसी घटना अगर हो जाय तो क्या होगा. इस तरह की चर्चा शुक्रवार को मुख्यालय में होती रही.
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दस दिन बाद भी आरोपी की नहीं हुई गिरफ्तारी
अररिया: शहीद दारोगा प्रवीण कुमार की हत्या हुए 10 दिन गुजर गये. परिजनों ने परंपरा अनुसार नख बाल भी कर लिया. परिजनों की पीड़ा को सिर्फ महसूस किया जा सकता है. हर संवेदनशील इंसान उस पीड़ा को महसूस कर सकता है जिसका इकलौता बेटा दुनिया से उठ गया. उसके माता-पिता पर क्या गुजरती होगी. जिस […]
अररिया: शहीद दारोगा प्रवीण कुमार की हत्या हुए 10 दिन गुजर गये. परिजनों ने परंपरा अनुसार नख बाल भी कर लिया. परिजनों की पीड़ा को सिर्फ महसूस किया जा सकता है. हर संवेदनशील इंसान उस पीड़ा को महसूस कर सकता है जिसका इकलौता बेटा दुनिया से उठ गया. उसके माता-पिता पर क्या गुजरती होगी. जिस ना बोध पुत्र ने अपने पिता को मुखागिA दी उसके मनोदसा की कल्पना हृदय को झकझोरने वाली होगी. कल्पना कीजिए शहीद दारोगा की पत्नी की मानसिकता का. जिसकी जिंदगी में अंधेरा छा गया.
इस टीस भरी पीड़ा में कमी आती जब दारोगा का कथित हत्यारा बौआ राय अब तक गिरफ्तार हो चुका होता. परिजनों ने कहा था कि श्रद्ध कर्म तक अगर हत्यारा गिरफ्तार नहीं होता है, तो अनशन करने की विवशता होगी, लेकिन पुलिस के गिरफ्तारी के कवायद का कोई नतीजा अब तक सामने नहीं आया है, कई थानाध्यक्ष कई दिनों से दारोगा के हत्यारे बौआ राय की गिरफ्तारी को ले विभिन्न जिला के अलग-अलग ठिकानों पर छापामारी व निगहवानी कर रही है. पुलिस अधीक्षक शहीद दारोगा के परिजनों से मिल कर आये. विभिन्न मद के रुपये का चेक भी दिया.
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