ताराबाड़ी: गेहूं की बाली में दाना नहीं आने पर अररिया प्रखंड अंतर्गत फुलबाड़ी गांव के किसानों ने गेहूं की फसल काटने के बाद उसे खेत में ही जलाने का प्रयास किया, हालांकि लोगों के बीच बचाव के बाद इस पर विराम लगा दिया गया. मौके पर उपस्थित किसान प्रवीण चौधरी ने बताया कि किसानों के पास अब कोई विकल्प नहीं है. गेहूं की बालियों में दाना नहीं आया, तो मजदूर भी गेहूं काटने को तैयार नहीं हो रहे हैं. मजबूरन खुद ही कड़ाके की धूप में जलते हुए गेहूं काटना पड़ रहा है.
इसके बाद भी गेहूं तैयार करने के लिए थ्रेसर वाले तैयार नहीं होते. यदि थ्रेसर वाले तैयार भी हो रहे हैं तो मुंह मांगी रकम मांग रहे हैं, जो गेहूं की लागत से कम नहीं है. गांव के ही किसान विनोद राम, पटवारी हेंब्रम, दयाकांत चौधरी, उदय मोहन चौधरी, नील मोहन चौधरी, संतोष चौधरी, भुवन मिश्र, मनोज राम, शंकर झा, अरुण झा, सुनील चौधरी, सुधीर चौधरी, कन्हैया चौधरी, कलानंद चौधरी, मो अजीम, उपेंद्र राम, वरुण झा आदि ने बताया कि वे तो गेहूं की खेती कर लुट चुके हैं, जितना पूंजी लगाया थी उसका एक तिहाई भी वसूल नहीं हो रहा है.
किसानों ने बताया कि एक बीघा की खेती में लगभग पांच-छह हजार रुपये खर्च आया, पर गेहूं तीन मन या इससे भी कम प्रति बीघा हो रहा है. इसकी कीमत महज एक से डेढ़ हजार रुपये है. इस तरह एक किसान को लगभग प्रति बीघा चार से साढ़े चार हजार रुपये का नुकसान हो रहा है. बड़े किसान तो अब इस पर विचार कर रहे हैं कि आगे किसानी की जाय या नहीं.