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बेहतर ढंग से संचालित सरकारी स्कूल बनेंगे मॉडल, सकारात्मक सोच जरूरी

बदलाव संभव है, प्रयास जरूरी अररिया : केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना को अमली जामा पहनाने के उद्देश्य से जिले के सरकारी स्कूलों की दशा व दिशा सुधारने की कवायद शुरू कर दी गयी है. केंद्रीय नीति आयोग द्वारा नामित एजेंसी पीरामल फाउंडेशन के प्रतिनिधि बेस लाइन सर्वे कर आवश्यक सुझाव व सहयोग देने […]

बदलाव संभव है, प्रयास जरूरी

अररिया : केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना को अमली जामा पहनाने के उद्देश्य से जिले के सरकारी स्कूलों की दशा व दिशा सुधारने की कवायद शुरू कर दी गयी है. केंद्रीय नीति आयोग द्वारा नामित एजेंसी पीरामल फाउंडेशन के प्रतिनिधि बेस लाइन सर्वे कर आवश्यक सुझाव व सहयोग देने का काम शुरू कर चुके हैं.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अररिया को देश के उन 115 चयनित जिलों की सूची में रखा है जो शिक्षा व स्वास्थ्य आदि में मापदंड पर अन्य जिलों से काफी पिछड़े हैं, पर बदलाव संभव है. ऐसे जिलों को इंसपाइरेशनल डिस्ट्रिक्ट का नाम देते हुए नीति आयोग ने कुछ पैरामीटरों पर अधिक काम करने का निर्देश दिया है. योजना बनाने व सहयोग के लिये एजेंसी भी नामित किये गये हैं. बताया जाता है कि नामित एजेंसी ने बीते कुछ दिनों में कुछ स्कूलों का सर्वे कर एक आरंभिक रिपोर्ट भी अधिकारियों को सौंप चुकी है. खबर है के एजेंसी के प्रतिनिधि स्कूलों का भ्रमण कर इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि बीमारी क्या है, इलाज क्या मुमकिन है. इसका भी आकलन हो रहा है कि पढ़ाई होती है तो बच्चे के सीखने का स्तर क्या है. आधारभूत संरचना और विशेष रूप से बालिका शौचालय पर ध्यान दिया जा रहा है. स्कूलों में गठित बाल संसद और मीना मंच आदि की गतिविधियों व प्रभाव का भी आकलन हो रहा है, ताकि सुधार का एक पूरा खाका तैयार कर उस पर अमल किया जा सके. वहीं संख्यात्मक व गुणात्मक दोनों ही तरह के सुधारों के लिये जन भागीदारी की संभावना को भी टटोला जा रहा है. जनांदोलन बनाने के लिए माहौल तैयार करने की भी कोशिश चल रही है.
शिक्षा सुधार के चल रहे प्रयासों पर चर्चा
शिक्षा सुधार के चल रहे प्रयासों पर चर्चा के क्रम में पीरामल फाउंडेशन के सीनियर प्रोग्राम लीडर अभिषेक रंजन ने माना कि कुछ स्कूलों का जायजा लिया गया है.
उन्होंने कहा कि भ्रमण के क्रम में उत्क्रमित मध्य विद्यालय मेघा, कुर्साकांटा, रानीगंज का कमलपुर स्कूल व उमवि डाढ़ापीपर जैसे कुछ काफी बेहतर स्कूल मिले हैं. ऐसे सरकारी स्कूल बाकी स्कूलों के लिए रोल मॉडल साबित होंगे. अब तक के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ग 6 से नामांकन में कमी आना एक बड़ी समस्या दिख रही है. इसे रोकना होगा. कहा कि उन स्कूलों की स्थिति काफी बेहतर पायी जा रही है जहां समय पर प्रार्थना सभा होती है. स्कूल में बाल संसद व मीना मंच के तहत गतिविधियां होती हैं. अधिकारी श्री रंजन ने कहा कि सरकारी स्कूलों को न केवल बचाना बल्कि बेहतर बनाना बहुत जरूरी है. स्वास्थ्य, शिक्षा, आंगनबाड़ी व पीएचइडी सहित विभिन्न विभागों को आपसी समन्वय स्थापित कर समग्र प्रयास करना होगा. श्री रंजन ने ये भी कहा कि सुधार व बदलाव बिल्कुल संभव है पर शर्त ये है कि सकारात्मक सोच के साथ प्रयास हो. जन भागीदारी को भी सुनिश्चित करने के उपाय ढूंढ़ने होंगे.
कहानी से होगी विद्यालय से बच्चों को जोड़ने की पहल
नीति आयोग की सहयोगी संस्था पीरामल फाउंडेशन ने जारी किया टॉल फ्री नंबर, रोज नयी रोचक कहानी सुनेंगे बच्चे
अररिया के आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों में बच्चों के उपस्थिति और ठहराव सुनिश्चित करने के लिए कहानियों का सहारा शिक्षक व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लेंगे. इसके लिए नीति आयोग की सहयोगी संस्था पीरामल फाउंडेशन की ओर से एक टॉल फ्री नंबर 180030026797 जारी किया गया है, जिसकी मदद से बच्चों को रोज नयी-नयी कहानियां रोचक अंदाज में सुनने को मिलेगी. बीते दिनों जिलाधिकारी हिमांशु शर्मा एवं उप विकास आयुक्त सुश्री रंजीता ने टॉल फ्री नंबर को जारी किया था. छोटे बच्चों को कहानी सुनने की स्वाभाविक ललक होती है, जाहिर सी बात है ये कहानियां बच्चों को पसंद आयेगी और कहानी सुनने की इच्छा लिए वे विद्यालय में आना चाहेंगे.
इन कहानियों के जरिये न केवल ज्ञान संवर्धन में मदद मिलेगी बल्कि इसके साथ साथ भाषा पर पकड़ बनाने का उद्देश्य भी सफल होगा. नीति आयोग/पीरामल फाउंडेशन कार्यक्रम के सीनियर प्रोग्राम लीडर अभिषेक रंजन ने बताया कि अररिया के आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों में
पाठ्यक्रम के अलावे व्यक्तिगत विकास पर केंद्रित कार्य में यह पहल उपयोगी साबित होगी. इसमें एक तरह की कहानी सभी बच्चों के लिए होगी, जिससे आपस में बैठकर सब चर्चा करेंगे. यह टॉल फ्री नंबर दिन में सुबह 9 बजे से सायं 5 बजे तक सक्रिय रहेगा, जिस पर एक बार से ज्यादा भी कॉल किया जा सकता है. फिलहाल यह टॉल फ्री नंबर बच्चों के लिए जारी किया गया है,
जिसमें नंबर पर कॉल करने पर 6 डायल करने पर ऑप्शन आयेगा, जिसमें कहानी के लिए 1 टाइप करने होंगे. उम्मीद है इस पहल से अनुपस्थिति और ठहराव की समस्या से निजात पाने में शिक्षकों को सहायता मिलेगी. आने वाले समय में यह टॉल फ्री नंबर प्रधानाध्यापकों, शिक्षकों, प्रशिक्षकों, सलाहकारों के लिए भी उपलब्ध होगा. जहां वे अपनी जरूरतों के लिए इस वर्चुअल मंच का इस्तेमाल कर सकेंगे. विदित हो कि नीति आयोग अररिया सहित देश के 115 जिलों के विकास के लिए विशेष रूप से प्रयास कर रही है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना, कृषि एवं आर्थिक विकास पर केंद्रित है. शिक्षा क्षेत्र में अररिया में कार्य करने के लिए नीति आयोग एवं पीरामल फाउंडेशन साथ मिल कर कार्य करेंगे.

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