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पापड़ की तरह टूटी सड़क, उड़ता हुआ पुल
लापरवाही : कहानी नेपाल सीमा पर स्थित अररिया के एबीएम सिकटी सड़क की, सड़क के नाम पर पांच पुल बने, पुल जर्जर हो गये, सड़क नहीं बनी पुष्यमित्र अररिया : यह सड़क बांग्लादेश की नहीं है, यह अपने ही बिहार की है. अररिया जिले के बैरगाछी से आप जैसे ही कुछ कदम आगे बढ़ेंगे, आपको […]
लापरवाही : कहानी नेपाल सीमा पर स्थित अररिया के एबीएम सिकटी सड़क की, सड़क के नाम पर पांच पुल बने, पुल जर्जर हो गये, सड़क नहीं बनी
पुष्यमित्र
अररिया : यह सड़क बांग्लादेश की नहीं है, यह अपने ही बिहार की है. अररिया जिले के बैरगाछी से आप जैसे ही कुछ कदम आगे बढ़ेंगे, आपको यह झूलती हुई, पापड़ की तरह टूटी हुई सड़क नजर आयेगी और साथ ही खाट की तरह रखा हुआ पुल भी. ऐसा लगेगा कि उड़न खटोला हो.
इस भयावह सड़क का नाम है एबीएन सिकटी रोड. जो अररिया के सिकटी प्रखंड को जिला मुख्यालय से जोड़ती है. लोग बताते हैं कि इस सड़क पर कभी बस सेवा नहीं चली. चारपहिया वाहन भी राम-राम करते ही गुजरती है. 1974 में बनी यह सीमावर्ती सड़क फिर कभी दुबारा नहीं बनी. सात बड़े नेताओं के शिलान्यास के बावजूद. हां, इस बीच इस सड़क पर बने लकड़ी और लोहे के छह पुलों को सीमेंटेड पुल में बदलने का काम शुरू जरूर हुआ और पांच पुल तैयार भी हुए. तकनीकी वजहों से रानीपुर स्थित पुल बन नहीं सका.
संवेदक काम आधा छोड़कर गायब हो गया. अब उस जगह मोटरसाइकिल वाले नाव से नदी पार करते हैं, फिर आगे बढ़ते हैं. तीन-चार साल पहले बने ये पुल सड़क बनने के इंतजार में जर्जर हो रहे हैं. बकरा नदी के प्रवाह से तबाह हो रहे हैं.
नेताओं-ठेकेदारों के लिए बन गयी है कामधेनु : इस सड़क में आगे बढ़ने पर मदनपुर में स्थानीय समाजसेवी बुजुर्ग शिव सुंदर भारती कहते हैं, सात शिलान्यासों के बदले हमलोगों को सात किमी सड़क मिल गयी होती तो यह खुशनसीबी होती. मगर यह नेताओं और ठेकेदारों के लिये कामधेनु गाय हो गयी है.
टुकड़े-टुकड़े में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत कुछ काम अकसर होता है, मगर इससे जनता का कोई भला नहीं होता. ठेकेदारों की रोजी चलती है और नेताओं को कमीशन मिलता है. इस सड़क के अस्तित्व को इसके बगल से बहने वाली बकरा और उसकी सहायक नदियों ने काफी प्रभावित किया है. कटाव के लिये मशहूर यह नदी नये बने पुलों को भी नुकसान पहुंचाती रही है. इसी की मार की वजह से सड़क झूलती हुई नजर आती है.
सात शिलान्यासों के बावजूद नहीं बनी सड़क
महज 32 किमी लंबी इस सड़क पर आपको जगह-जगह उन नेताओं के शिलान्यास के बोर्ड दिखेंगे, जिन्होंने इसे पूरा करने का निश्चय किया था, मगर सड़क बन नहीं पायी. इन्हीं नेताओं में पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस का भी नाम शामिल है, जिन्होंने 2003 में इसे सीमा सड़क के तहत लाने की कोशिश की थी. तब इसे 7 मीटर चौड़ी सड़क बनाने की योजना बनी थी.
सर्वेक्षण भी हुआ था. मगर उनकी कोशिशें भी नाकाम रही हैं.
इनके अलावा पूर्व विधायक स्व अजीमुद्दीन, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रामजी दास, पूर्व सांसद प्रदीप सिंह, सांसद तस्लीमुद्दीन, सिकटी विधायक विजय मंडल, जिला परिषद अध्यक्ष आफताब अजीम उर्फ पप्पू ने भी इस सड़क का शिलान्यास किया मगर बनवा नहीं सके.
सड़क निर्माण व मरम्मत के लिए टेंडर जारी हुए हैं : डीएम
अररिया के जिलाधिकारी हिमांशु शर्मा ने कहा कि यह हमारे जिले की प्रमुख सड़क है. इसे बनाने का प्रयास चल रहा है. इसके पहले हिस्से में मरम्मत का काम होना है और दूसरे हिस्से का निर्माण होना है.
इसके लिए टेंडर जारी किया गया है. एक पुल का निर्माण तकनीकी कारणों से रुका है. उसके लिये ड्रिलिंग मशीन मंगवाई जा रही है. जो पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनकी मरम्मत के लिये कहा गया है. उम्मीद है कि यह जल्द बेहतर रूप में नजर आएगी.
हिमांशु शर्मा, जिलाधिकारी,
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