बिहार भवन उपविधि का नहीं हो रहा पालन
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नप क्षेत्र के 17 हजार घरों में रहनेवाले सुरक्षित नहीं
बिहार भवन उपविधि का नहीं हो रहा पालन आम लोग अपने घरों को सुरक्षित मान कर रहते हैं. लेकिन उन्हें यह पता नहीं कि उनका घर सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है. इसके लिए नगर परिषद से अधिभोग प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है. अररिया : शहर में मकान पर मकान बनते जा रहे […]
आम लोग अपने घरों को सुरक्षित मान कर रहते हैं. लेकिन उन्हें यह पता नहीं कि उनका घर सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है. इसके लिए नगर परिषद से अधिभोग प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है.
अररिया : शहर में मकान पर मकान बनते जा रहे हैं. नतीजा है कि शहर में मकानों की संख्या 17 हजार के करीब पहुंच चुकी है. लेकिन शहर में बने ये मकान सुरक्षा के मानकों पर कितना खरा उतर पा रहे हैं इसका जवाब खुद उस भवन में रह रहे लोगों को भी नहीं पता है. लोगों की जानकारी के लिए प्रभात खबर यह बताना चाह रहा है कि जिस भवन में लोग रह रहे हैं, वह अपने मानक पर खरा उतर रहा है या नहीं. इसके लिए नव निर्मित भवन में रहने से पहले नगर परिषद को अधिभोग प्रमाण पत्र नगर परिषद से लेना अनिवार्य है. भवन मालिक अपने घर में रहने से पहले अगर अधिभोग प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेता है,
तो मकान में रहने के दौरान मकान गिरता है तो इसकी जिम्मेवारी नप की होती है. दिलचस्प बात तो यह है कि आज तक नप से एक भी अधिभोग प्रमाण पत्र तक निर्गत नहीं हुआ है. इससे यह साफ दिख रहा है कि अररिया जो कि भूकंप जोन पांच में आता है. अररिया नप के 17 हजार मकानों में रहने वाले लोग असुरक्षित हैं.
नगरवासियों को सुरक्षा दिलाने की जिम्मेवारी किसकी है. सवाल बड़ा जरूर है लेकिन रटा-रटाया सा जवाब है नगर परिषद का. लेकिन उससे भी बढ़कर यह जिम्मेवारी आम लोगों की भी है. इसके साथ ही भवन निर्माण से पहले सही आर्टिकेक्ट व बिहार नगरपालिका उप विधि 2014 के सही जानकारी होना भी आवश्यक है.
10 हजार मकान नहीं उतर रहे हैं सुरक्षा के मापदंडों पर खरा : अररिया नप क्षेत्र में कराये गये सर्वे के आधार पर शहर में कुल मकानों की संख्या 16881 है. इनमें से 11 हजार पक्का मकान हैं, जबकि 5881 कच्चा व अर्द्ध पक्का मकान है. मकान के निर्माण के लिए अररिया नप से दो वर्षों के दौरान 150 व इससे पहले एक हजार नक्शा स्वीकृत कराये गये हैं. इन आंकड़ों से यह स्पष्ट दिख रहा है कि लगभग 10 हजार मकान जो शहर में है वे बगैर किसी नक्शा या सीधे तौर पर नगर परिषद के अनुमति बगैर बनाये गये हैं. अगर नप से नक्शा स्वीकृत नहीं हुआ है तो मकान में रहने से पहले अधिभोग प्रमाण पत्र भी नहीं निर्गत हुआ होगा. इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि खुद को असुरक्षित रखकर जानबूझ कर लोग भूकंप के जोन पांच में आराम से रह रहे हैं. इन्हें न तो प्रशासनिक कार्रवाई की चिंता है. न खुद की सुरक्षा की.
कड़ा है नियम फिर प्रशासनिक ढिलाई क्यों
शहर में मकान बनाने के कड़े नियम है. इसका पालन नहीं करने वालों के विरुद्ध कड़े दंड के प्रावधान भी हैं. बावजूद शहर में दिन प्रतिदिन धड़ल्ले से पक्का मकानों का निर्माण हो रहा है. इसे रोकने की दिशा में पदाधिकारी टाल-मटौल का रवैया अपनाते दिख रहे हैं. हालांकि शहर में अगर सुरक्षा का मापदंडों को धत्ता दिखा कर अगर मकान बन रहे हैं, तो इसके पीछे बड़े से छोटे कर्मियों की मेहरबानी तो जरूर ही रहती है. बिहार भवन उप विधि 2014 जो कि 31 दिसंबर 2014 से लागू हुआ है के अनुसार मकान बनाने से पहले नक्शा, उसके बाद अधिभोग प्रमाण पत्र लिये बगैर अपने बने मकान में रहना भी सजा व दंड के श्रेणी में आता है.
नक्शा बनाने का प्रावधान : जानकारी अनुसार अगर कोई 10 लाख से कम प्राक्कलन का मकान बना रहा है तो उसे 8000 रुपये का विकास शुल्क, आवासीय परिसर के लिए 6 रुपये वर्ग मीटर व वाणिज्यिक के लिए 12 रुपये वर्ग मीटर, अमीन के लिए 1500 रुपये का शुल्क नप के नक्शा स्वीकृति विभाग में जमा कराना होता है. इसके अलावा नप से निबंधित वास्तुविद से बनाये गये नक्शा की प्रीति जमा करनी पड़ती है. अगर मकान का प्राक्कलन 10 लाख रुपये से ऊपर है तो प्राक्कलन का एक प्रतिशत लेबर शेष की रकम बढ़ जाती है.
दोषी लोगों पर बिहार नगरपालिका अधिनियम के तहत की जायेगी कार्रवाई
अवैध निर्माण को बिहार भवन उपविधि 2014 व बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति नक्शा पास कराने के बाद भी अगर बगैर अधिभोग प्रमाण पत्र लिये घर में रहे रहें हैं,तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जायेगी.
भवेश कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी
धड़ल्ले से चल रहा है भवनों का निर्माण
भूकंप पांच जोन में आने वाले अररिया में रह रहे लोगों की सुरक्षा खतरे में
नगर परिषद द्वारा नहीं की जा रही है भौतिक जांच
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