कार्यालय द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गयी सूचना से हो रहा है खुलासा
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कितने ओवरलोडिंग ऑटो पर हुई कार्रवाई विभाग को पता नहीं
कार्यालय द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गयी सूचना से हो रहा है खुलासा अररिया : ओवरलोडिंग के कारण पिछले दस वर्षों में कितने ऑटो के चालकों के विरुद्ध परिवहन कार्यालय द्वारा कार्रवाई की गयी है, इसकी जानकारी परिवहन विभाग के पास नहीं है. इसका खुलासा कार्यालय द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी […]
अररिया : ओवरलोडिंग के कारण पिछले दस वर्षों में कितने ऑटो के चालकों के विरुद्ध परिवहन कार्यालय द्वारा कार्रवाई की गयी है, इसकी जानकारी परिवहन विभाग के पास नहीं है. इसका खुलासा कार्यालय द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दी गयी सूचना से हो रहा है. अररिया आरएस के आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल अग्रवाल ने इस संबंध में परिवहन कार्यालय से सूचना मांगी थी. उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि पिछले दस वर्ष में कितने ऑटो (मालवाहक या यात्री वाहन) अथवा ऑटो चालकों के विरुद्ध ओवरलोडिंग को ले कार्रवाई की गयी है.
अधिकारियों ने दस वर्षों में जमा नहीं किया सीजर बुक
ओवरलोडिंग मामले में लोक सूचना पदाधिकारी ने केवल इतना भर जवाब दिया है कि ओवरलोडिंग संबंधी कार्रवाई की विस्तृत विवरणी सिजर लिस्ट में अंकित रहता है. सीजर लिस्ट का बुक पूर्ण रूपेण प्रयोग हो जाने के बाद परिवहन विभाग में जमा कर दिया जाता है. इस जवाब से यह स्पष्ट होता है कि पिछले दस वर्ष में परिवहन कार्यालय को कोई सिजर बुक किसी अधिकारी ने जमा नहीं किया है.
सिजर काटने वाले अधिकारियों ने या तो दस वर्षों में सीजर बुक जमा नहीं किया या फिर जमा किये गये सिजर बुक को कार्यालय द्वारा अवलोकन ही नहीं किया गया. यदि सिजर बुक लेने वाले अधिकारियों ने सिजर बुक जमा नहीं किया तो कार्यालय ने संबंधित अधिकारी से पूछताछ किया या नहीं. इसके अलावा एक सवाल यह भी उठता है कि ओवर लोडिंग के मामले में जब सिजर बुक परिवहन कार्यालय में जमा नहीं किया गया तो आखिर दस वर्ष पूर्व वितरित सीजर बुक कहां है.
क्योंकि अधिकारियों को तो कई बार तबादला हुआ होगा. आखिर एक सीजर बुक में कितने पन्ने होते हैं जो दस वर्ष में समाप्त नहीं हुए. जाहिर है ओवरलोडिंग के मामले में सीजर काटा गया होगा. सीजर की एक कॉपी परिवहन कार्यालय में जमा की जाती है. ताकि वाहन मालिक सीजर लिस्ट के आधार पर संबंधित वाहन को जुर्माना लगा सकें. वाहन मालिक द्वारा जुर्माने राशि जमा करने के बाद ही वाहन मालिक को कार्यालय द्वारा रिलीज ऑर्डर दिया जाता है.
इसके आधार पर वाहन को सीजर काटने वाले अधिकारी द्वारा मुक्त किया जाता है. इस मामले में आरटीआइ कार्यकर्ता कहते हैं कि या तो कार्यालय ने सीजर कॉपी को समग्र नहीं किया या फिर कार्यालय द्वारा सूचना देने में आनाकानी की जा रही है. श्री अग्रवाल को जो जानकारी दी गयी है उससे तो यही स्पष्ट होता है कि विभाग के पास ना तो कोई सीजर लिस्ट जमा हुआ और ना ही इस संबंध में उसे कोई जानकारी है.
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