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नहीं मिल रहा 26 हजार करोड़ रुपये का हिसाब

पटना: यह अजीब विडंबना है कि पहले डीसी बिल के समायोजन को लेकर तीन वर्ष तक ऊपर से लेकर नीचे तक हाय-तोबा मचा रहा और अब उपयोगिता प्रमाणपत्र सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है. उपयोगिता प्रमाणपत्र मामले की अब सुप्रीम कोर्ट मॉनीटरिंग कर रहा है और नीचे के अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं. […]

पटना: यह अजीब विडंबना है कि पहले डीसी बिल के समायोजन को लेकर तीन वर्ष तक ऊपर से लेकर नीचे तक हाय-तोबा मचा रहा और अब उपयोगिता प्रमाणपत्र सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है.

उपयोगिता प्रमाणपत्र मामले की अब सुप्रीम कोर्ट मॉनीटरिंग कर रहा है और नीचे के अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं. कभी चुनाव की तैयारी, तो कभी बजट बनाने की तैयारी और कभी परीक्षा के आयोजन की जिम्मेवारी. ऐसे में ऊपर से लेकर नीचे तक सब परेशान हैं. वित्त विभाग के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2003-04 से लेकर 31 अगस्त, 2012 तक विभिन्न विभागों को 37865.49 करोड़ रुपये अनुदान व सहायक अनुदान मद में दिये गये हैं. अब तक मात्र 11128.95 करोड़ रुपये का ही उपयोगिता प्रमाणपत्र महालेखाकार कार्यालय को मिल पाया है यानी 26 हजार करोड़ से अधिक का हिसाब विभागों के यहां बकाया है.

परेशानी सिर्फ विभागों के सामने ही नहीं है, बल्कि महालेखाकार कार्यालय की भी कमोवेश यही स्थिति है. वहां की स्थिति यह है कि 5842.75 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र समायोजन के लिए महीनों से पड़ा हुआ है. वहां भी काम करने की सुस्त चाल है. सूत्रों के अनुसार वहां भी मैन पावर व जगह की कमी है. महालेखाकार के अधिकारियों ने मुख्य सचिव को आश्वासन दिया है कि अगले सप्ताह तक सभी लंबित उपयोगिता प्रमाणपत्र का समायोजन कर लिया जायेगा.

यहां फंसा है पेच
विभागों की बात करें, तो शिक्षा विभाग एक मात्र ऐसा विभाग है जिसे 17305 करोड़ का हिसाब यानी उपयोगिता प्रमाणपत्र देना है. इसे लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी परेशान हैं. मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने जब इसकी समीक्षा की, तो विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि राज्य में आठ हजार से अधिक पंचायतों के मुखिया तथा वहां के विद्यालयों के प्रधानाचार्य से हस्ताक्षर कराना आसान काम नहीं है. इसमें समय लगेगा. वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रावधान यह है कि सहायक अनुदान/ अनुदान की राशि खर्च करनेवाली संस्था को ही उपयोगिता प्रमाणपत्र तैयार करना है तथा उस पर हस्ताक्षर करना है.

वित्त विभाग करे समाधान
वित्त विभाग को निर्देश दिया गया है कि अगर आवश्यक हुआ तो बिहार ट्रेजरी कोड में संशोधन कर प्रावधानों को सरल बनाया जाये. शिक्षा विभाग की समस्या का समाधान प्राथमिकता के तौर पर हो. राशि को लेकर अगर कहीं विवाद है, तो एजी के साथ संपर्क कर उसका समाधान हो.

अशोक कुमार सिन्हा , मुख्य सचिव

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