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संसाधनों के अभाव में उलझा किशोरों के न्याय का सपना

रिमांड होम के अभाव में आरा भेजे जाते हैं बच्चे संवाददाता, बक्सर बालकों को बेहतर और सुगम न्याय दिलाने के उद्देश्य से सरकार ने किशोर न्याय परिषद का गठन किया है. लेकिन हाल के वर्षो में किशोरों में बढ़ रही गंभीर अपराध प्रवृत्ति के कारण किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन […]

रिमांड होम के अभाव में आरा भेजे जाते हैं बच्चे
संवाददाता, बक्सर
बालकों को बेहतर और सुगम न्याय दिलाने के उद्देश्य से सरकार ने किशोर न्याय परिषद का गठन किया है. लेकिन हाल के वर्षो में किशोरों में बढ़ रही गंभीर अपराध प्रवृत्ति के कारण किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन मुकदमें सामने आ रहे हैं. संसाधनों और कर्मियों के अभाव के कारण किशोर न्याय परिषद मामलों को त्वरित निष्पादन करने में असहाय नजर आ रहा है.
वर्ष 2008 में हुआ था न्याय परिषद का गठन
जिले में किशोर न्याय परिषद का गठन वर्ष 2008 में हुआ था. यह परिषद व्यवहार न्यायालय के तीसरे तल्ले के एक कमरे में संचालित हो रहा है.परिषद के संचालन के लिए प्रधान सदस्य सह न्यायिक दंडाधिकारी सुनील कुमार चौबे, सदस्य डा. शशांक शेखर, उर्मिला सिंह को नियुक्त किया गया है. बोर्ड के कार्यो के निबटाने के लिए बेंच क्लर्क, कंप्यूटर ऑपरेटर समेत अनुसेवियों की नियुक्ति नहीं होने से बच्चों को न्याय देने वाली पीठ को कार्यो के निबटाने में प्रतिकूल असर पड़ने लगा है. किशोर न्यास परिषद के लिए दो बेंच क्लर्क, एक ऑपरेटर, एक अनुसेवी का पद सृजित है. जबकि अनुमंडल से सुनील कुमार को यहां प्रतिनियोजित कर बेंच क्लर्क का काम लिया जा रहा है. प्रशासन ने कंप्यूटर भी उपलब्ध करा दिया है, लेकिन अभी तक ऑपरेटर की नियुक्ति नहीं की गयी है.बोर्ड के प्रधान सदस्य ने जिलाधिकारी को पत्र लिख कर संसाधन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.
522 मामलों पर चल रही है सुनवाई
स्थानीय किशोर न्याय परिषद में 522 मामले की सुनवाई चल रही है. जबकि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 90 मामलों का निस्तारण करते हुए बोर्ड ने बच्चों को न्याय दिलाया. न्यायालय सूत्र बताते हैं कि प्रति माह किशोर से संबंधित 15 से 20 मामले मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के यहां से अलग करते हुए सुनवाई के लिए किशोर न्याय परिषद के सामने भेजा जाता है.
किशोर न्याय परिषद के सदस्य डॉ शशांक शेखर ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में बच्चों को शीघ्र न्याय उपलब्ध कराने के लिए किशोर से संबंधित मामलों में अंतिम प्रपत्र विभिन्न थानों में गठित किशोर पुलिस इकाई द्वारा अब सीधे न्याय परिषद के समक्ष दाखिल करेगा.
क्या कहते हैं सदस्य
डॉ शेखर बताते हैं कि इस संबंध में बोर्ड के प्रधान सदस्य सुनील कुमार चौबे ने आरक्षी अधीक्षक को पत्र लिख कर उच्च न्यायालय के आदेश के संबंध में सूचित कर दिया है. उच्च न्यायालय का मानना है कि किशोर न्याय परिषद बालकों के बेहतर हित को देखते हुए विधि विवादित मामले में अपने स्तर से जांच कर शीघ्र न्याय उपलब्ध कराये. वहीं बक्सर में बच्चों के लिए रिमांड होम नहीं होने के कारण विधि विवादित किशोर को आरा रिमांड होम में भेजा जाता है.
जिसके कारण प्रत्येक तिथियों पर किशोर परिषद के समक्ष उपस्थित नहीं हो पाते हैं. समय रहते जिला प्रशासन बच्चों के बेहतर हित को देखते हुए आवश्यक संसाधन नहीं उपलब्ध कराया तो सरकार के इस सुलभ न्याय का सपना बच्चों के लिए सपना बन कर रह जायेगा.

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