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पिछले वर्ष 1052 बलात्कार की घटनाओं सहित महिलाओं के खिलाफ 10898 अपराध हुए

पटना : बिहार के सभी जिलों में महिला थाना खोले जाने तथा पुलिस के विभिन्न पदों पर बहाली में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने के बावजूद यहां महिला अपराध के मामले बढे हैं और पिछले वर्ष यह संख्या बढकर 10898 पहुंच गयी.राज्य के पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने प्रदेश में महिलाओं से जुडे […]

पटना : बिहार के सभी जिलों में महिला थाना खोले जाने तथा पुलिस के विभिन्न पदों पर बहाली में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने के बावजूद यहां महिला अपराध के मामले बढे हैं और पिछले वर्ष यह संख्या बढकर 10898 पहुंच गयी.राज्य के पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने प्रदेश में महिलाओं से जुडे अपराधों में अब डीएनए जांच सहित अन्य वैज्ञानिक तरीकों से अनुसंधान किए जाने का दावा करते हुए कहा कि महिला अपराध में वृद्धि इसलिए नजर आ रही है कि क्योंकि अब ऐसे मामले दर्ज किये जा रहे हैं. बिहार पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकडों के मुताबिक पिछले वर्ष नवंबर तक प्रदेश में महिलाओं से जुड़े 10898 अपराध के मामले दर्ज किए गए जिसमें बलात्कार, अपहरण, छेडखानी, दहेज और दहेज प्रताडना के क्रमश: 1052, 4102, 299, 1129 और 4316 मामले शामिल हैं.

वर्ष 2012 में बिहार में महिलाओं से जुडे 9795 अपराधों में बलात्कार, अपहरण, छेडखानी, दहेज और दहेज प्रताडना के क्रमश: 927, 3789, 118, 1275 और 3686 मामले शामिल थे. आधी आबादी के हितों और उनके सशक्तीकरण की बात करने वाली नीतीश सरकार के कार्यकाल के दौरान महिलाओं को पंचायती राज संस्थानों और स्थानीय निकायों में तथा शिक्षकों की नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के प्रयास के बावजूद प्रदेश में उनके खिलाफ अत्याचार और उत्पीडन की घटनाओं में वृद्धि का क्रम लगातार जारी है.नीतीश सरकार के पिछले आठ र्वष के कार्यकाल के दौरान बिहार में महिला अपराध के आंकडों पर अगर नजर डाली जाए तो वर्ष 2006, 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012 एवं 2013 में क्रमश: 4974, 4969, 6186, 6393, 6790, 8141, 9795 और 10898 मामले दर्ज किए गए. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 एवं 2013 में दिल्ली में हुई बलात्कार की दो घटनाओं को लेकर भी बिहार चर्चा में रहा था. वर्ष 2012 में 16 दिसंबर को एक 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में बिहार के औरंगाबाद जिले के तंडवा थाना अंतर्गत लाहनकर्मा गांव निवासी अक्षय कुमार को दिल्ली की एक अदालत ने अन्य तीन आरोपियों के साथ फांसी की सजा सुनायी थी. पिछले वर्ष 15 अप्रैल को दिल्ली के गांधीनगर में एक पांच वर्षीय बच्ची के साथ बर्बरतापूर्ण बलात्कार मामले में बिहार के मुजफ्फरपुर जिला निवासी मनोज कुमार साह और शेखपुरा जिला निवासी प्रदीप कुमार को गिरफ्तार किया गया था.

वहीं हाल ही में पश्चिम बंगाल में एक 16 वर्षीय बिहार की एक लडकी के साथ दो बार सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके बाद आरोपियों के सहयोगियों द्वारा उसे कथित तौर पर आग के हवाले कर दिये जाने से उसकी मौत हो गयी. इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए पिछले दो जनवरी को विशेष शाखा के पुलिस महानिरीक्षक जे एस गंगावार को पीडिता के परिजनों से मुलाकात करने कोलकाता भेजने के साथ उनके लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से अनुग्रह अनुदान राशि के तौर एक लाख रुपये का चेक भेजा था.पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फिरहद हकीम ने इसे बिहार सरकार द्वारा उनके प्रदेश के मामले में हस्तक्षेप बताया था. इस पर गत 6 जनवरी को नीतीश ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि इस मामले में बिहार सरकार की प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी. उनकी सरकार ने अपने दायित्व को निभाया है.

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