– प्रभंजयकुमार –
गयाजी में तीन लाख तीर्थयात्रियों ने किया पिंडदान व तर्पण
गया : ‘यदि संतान से अपनी सेवा चाहते हो, तो तुम भी संतान हो, अत: सेवा करो.’ पितृपक्ष मेले में इसी श्रद्धा के साथ सैलाब उमड़ रहा है. आस्था के साथ तीर्थयात्री अपने माता–पिता व पूर्वजों का पिंडदान कर रहे हैं कि कल हमारे संतान भी गयाजी आयेंगे और मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान व तर्पण करेंगे.
रविवार को तीर्थयात्रियों की भीड़ पितृपक्ष मेले में ऐसा की देवघाट से लेकर विष्णु पद मंदिर परिसर में तिल रखने की जगह नहीं थी.
गयाजी के विभिन्न वेदियों पर लगभग तीन लाख तीर्थयात्री पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान व तर्पण करने में लीन रहे. तीखी धूप की परवाह किये बगैर देश–विदेश के तीर्थयात्री विधि–विधान के साथ पूर्वजों के लिए गयाजी में मोक्ष प्राप्ति का आन किया व पूर्वजों से परिवार की सुख–समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगा.
गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का महत्व बेटियां भी समझने लगी हैं. रविवार को देवघाट, फल्गु नदी, पंचमुखी हनुमान मंदिर व विष्णुपद मंदिर परिसर में कई बेटियों ने कुल के उद्धार के लिए पिंडदान किया.
दिव्या ने किया माता–पिता का पिंडदान : छत्तीसगढ़ की बिलासपुर की रहने वाली दिव्या राणा ने संतान होने का धर्म निभाते हुए माता–पिता व पूर्वजों का पिंडदान किया. दिव्या के माता–पिता की सड़क दुर्घटना में एक साल पहले जान चली गयी थी. ‘कुल’ में दिव्या के बाद इसकी छोटी बहन करुणा राणा ही ‘दीपक’ है.
इनके साथ रहे मामा संजीव नेगी व नाना जगजीत सिंह नेगी बताते हैं कि माता–पिता की मौत के बाद करुणा की पढ़ाई में मन नहीं लगाने लगा. फिलहाल चेन्नई में एमबीबीएस की छात्रा है.
दिव्या यूबीआइ बैंक (चेन्नई) में मैनेजर है. इसे छोटी बहन के दर्द को देखा नहीं गया और पुरोहित को बुलाया. पुरोहित ने माता–पिता का कर्मकांड करने की सलाह पितृपक्ष मेले में दी. इसके बाद से ही खुद दिव्या ने गयाजी में पिंडदान करने की तैयारी में लगी रही और कुल के उद्धार के लिए पिंडदान कर रही है.
नाना जगजीत सिंह बताते हैं कि दिव्या जैसी एक बेटी भगवान सभी को जरूर दे, जो कभी बेटा नहीं होने का एहसास न होने दे. अंत में दिव्या बताती हैं कि आज मैंने हिम्मत की. इससे कल और बहनों का हौसला बढ़ेगा. गयाजी में पिंडदान करने से कुल का उद्धार हो जाता है, यह मैंने इंटरनेट पर पढ़ा है.
इसी मान्यताओं के अनुसार, हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गयाजी में पिंडदान कर रही हूं.
बहनों ने मांगा आशीर्वाद
माता–पिता की आत्मा की शांति के लिए ही गिरीडीह की रहने वाली दो बहनें चंद्रिका देवी व सुनीता देवी भी विधि–विधान से विष्णुपद मंदिर परिसर में पिंडदान किया. बड़ी बहन सुनीता देवी बताती हैं कि माता–पिता ने हमारी खुशी के लिए सब दिन अच्छा सोचते रहे, हम दोनों को देख बेटा नहीं होने कभी चर्चा तक नहीं की, एक ही परिवार में दोनों बहनों के हाथ पीले कराये.
भरा परिवार है, लेकिन पिछले साल सड़क दुर्घटना में माता–पिता ने एक साथ धरती को छोड़ दिया. इनकी आत्मा की शांति के लिए दोनों बहनें गयाजी में पिंडदान कर रही हूं, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो और हमारे बच्चों को इतना आशीर्वाद दें–’आंगन में खुशियां ही खुशियां हों.’