पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि विशेष राज्य के दर्जा के मानकों में हो रहे बदलाव से हम आशान्वित हैं. विशेषज्ञों की कमेटी के सुझावों पर फैसला केंद्र सरकार को लेना है. गेंद केंद्र के पाले में है. हम निर्णय का इंतजार कर रहे हैं. अगर लोकसभा चुनाव से पहले बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला, तो यह चुनावी मुद्दा बनेगा. सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यकर्ता दरबार में मंत्रिमंडल कार्यक्रम में उन्होंने नौ जिले के लगभग आठ सौ पार्टी नेताओं के समक्ष यह एलान किया.
बन चुकी जनता की मांग
उन्होंने कहा, बिहार ने इसके लिए लंबा संघर्ष किया है. यह साढ़े दस करोड़ जनता की मांग बन चुकी है. सवा करोड़ से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किये. पहली बार पटना व नयी दिल्ली में राज्यहित के मुद्दे पर ऐतिहासिक रैली हुई. उन्होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि हमें किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा. वैसे मेरी मान्यता है कि लोकसभा चुनाव समय पर होगा. फिर भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं को हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए.
समाज में आयी मूक क्रांति
मुख्यमंत्री ने कहा, बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लिए स्वयं सहायता समूह द्वारा महिलाओं का सशक्तीकरण व एक करोड़ युवाओं के कौशल विकास के साथ ही रोजगार सृजन करना महत्वपूर्ण कार्य है. स्वयं सहायता समूह में महिलाओं की भूमिका से समाज में मूक क्रांति आयी है. पार्टी के सभी कार्यकर्ता इसमें अपनी भूमिका अदा करें. कहा कि संसाधनों के मुताबिक नियोजित शिक्षकों के वेतन में वृद्धि की गयी. मान्यताप्राप्त मदरसों को नियमित अनुदान, संस्कृत व मदरसा शिक्षकों को छठे वेतन का लाभ दिया गया. 50 हजार अल्पसंख्यक, एससी व अति पिछड़ी लड़कियों को हुनरमंद बनाया जायेगा.
खाद्य सुरक्षा बिल पारित होने के बाद पीडीएस सिस्टम के वितरण में स्वयं सहायता समूह को प्राथमिकता दी जायेगी. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की कार्यशैली ने बौद्धिक जगत में विकास मॉडल पर एक बहस छेड़ दी है. देश में मानव विकास सूचकांक राजनीति का कार्य एजेंडा बन गया है.