पटना: फ्लिपकार्ट डॉट कॉम समेत तमाम ऑनलाइन कंपनियों ने बिहार में फिर से कारोबार शुरू कर दिया है, लेकिन कंपनियों की परेशानी अभी कम नहीं हुई है.
मामला सेल्स टैक्स (बिक्री कर)और इंट्री टैक्स (प्रवेश कर)के बीच फंसा हुआ है. राज्य सरकार को कंपनियों से बिहार में व्यापार करने के बाद भी टैक्स नहीं मिल रहा है. इसके लिए विभाग इन कंपनियों पर फिर से कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है. ऑनलाइन व्यापार करने वाली कंपनियां इंट्री टैक्स देने के लिए तैयार हैं, लेकिन वाणिज्य कर विभाग को इस कर को वसूलने के लिए नीति बदलनी पड़ेगी या नयी नीति बनानी पड़ेगी. वर्तमान में इंट्री टैक्स वसूलने की नीति के तहत महज 33 वस्तुएं ऐसी हैं, जिन पर पांच से आठ प्रतिशत के बीच इंट्री टैक्स लगता है. सिर्फ तंबाकू, विदेशी वाइन और पेट्रोल-डीजल पर 16 तथा सीमेंट पर 12 फीसदी इंट्री टैक्स लगता है.
इन 33 वस्तुओं की सूची में किसी तरह के घरेलू या निजी उपयोग वाले उत्पाद शामिल नहीं हैं. इस वजह से कपड़ा, जूता व मोबाइल समेत अन्य उत्पाद इसकी जद से बाहर हैं. ये ऑनलाइन कंपनियां ऐसे ही उत्पादों का अधिक कारोबार करती हैं. ऐसे में इन उत्पादों पर इंट्री टैक्स वसूलने के लिए पहले इन्हें इसकी जद में लाना पड़ेगा. इसके लिए कैबिनेट की सहमति की जरूरत पड़ेगी. वाणिज्य कर विभाग चाहता है कि कंपनियां राज्य को बिक्री कर दें.
ये कंपनियां फिलहाल जो ग्राहकों से ‘वैट (वैल्यू एडेड टैक्स)’ लेती हैं, वह दूसरे राज्य को चला जाता है. बिहार को सीधे तौर पर कुछ हासिल नहीं होता है. इस वजह से विभाग इन कंपनियों से सीधे तौर पर वैट वसूलना चाहता है. राज्य में ऑनलाइन कंपनियों के 20-25 लाख उपभोक्ता हैं. हर महीने दो-तीन करोड़ का कारोबार होता है. कंपनियों को गोदाम या वेयर हाउस भी राज्य में बनाने के लिए कहा जा रहा है.