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अधिकारियों को अब हर हाल में गांवों में करना होगा रात्रि विश्रम, गांव जाओ, तभी मिलेगी तरक्की

पटना: सरकार द्वारा बार-बार हाकिमों को गांवों का रुख करने के निर्देश के बावजूद जिलों के शहर और गांव की दूरी कम नहीं हो रही है. अब मुख्यमंत्री ने जीतन राम मांझी ने ग्रामीण क्षेत्रों से दूरी बनाये रखनेवाले अधिकारियों की खबर लेने की तैयारी की है. सामान्य प्रशासन विभाग अब जिलों में तैनात डीएम-एसपी […]

पटना: सरकार द्वारा बार-बार हाकिमों को गांवों का रुख करने के निर्देश के बावजूद जिलों के शहर और गांव की दूरी कम नहीं हो रही है. अब मुख्यमंत्री ने जीतन राम मांझी ने ग्रामीण क्षेत्रों से दूरी बनाये रखनेवाले अधिकारियों की खबर लेने की तैयारी की है.

सामान्य प्रशासन विभाग अब जिलों में तैनात डीएम-एसपी के सर्विस रेकॉर्ड में इसे दर्ज करने की तैयारी कर रहा है. वैसे तो अंगरेजी हुकूमत के जमाने से प्रशासनिक व पुलिस के आला अधिकारियों की चरित्र पुस्तिका (सीआर) में इसे दर्ज करने का प्रावधान है, लेकिन प्रैक्टिस में नहीं है.

वर्ष 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब बिहार के ग्रामीण व सुदूर क्षेत्रों की यात्र पर निकले थे, तो उन्होंने तभी सभी प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को गांवों में रात्रि विश्रम करने और ग्रामीणों से सीधा संवाद स्थापित करने का निर्देश दिया था. तब मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि जिन गांवों में रात्रि विश्रम के लिए कोई सुविधा नहीं हो वहां ये अधिकारी स्वीस कॉटेज का निर्माण करा कर वहां रात्रि विश्रम करें, लेकिन शायद ही कोई अधिकारी राज्य के किसी ग्रामीण इलाके में इस तरह के दौरे के लिए निकला हो. लेकिन, अब सामान्य प्रशासन विभाग अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को प्रोन्नति की हरी झंडी से पहले उनके सर्विस रेकॉर्ड में यह भी देखेगा कि उक्त अधिकारी ने अपनी पदस्थापना के दौरान कितनी बार गांवों में रात्रि विश्रम किया है. दरअसल, राज्य सरकार अपने पदाधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों के विकास कार्यो से जोड़ना चाहती है.

एसपी रोस्टर तैयार कर मुख्यालय को भेजें
प्रशासनिक व पुलिस के आला अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये रात्रि विश्रम के आदेश का सख्ती पालन कराया जायेगा. राज्य पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में सभी जिलों के एसपी को स्पष्ट कर दिया है कि वे आने वाले दिनों में अपना कार्यक्रम बनाकर मुख्यालय को इसकी सूचना भेजें. डीजीपी पीके ठाकुर ने बताया कि उन्होंने कल जिलों से आये पुलिस अधीक्षकों की बैठक में भी साफ कर दिया है कि उन्हें हर हाल में ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सक्रियता बढ़ानी होगी. यह राज्य की विधि-व्यवस्था के लिए भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि पुलिस रेंजों में तैनात डीआइजी स्तर के अधिकारी अपने रेंज के सभी जिलों में जिलाधिकारियों और एसपी के साथ कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं. इसमें अब और भी तेजी लायी जायेगी.

प्रधान सचिवों व सचिवों को पहले से ही है निर्देश
मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि प्रधान सचिवों व विभागीय सचिवों को पहले से ही जिले का दौरा करने व गांवों में रात्रि विश्रम करने का निर्देश दिया गया है. मुख्यमंत्री के डीएम और एसपी को दिये गये निर्देश का हर हाल में अनुपालन किया जायेगा.

मैंने तो 120 रातें गांवों में गुजारीं : आइसी कुमार
पूर्व आइएएस अधिकारी आइसी कुमार ने कहा कि मैं 1963 में अनुमंडल पदाधिकारी के पद पर था, तब हमें गांवों में रात गुजारनी पड़ती थी. मैंने अपने सेवाकाल में ऐसी कुल 120 रात्रि विश्रम गांवों में की थी. तब यह हमारी सर्विस बुक में दर्ज की जाती थी. उन्होंने कहा कि अब समय बदल गया है. आज के प्रशासनिक अधिकारियों में आत्मीयता और सेवाभाव दोनों की कमी है. वे प्रशासनिक सेवा की नौकरी अपने स्टेटस सिंबल के रूप में लेने लगे हैं जबकि हमारे समय में इसे सेवाभाव के रूप में लिया जाता था.

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