फरजी मुठभेड़ : पटना में तीननिर्दोषछात्रों के हत्यारे पुलिसकर्मियों को सजा
सभी अभियुक्तों के खिलाफ आर्थिक दंड भी
कोर्ट ने 12 जून को ही मान लिया था दोषी
पटना : बारह वर्ष पूर्व फरजी मुठभेड़ में तीन छात्रों की हत्या मामले में एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को पटना जिले के शास्त्रीनगर थाने के तत्कालीन प्रभारी को फांसी और एक आरक्षी सहित सात अन्य पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनायी है. त्वरित अदालत (प्रथम) के न्यायाधीश रविशंकर सिन्हा ने मामले में शम्शे आलम को फांसी और अरुण कुमार सिंह को ताउम्र आजीवन कारावास और कमलेश कुमार गौतम, राजू रंजन, सोनी रजक, कुमोद कुमार, राकेश कुमार मिश्र व अनिल को उम्रकैद की सजा सुनायी है. सभी अभियुक्तों के खिलाफ अर्थ दंड भी लगाया गया है.
सीबीआइ जांच : इस मामले की जांच का जिम्मा अपराध अनुसंधान विभाग को दिये जाने के बाद उसे सीबीआइ को स्थानांतरित कर दिया गया. इस मामले में कुल 33 लोगों ने गवाही दी. शम्शे आलम 2003 से जेल में बंद हैं, जबकि बाकी अन्य सात अभियुक्तों को कोर्ट द्वारा गत पांच जून को दोषी करार दिये जाने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था.
28 दिसंबर 2002 की घटना
28 दिसंबर, 2002 को शास्त्रीनगर थाने के आशियानानगर इलाके में एक बाजार में फरजी मुठभेड़ में तीन छात्रों विकास रंजन, प्रशांत सिंह और हिमांशु शेखर की हत्या कर दी गयी थी. इनपर एक एसटीडी बिल की राशि के भुगतान को लेकर टेलीफोन बूथ ऑपरेटर और इन छात्रों के बीच हुई झड़प के दौरान मार्केट के अन्य दुकानदारों के साथ मिल कर पिटाई करने का आरोप था. घटना के बारे में जानकारी मिलने पर आरक्षी अरुण कुमार सिंह के साथ घटनास्थल पहुंचे. आलम ने इन छात्रों के सिर में गोली मारने के बाद उन्हें डकैत के रूप में पेश किया. मामले के सूचक मृत छात्रों में से एक विकास रंजन के भाई मुकेश रंजन थे.