पटना: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी), पटना के कंप्यूटर साइंस के अंतिम वर्ष के छात्र विवेक आनंद उर्फ बिट्ट की गुरुवार की शाम चार बजे बीच सड़क पर गोली मार कर हत्या कर दी गयी.
आनंद जब अपने दोस्त देव के साथ बाइक से बोरिंग रोड की ओर जा रहा था, तभी हमलावरों ने श्रीकृष्णापुरी थाने के सहदेव महतो मार्ग में टुंडे कबाब दुकान के सामने उसके सिर में पीछे से गोली मार दी. वह के पुनाईचक के मोहनपुर संप हाउस का निवासी था. उसके बड़े भाई अभिषेक उर्फ विक्की ने इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करायी है. इस मामले में पुलिस ने एक नेता के सरकारी अंगरक्षक को पकड़ा है और उससे पूछताछ कर रही है.
पुलिस सूत्रों का कहना है कि काफी साक्ष्य मिले हैं, जो सीधे तौर पर इस ओर इशारा करते है कि उसी सरकारी अंगरक्षक ने ही घटना को अंजाम दिया है. मामला उस सरकारी अंगरक्षक की एक युवती रिश्तेदार से जुड़ा है. उस युवती से छेड़खानी की जाती थी. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि मामले का जल्द ही खुलासा कर लिया जायेगा, क्योंकि पुलिस ने काफी ऐसे साक्ष्य जुटा लिये हैं, जिनसे घटना के खुलासा होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा.
बताया जाता है कि गोली लगने के बाद उसे पास के सीएनएस अस्पताल में ले जाया गया. लेकिन, स्थिति खराब होने के बाद उसे पीएमसीएच के आइसीयू में भरती कराया गया, जहां उसने शुक्रवार की सुबह दम तोड़ दिया. पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों के हवाले कर दिया है.
विवेक आनंद के पिता महेश प्रसाद कमल खान विभाग में चपरासी हैं और मुंगेर में पदस्थापित हैं. विवेक आनंद चार भाई बहनों में दूसरे नंबर पर था. बड़ा भाई अभिषेक उर्फ विक्की निजी फर्म में काम करते है, जबकि छोटा भाई गोलू एनआइटी में मैकेनिकल ब्रांच में पहले साल में है. उसकी बहन निशा बीएचयू आइआइटी में पढ़ती है. ये लोग मूल रूप से परसा थाने के सिमरा गांव के रहनेवाले हैं. लेकिन, पटना में मोहनपुर पुनाईचक संप हाउस के पास अपने मकान में कई वर्षो से रह रहे हैं. इसके चचेरे दादा देवी दयाल प्रसाद डीएम रह चुके हैं और परिवार के अन्य सदस्य भी सरकारी विभागों में ऊंचे-ऊंचे पदों पर पदस्थापित हैं.
बहन के एकाउंट में जमा कराने जा रहा था पैसा
विवेक आनंद की मां आशा देवी के कहने पर बहन निशा के एकाउंट में पैसा जमा कराने के लिए एटीएम कार्ड लेकर घर से निकला था. उसने अपनी बाइक बगल में ही रहनेवाले मित्र देव के घर पर लगा ली थी और उसकी बाइक से वह सहदेव महतो मार्ग होते हुए बोरिंग रोड की ओर जा रहा था. बाइक विवेक चला रहा था, जबकि देव पीछे की सीट पर था. वे लोग जैसे ही टुंडे कबाब दुकान के पास पहुंचे, वैसे ही पीछे से किसी ने उन लोगों पर गोली चला दी. गोली सीधे विवेक के सिर के पिछले हिस्से में लगी और गिर पड़ा. देव ने तुरंत ही इस घटना की जानकारी उसके परिजनों व पुलिस को दी.
काफी तेज था विवेक
विवेक के छोटे भाई गोलू ने बताया कि भैया पढ़ने में काफी तेज थे और हमेशा सभी की मदद करते थे. सभी परीक्षाओं में उन्हें अच्छा मार्क्स आता था. एनआइटी के सहपाठियों ने बताया कि विवेक हमेशा पॉजिटिव बात ही करते थे और अपने भाई-बहन को बहुत प्यार करने के साथ ही उनकी पढ़ाई में भी मदद करते थे. बहन निशा को उसने खुद पढ़ाया और उस लायक बनाया कि आज वह आइआइटी की छात्र है.
सभी को दी गयी एक ही जानकारी कि विवेक का हो गया है एक्सीडेंट
विवेक आनंद को जब गोली लगी थी, तो उसके पिता महेश प्रसाद कमल मुंगेर में थे और उसकी बहन निशा बनारस में थी. घर से परिजनों ने दोनों को केवल एक ही जानकारी दी थी कि विवेक का एक्सीडेंट हो गया है, वह जल्द से जल्द पटना चले आये. इसके अलावा पिता को यह जानकारी दी गयी कि वे सीधे पीएमसीएच ही चले आये.
बहन के आने के बाद किया गया शव का अंतिम संस्कार
पोस्टमार्टम कराने के बाद शव को परिजनों ने पुनाईचक स्थित आवास पर लाया. बनारस से विवेक की बहन निशा करीब छह बजे शाम में पटना पहुंची. बहन के पहुंचने के थोड़ी देर बाद ही शव को गुलबी घाट पर लाया गया और अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस दौरान परिजनों के साथ ही काफी संख्या में एनआइटी के छात्र भी मौजूद थे.
आठ मई से शुरू होना था एग्जाम
परिजनों ने बताया कि विवेक का इसी आठ मई से अंतिम वर्ष के आठवें सेमेस्टर का फाइनल एग्जाम होना था, जिसके लिए वह दिन-रात एक कर मेहनत कर रहा था, क्योंकि परीक्षा के बाद उसे ज्वाइनिंग भी करने जाना था.
परिजनों पर टूट पड़ा दु:खों का पहाड़
जिस बेटे को माता-पिता ने काफी मेहनत कर इंजीनियर बनने का सपना पाल रखा था, वह इस घटना के बाद एक ही झटके में टूट गया. चपरासी के पद पर रहते हुए भी पिता महेश प्रसाद कमल ने अपने सभी बेटों व बेटी को इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला कराया. बड़ा बेटा सिविल इंजीनियर, छोटा मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है और बेटी भी आइआइटी में पढ़ रही है. महेश प्रसाद एक्सीडेंट की सूचना पा कर जैसे ही पीएमसीएच में पहुंचे, वैसे ही जब उन्हें गोली लगने की जानकारी मिली, तो उनकी हालत काफी खराब हो गयी और लोगों ने उन्हें किसी तरह से संभाला. मौत की सूचना मिलने के बाद उनके सब्र का बांध टूट पड़ा और फफक-फफक कर रोने लगे. कमोवेश यही स्थिति विवेक के मां आशा देवी की भी थी.