बदल रहा ट्रेंड : हत्या से पहले सबूत मिटाने की कर लेते हैं तैयारी
विजय सिंह
पटना : मकान या फ्लैट की छत पर चहलकदमी और खुले में सांस लेने से दिली सकून जरूर मिलता है लेकिन अगर यह किसी साजिश का हिस्सा बन जाये तो जिंदगी का अंत हो जाता है. जी हां! कुछ इसी तरह का ट्रैंड अब दहेज हत्या के मामले में अपनाया जा रहा है.
मतलब की सुसाइड के प्लॉट पर हत्या की साजिश रची जा रही है. पुलिस, कोर्ट, कानून सबूत मांगता है और वह पुलिस खोज नहीं पाती है. क्योंकि हत्या से पहले सबूत को मिटा दिया जाता है. बानगी के तौर पर बिहार की बेटी रूपा के साथ 23 अप्रैल, 2017 को नोएडा में हुई हत्या की घटना को देखा जा सकता है.
मोकामा की रहने वाली रूपा की शादी दो साल पहले समस्तीपुर के रहने वाले विजय शंकर कुमार से हुई थी. दोनों नोएडा फेज-2 के सेक्टर-87 में मन्नत अपार्टमेंट में पांचवीं मंजिल पर रहते थे. 23अप्रैल को उसके पति विजय शंकर कुमार ने उसे छत से नीचे फेंक दिया(प्राथमिकी में आरोप के मुताबिक) और कहा कि उसने सुसाइड कर लिया. रूपा के मायके वालों ने ससुर वशिष्ठ नारायण, सास रेणू देवी, ननद लक्ष्मी देवी पर दहेज हत्या का केस दर्ज कराया है. एक्सपोर्ट कंपनी में फैशन डिजाइनर का काम करनेवाला दहेज हत्या का आरोपित पति और उसके परिवार को तभी सजा मिल पायेगी जब पुलिस के हाथ सबूत लगेंगे.
कुछ केसों में पुलिस के पहुंचने से पहले ही दाह-संस्कार
पीड़ित परिवार को नहीं मिल पाता है न्याय
कुछ केस में दहेज के लिए प्रताड़ना के बाद विवाहिताओं को जहर देकर या छत से धक्का देकर मार दिया जाता है, और फिर आनन-फानन में लाश को ससुराल वाले जला देते हैं. जब तक मायके वाले पहुंचे और पुलिस पहुंचे तब तक सारे सबूत जलकर राख हो जाते हैं. मायके वाले थाने और अधिकारी के चक्कर काट के रह जाते हैं पर केस नहीं दर्ज होता है. केस दर्ज भी हो गया तो कोर्ट में आरोप साबित नहीं होते क्यों कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी पुलिस के हाथ में नहीं रहता है. काफी प्रयास और सच्चाई जानने के बाद भी पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल पाता है.
तेजी से बढ़ रहे दहेज उत्पीड़न व हत्या के मामले
बिहार में दहेज हत्या व दहेज प्रताड़ना के मामले को देखा जाये तो इसमें कमी नहीं आ रही है. हर साल यह आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. आंकड़े देखे जायें तो दहेज हत्या में मामूली कमी आयी है लेकिन दहेज प्रताड़ना में तेजी से इजाफा हुआ है.
क्या कहती है सुप्रीम कोर्ट की नयी गाइडलाइन
29 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने महिला हिंसा से जुड़े धारा 498-ए के बारे में नयी गाइडलाइन जारी की है. इसके दुरूपयोग का जिक्र करते हुए कहा सभी जिला विधि सेवा प्राधिकार को निर्देशित किया जाता है कि वह अपने यहां एक या एक से अधिक तीन सदस्यी परिवारिक कल्याण कमेटी का गठन करें. यह कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट एक माह में समिट करें. जांच रिपोर्ट नहीं आने तक 498-ए के आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं की जाये.
विवाहिता की गला दबा कर हत्या, मामला दर्ज
पटना सिटी : आलमगंज थाना क्षेत्र के गुलजारबाग धार्मिक स्थल के समीप गली में बुधवार की सुबह पंखे के फंदा से झूल कर 28 वर्षीया लवली देवी ने जान दे दी. हालांकि, मृतका की मां को शक है कि ससुराल के लोगों ने गला दबा कर उसकी हत्या की है. फिर आत्महत्या के शक्ल देने की चेष्टा की. मां की शिकायत पर आलमगंज थाना पुलिस ने गला दबा कर हत्या का मामला दर्ज कर लिया है.
थानाध्यक्ष ओम प्रकाश ने बताया कि इस संबंध में जांच-पड़ताल की जा रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत का कारण स्पष्ट हो पायेगा.गोपालपुर ओपी के कर्णपुरा गांव निवासी श्रद्धा देवी ने दर्ज कराये मामले में पुलिस को बताया कि वर्ष 2011 में गुलजारबाग के समीप रहनेवाले सुनील कुमार के पुत्र रणधीर कुमार के साथ सामर्थ्य अनुकूल दान- दहेज देकर बेटी का विवाह किया था.
बेटी लवली दिमागी तौर पर बीमार थी, उसका इलाज भी चल रहा था. दहेज के लिए वह ससुराल में प्रताड़ित होती थी. बेटी को चार साल का बेटा भी है. बुधवार की सुबह समधी सुनील कुमार ने फोन किया कि लवली पंखा से झूल कर मर गयी है. इसके बाद जब घर आये, तो देखा कि बेटी का लाश पड़ी है. ऐसे में आशंका है कि ससुराल के लोगों ने गला दबा हत्या कर दी.