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199 विधायकों ने नहीं बतायी संपत्ति

पटना: 2010 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने जब दूसरी बार सत्ता संभाली थी,तो फैसला लिया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू होगी. सरकार ने यह भी फैसला लिया था कि मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, विधान पार्षद, नौकरशाह व अन्य लोक सेवक हर वर्ष अपनी संपत्ति को ऑन लाइन […]

पटना: 2010 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने जब दूसरी बार सत्ता संभाली थी,तो फैसला लिया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू होगी.

सरकार ने यह भी फैसला लिया था कि मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, विधान पार्षद, नौकरशाह व अन्य लोक सेवक हर वर्ष अपनी संपत्ति को ऑन लाइन सार्वजनिक करेंगे.अब यह निर्णय सिर्फ घोषणा तक सिमटते जा रही है. सरकार के फैसले में विधानमंडल की सहभागिता नहीं है. हालात यह है कि 243 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री समेत 44 विधायकों ने ही अपनी संपत्ति का खुलासा किया है. शेष 199 ने चुप्पी साध रखी है.

सिग्रिवाल ने दिया ब्योरा : जब तक एनडीए की संयुक्त सरकार रही तब तक भाजपा कोटे के मंत्री भी अपनी संपत्ति का खुलासा करते थे, लेकिन जून 2013 में भाजपा सरकार से अलग हो गयी तो मंत्री रहे विधायकों ने भी संपत्ति को बताना मुनासिब नहीं समझा. मंत्रियों में एक मात्र जनार्दन सिंह सिग्रिवाल ने अपनी संपत्ति को सार्वजनिक किया है. जदयू की सरकार में हाल में ही मंत्री बनीं लेसी सिंह ने भी अपनी संपत्ति नहीं बतायी. विधानसभा में दलगत स्थिति की बात करें, तो जदयू के 118 विधायकों में से 14 ने अपनी संपत्ति का खुलासा किया है. भाजपा के 91 सदस्यों में 10,छह निर्दलीय में एक दुलाल चंद गोस्वामी ने अपनी संपत्ति को सार्वजनिक किया है. कांग्रेस, राजद, लोजपा और सीपीआइ के सदस्यों ने अपनी संपत्ति की विवरणी विधानसभा सचिवालय को नहीं दी है. पिछले वर्ष मंत्रियों को छोड़ मात्र 43 विधायकों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी. 2012 में 125 विधायकों ने अपनी संपत्ति बतायी थी.

ब्यूरोक्रेसी भी पीछे
नौकरशाहों की संपत्ति खुलासा की बात करें, तो 2013 में एक दर्जन आइएएस व 25 से अधिक आइपीएस ने तय समय सीमा में अपनी संपत्ति की विवरणी नहीं दी थी. 2014 की बात करें तो 31 जनवरी तक केंद्रीय कार्मिक एवं पेंशन मंत्रलय को 51 आइएएस अधिकारियों ने तय समय सीमा में संपत्ति की विवरणी नहीं दी थी. इसी तरह अन्य लोक सेवकों की बात करें तो 2011, 2012 व 2013 में लगभग 100 कर्मियों ने संपत्ति की विवरणी नहीं दी थी. इनके खिलाफ सरकार की ओर से अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हुई. 2014 में 28 फरवरी तक सभी नौकरशाह व लोक सेवकों को संपत्ति की विवरणी जमा कराने की अंतिम तारिख थी, जिसे 31 मार्च को सार्वजनिक करने की तैयारी चल रही है. इसके बाद ही पता चल पायेगा कितनों ने संपत्ति की विवरणी दी है और कितनों ने नहीं.

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