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धमाकों से थर्रा उठा बैकुंठपुर, दहशत में लोग
संजय कुमार अभय, सत्तर घाट (गोपालगंज) पुल निर्माण एजेंसी वशिष्ठा के प्लांट पर हुए माओवादी हमले से पूरा इलाका थर्रा उठा है. आम से लेकर खास तक सभी लोग इस घटना को लेकर खौफ में है. मीरा टोला के बाद दूसरी घटना ने लोगों की नींद हराम कर दी है. पूरा बैकुंठपुर इस माओवादी घटना […]
संजय कुमार अभय, सत्तर घाट (गोपालगंज)
पुल निर्माण एजेंसी वशिष्ठा के प्लांट पर हुए माओवादी हमले से पूरा इलाका थर्रा उठा है. आम से लेकर खास तक सभी लोग इस घटना को लेकर खौफ में है. मीरा टोला के बाद दूसरी घटना ने लोगों की नींद हराम कर दी है. पूरा बैकुंठपुर इस माओवादी घटना से कांप उठा है. मीरा टोले के बाद इस वर्ष दूसरी सबसे बड़ी घटना के रूप में माओवादियों ने प्लांट पर हमला किया है. हलांकि महम्म्दपुर के पास डूमरियां घाट में इसी वर्ष 24 जनवरी को माओवादियों ने तीन ट्रकों को आग के हवाले कर दिया था . उसके बाद मीरा टोला को निशाना बनाया ,जहां बाजार के नंदकिशोर यादव तथा मोहन राय की हत्या करने के बाद बमों का धमाका कर पूरे इलाके को आतंकित कर दिया था . उस घटना की जिम्मेदारी भाकपा माओवादी उतर पश्चिमी जोनल कमेटी ने ली थी . इस बार प्लांट पर किये गये हमला के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि माओवादियों की पैठ पूरी तरह से गहरा हो चुकी है.वशिष्ठा कंपनी पर किये गये हमले के दौरान माओवादियों ने जिस तरह बमों का धमाक ा किया, उससे पूरा फैजुल्लाहपुर पंचायत तथा गम्हारी पंचायत के शीतलपुर नरवार आस -पास के सभी गांव के लोग डर गये. कुहरे के कारण लोग अपने अपने घरों मे दुबके रहे . किसी को घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी . उधर माओवादी घटना को अंजाम देकर चलते बने .
माओवादियों का महिला दस्ता भी हमले में शामिल
वशिष्ठा कंपनी पर किये गये माओवादी हमले में पहली बार महिला दस्ता भी शामिल था .डेढ़ सौ की संख्या में आये माओवादियों के काफिले में आधा महिला माओवादी पूरी तरह से अत्याधुनिक हथियार से लैस होकर घटना को अंजाम दिया .हमले की जानकारी देते हुए ड्राइवर ,अरुण ,लक्ष्मण ,रामेश्वर ,विनय व लखेंद्र यादव आदि ने बताया कि सभी जैकेट और ट्रैक सूट मे अचानक पहुंचे और पूरे प्लांट को घेर लिया . सबसे पहले टॉर्च और मोबाइल झोले में रख लिया. उसके बाद ड्राइवर गार्ड ,सुपरवाइजर को बंधक बना लिया तथा गोलीबारी और बमों का धमाका कर सबको दहशतजदा कर तथा घटना को अंजाम देकर एक घंटे के बाद लौट गये. एक घंटे में माओवादियों ने अपने कब्जा में न सिर्फ प्लांट को रखा ,बल्कि मजदूर से लेकर अधिकारी तक माओवादियों के कब्जे में रहे.
..पल- पल मौत का हो रहा था सामना
माओवादियों से घिरे वशिष्ठा कंपनी के मजदूर और अधिकारियों का हर पल मौत का सामना हो रहा था. महिला माओवादियों की कब्जे में पूरी कंपनी थी . अत्याधुनिक हथियार के बल पर एक -एक कर्मचारी थे. माओवादियों ने गार्ड और मजदूरों से ही वशिष्ठा कंपनी मुरदाबाद, माओवादी जिंदाबाद केनारे लगवाये. नारे के साथ फायरिंग भी करते रहे. सुपरवाइजर को स्पष्ट चेतावनी भी दी कि पांच करोड़ की राशि नहीं मिली तो इसका परिणाम भुगतना होगा . एक घंटा तक माओवादियों की कब्जा में रहे सुपरवाइजर रंजीत कुमार सिंह ,राजू सिंह तथा गार्ड भगिरथ कुमार ,योगेंद्र सिंह , मनोज पांडेय, शत्रुधन यादव , लालबाबू यादव ,देवेश कुमार ,विष्णु चौधरी ,मुकेश कुमार आदि ने बताया कि हर पल लगता था कि कहीं अगली पल माओवादी मजदूरों और हम लोगों को मार न दे. जैसे ही बम का धमाका होता था कि मौत सिर से गुजरती जा रही थी. पूरे कंपनी क ो आग के हवाले करने के बाद परचा देकर जब माओवादी लौट गये तब सांस में सांस आयी . घंटों दहशत का माहौल बना रहा . मुंह से आवाज तक नहीं निकल रहीं थी.
स्टोर के डीजल से ही जलाया प्लांट
माओवादियों ने प्लांट क ो चारों तरफ से घेर लिया था . एक- एक कर्मचारी को कवर करने के बाद कर्मचारियों से ही प्लांट की स्टोर से डीजल निकलवाया और उसी डीजल से बारी- बारी से एक- एक वाहन को जला दी गयी . मिलर मशीन को भी आग के हवाले कर दिया गया . प्लांट में कई गाड़ियां किसानों ने भी कंट्रेक्ट पर दे रखी थी, जिसे मजदूरों के कहने पर प्लांट से बाहर निकाल दिया गया . कंपनी की गाड़ी तथा मशीन को आग के हवाले करने के बाद माओवादी पांच करोड़ की लेवी मांगते हुए लौट गये.
.. आग के हवाले होने से बचा ट्रैक्टर
वशिष्ठा कंपनी के प्लांट में खड़ी गाड़ियों को जब आग के हवाले माओवादी कर रहे थे. इस दौरान प्लांट में खड़ी एक किसान की ट्रैक्टर पर भी तेल डाली जा चुकी थी.मजदूर की आरजू पर माओवादियों ने ट्रैक्टर में आग नहीं लगायी, जिससे किसान बरबाद होने से बच गये .
पुलिस को है अब मास्टर माइंड की तलाश
आखिर कौन है माओवादी हमला का मास्टर माइंड .अब मास्टर माइंड की तलाश पर पुलिस जुट गयी है. माओवादी वशिष्ठा कंपनी के हर गतिविधि पर पिछले कई महीनों से नजर रख रहे थे. कंपनी के हर पल की जानकारी माओवादियों को थी . प्लांट के भीतर बाहर के कई वाहन कंट्रैक्ट की भी खड़े थे , जिसे बाहर कर दिया गया और तब कंपनी के गाड़ियों में आग लगायी गयी . पुलिस का मानना है कि कंपनी में काम करने वाले ही कोई न कोई माओवादियों का मुखबिर था, जो माओवादियों को पूरे प्लांट में जानकारी देता रहा और उसके अनुसार माओवादी घटना को अंजाम दिये. पुलिस के लिए इस मुखबिर की पहचान एक चुनौती बन गयी है .पुलिस कप्तान डॉ विनोद कुमार चौधरी ने बताया कि मुखबिर की पहचान को लेकर पुलिस अधिकारी को लगाया गया है, ताकि उसके जरिये माओवादियों तक पहुंचा जा सके.
कंपनी की सुरक्षा से हटा लिये गये थे सैप
गंडक नदी पर महासेतु के निर्माण में लगी आंध्रा की कंपनी वशिष्ठा पर माओवादियों की पहले से ही नजर थी . गत 29 अप्रैल, 2013 को माओवादियों के कुछ लोगों ने कंपनी के प्लांट पर खाकी वरदी और हथियारों से लैस होकर पहुंचे थे तथा दो करोड़ रुपये लेवी की मांग भरी पोस्टर कंपनी के सुपरवाइजर को देकर चले गये थे, तब राशि नहीं मिलने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गयी थी . इस घटना में कंपनी के जीएम अनिल कांत के तहरीर पर बैकुंठपुर थाना मे प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी . दहशत में कंपनी के अधिकारी थे. इस बीच काम प्रभावित न हो इसके लिए यहां पुलिस ने सैफ के जवान को तैनात किया, ताकि पुलिस की सुरक्षा में पुल निर्माण का काम प्रभावित न हो. इस बीच बरसात और मीरा टोला की घटना के दौरान सैफ के जवानों को वहां से हटा कर मीरा टोले में तैनात कर दी गयी . कंपनी क ी तरफ से सुरक्षा के लिए भी कई बार मांग भी की गयी,लेकिन कोई व्यवस्था नहीं हो पायी , जिससे आज करोड़ों से अधिक की क्षति कंपनी को उठानी पड़ी है.
आखिर माओवादियों का पत्र पुलिस को क्यों नहीं दिया गया
गंडक नदी के दियारा के वीरान चंवर में सत्तर घाट पर पुल की निर्माण कर रही वशिष्ठा कंपनी को जब माओवादियों ने 29 अप्रैल को लेवी मांगने की पोस्टर दिया तो आखिर ऐसी कौन सी परिस्थिति बन गयी कि कंपनी के अधिकारियों ने पुलिस को पत्र उपलब्ध नहीं कराया .क्या अधिकारी माओवादियों के दबाव में थे. इस बात को लेकर पुलिस के अधिकारी भी परेशान हो उठे है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का मानना है कि अगर पुलिस के हाथ माओवादियों की मांग भरा पत्र मिला रहता तो स्पष्ट होता कि माओवादियों ने कितनी रकम लेवी में मांगी थी . इस प्रकार इस बार पांच करोड़ रुपया माओवादियों ने मांगी है. अगर इसका खुलासा उसी वक्त हुआ रहता तो शायद माओवादियों निर्माण एजेंसी को बचाने के लिए कोई कमी पुलिस की तरफ से नहीं होती
कुहासे से हुई परेशानी
सत्तर घाट. माओवादी हमले के दौरान भारी ठंड और कुहासा था . कुहासा ने हर कदम पर पुलिस की राह को रोका . पुलिस चाह कर भी तत्काल घटना स्थल पर नही पहुंच पायी . बैकुंठपुर की पुलिस तो रात के 12.30 बजे पहुंची . घटना स्थल पर जब पुलिस पहुंची तो मजदूरों के चेहरे पर खौफ टपक रहा था .किसी के जबान नहीं खुल रहे थे. चारों तरफ से जब पुलिस के अधिकारी पहुंच गये . पुलिस कप्तान डॉ विनोद कुमार चौधरी भी मौके पर पहुंचे. पुलिस ने मजदूरों से पूरी घटना की जानकारी लेने के बाद रात से हीं पुलिस कार्रवाई में जुट गयी .
साहब ! यहां कैसे हो पायेगा निर्माण कार्य
माओवादी हमले के बाद सत्तर घाट पहुंचे डीएम कृष्ण मोहन तथा अनुमंडल पदाधिकारी रेयाज अहमद खा के पास पहुंचे कंपनी के अधिकारियों ने हाथ खड़ा करते हुए कहा कि साहब यहां निर्माण कार्य कैसे होगा . इतनी मोटी रकम लेवी में कहां से दी जायेगी. यहां चारों तरफ गन्ना होने के कारण काफी असुरक्षित प्लांट पहले से ही है. यहां 30 सैप के जवान को लगाया गया था ,जिसे हटा लिया गया . डीएम कृष्ण मोहन ने कंपनी के अधिकारियों से स्पष्ट किया कि सुरक्षा की व्यवस्था करना हमारा जवाबदेही है. सुरक्षा में कोई कही कमी नहीं होगी . डीएम ने कहा कि सुरक्षा की कोई कमी नहीं होगी. आप सभी लोग पूरी तरह से सुरक्षा के बीच काम करेंगे.
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