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रियो में पदक का पंच मारेंगे भारतीय मुक्केबाज

नयी दिल्ली : शिव थापा, विकास कृष्ण और मनोज कुमार की तिकडी पर भरोसा जताते हुए भारतीय मुक्केबाजी के दिग्गजों का मानना है कि ये तीनों दबाव के बावजूद रियो में ऐतिहासिक ओलंपिक प्रदर्शन देने में सक्षम हैं. बीजिंग 2008 के कांस्य पदकधारी विजेंदर सिंह, लंदन 2012 ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता एम सी मैरीकाम […]

नयी दिल्ली : शिव थापा, विकास कृष्ण और मनोज कुमार की तिकडी पर भरोसा जताते हुए भारतीय मुक्केबाजी के दिग्गजों का मानना है कि ये तीनों दबाव के बावजूद रियो में ऐतिहासिक ओलंपिक प्रदर्शन देने में सक्षम हैं. बीजिंग 2008 के कांस्य पदकधारी विजेंदर सिंह, लंदन 2012 ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता एम सी मैरीकाम और बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टरफाइनल तक पहुंचे अखिल कुमार, इन तीनों ने भारतीय मुक्केबाजी को इस उंचाई तक पहुंचाया है.

ये तीनों रियो में इन मुक्केबाजों के प्रदर्शन पर निगाह लगाये होंगे. इन तीनों ने भरोसा जताया कि शिव (56 किग्रा), मनोज (64 किग्रा) और विकास (75 किग्रा) इस ब़े मंच पर अच्छा प्रदर्शन करेंगे. भारत के पहले ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदकधारी विजेंदर ने कहा, ‘‘मुझे इन तीनों से पदक जीतने की उम्मीद है. सभी अनुभवी हैं, ये इनका दूसरा ओलंपिक है और मुझे लगता है कि दबाव के बावजूद ये सभी पदक के साथ लौटेंगे. ”

पेशेवर सर्किट पर अपने हुनर का लोहा मनवा रहे विजेंदर हाल में डब्ल्यूबीओर एशिया पैसिफिक चैम्पियन बने हैं. मैरीकाम ने भी यही बात कही, जिनकी खुद की महिला मुक्केबाजी में उपलब्धियां अतुल्य हैं. पांच बार की विश्व चैम्पियन मैरीकाम ने कहा, ‘‘मुझे पूरा भरोसा है कि यह अच्छा प्रदर्शन होगा. दबाव है लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि वे इससे निपट सकते हैं. तीनों में काबिलियत है. ”

पूर्व विश्व कप कांस्य पदकधारी और 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता अखिल ने कहा कि इन तीनों ने बड़े टूर्नामेंट में पोडियम स्थान हासिल कर पहले ही अपनी काबिलियत साबित कर दी है जिससे ये पांच अगस्त से शुरू होने वाले रियो खेलों में अच्छी लय में हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इन्होंने अच्छे परिणाम दिये हैं.

शिव और विकास विश्व चैम्पियनशिप पदकधारी (कांस्य) हैं. विकास ने एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक भी जीता है. मनोज राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व स्वर्ण पदकधारी हैं. इसलिये रियो में अच्छा प्रदर्शन के लिये उनके पास अनुभव है. मुझे कम से कम दो पदकों की उम्मीद है. ” विजेंदर के बीजिंग 2008 में कांस्य पदक से खाता खोलने के बाद से मुक्केबाजी में भारत ने ओलंपिक पदक नहीं जीता है, मैरीकाम ने 2012 में एक और कांस्य पदक जीता है.

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