नयी दिल्ली : महान धावक मिल्खा सिंह ने पिछले साल एशियाई खेलों के दौरान पदक वितरण समारोह में कांस्य पदक लेने से इनकार करने के लिए महिला मुक्केबाज सरिता देवी की आलोचना की और कहा कि उनके इस कदम से देश का नाम खराब हुआ है. 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में मामूली अंतर से कांस्य पदक चूकने वाले पूर्व धावक ने कहा कि खिलाडियों को हर कीमत पर देश का सम्मान बनाए रखना चाहिए.
उन्होंने यहां गेल (गैस ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, उनके (सरिता) इस कदम से देश का नाम खराब हुआ और उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. वह भले ही (निर्णायकों के फैसले से) आहत हुई होंगी लेकिन उन्हें पदक मंच पर पदक लेने से इनकार नहीं करना चाहिए था.
‘फलाइंग सिख’ के नाम से मशहूर 86 वर्षीय मिल्खा ने कहा, इस तरह से उनका विरोध जताना सही नहीं था. विरोध दर्ज कराने के लिए वहां कोच और अधिकारी थे. किसी भी खिलाड़ी के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है कि वह अपने देश का नाम खराब ना करे. मिल्खा ने साथ ही पद्म भूषण सम्मान के लिए खुद को योग्य बताने से जुडे महिला बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल के बयान से भी असहमति जतायी.
उन्होंने कहा, हमें (खिलाडियों) सरकारी सम्मानों के लिए लालायित नहीं होना चाहिए. हमारा काम प्रदर्शन करना है और देश के लिए पदक और पुरस्कार जीतना है. यह सरकार का काम है कि वह हमारी उपलब्धियों और देश के लिए सेवा को मान्यता दे और हमें पुरस्कार एवं सम्मानों से नवाजे.पूर्व धावक ने साथ ही कहा कि ध्यानचंद को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिया जाना अच्छी बात थी क्योंकि इससे खिलाडियों को यह प्रतिष्ठित सम्मान देने का रास्ता खुल गया. लेकिन मुझे लगता है कि ध्यानचंद को भारत रत्न दिए जाने वाला पहले खिलाड़ी होना चाहिए था. मिल्खा ने कहा, जहां तक मुझे याद है, सम्मान के लिए ध्यानचंद का नाम 2010 में आना शुरु हुआ था लेकिन उन्हें आज तक भारत रत्न नहीं मिला. मुझे इसका कारण नहीं पता, आपको सरकार से पूछना होगा. अपनी ओर से मैं सरकार से ध्यानचंद को भारत रत्न देने की अपील करुंगा.