एक बार फिर अर्जेटीना का सपना टूटा. 28 साल से वह कप जीतने का बाट जोह रहा था. ब्राजील में वर्ल्ड कप आरंभ होने के पहले जिन तीन-चार टीमों को कप जीतने का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था, उसमें अर्जेटीना का भी नाम था. लेकिन जर्मनी ने उसे फाइनल में पराजित कर दिया. सितारे खिलाड़ियों से भरपूर अर्जेटीना की टीम जर्मनी के अनुभवी खिलाड़ियों और उनकी रणनीति के आगे टिक नहीं सकी.
इस हार के साथ अर्जेटीना 1990 में फाइनल में मिली का बदला भी नहीं ले सका. अंतिम बार जर्मनी की टीम ने अर्जेटीना को ही 1990 में हरा कर खिताब जीता था. अजेर्ंटीना को अपने स्टार खिलाड़ी मैसी से वैसे ही चमत्कार की उम्मीद थी जैसा चमत्कार माराडोना ने 1986 के वर्ल्ड कप में दिखाया था. माराडोना ने उस वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ जो गोल किया था, उसे आज भी दुनिया याद करती है. हालांकि नीदरलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में जब फैसला पेनाल्टी शूटआउट से हो रहा था, उस समय अर्जेटीना के गोलकीपर रोमेरो ने शानदार तरीके से दो पेनाल्टी बचायी थी. वे हीरो के रूप में उभरे थे.
अर्जेटीना की टीम इस बार मैसी, एगुएरो, रोड्रिगेज, गराय जैसे खिलाड़ियों के साथ इस वर्ल्ड कप में उतरी थी. फाइनल में अर्जेटीना के खिलाड़ियों पर दबाव दिखा.जिस तरीके से जर्मनी ने ब्राजील जैसी मजबूत टीम को 7-1 गोल से सेमीफाइनल में धो दिया था, उसका असर फाइनल में भी देखने को मिला. इस पूरे वर्ल्ड कप में अर्जेटीना की टीम कभी भी बहुत आरामदायक स्थिति में नहीं दिखी. 16 जून से इस वर्ल्ड कप में अर्जेटीना ने अपनी विजय यात्र आरंभ की थी. पहला ही मैच उसे बोस्निया जैसी टीम के साथ खेलना पड़ा. इसमें उसे 2-1 से जीत मिली. ग्रुप मैच में अर्जेटीना का मुकाबला ईरान जैसी टीम से पड़ा, जिसे उसने सिर्फ 1-0 से हराया. जीत के अंतर को लेकर अर्जेटीना पर सवाल भी उठे.
अगला मैच था नाइजीरिया के साथ. हालांकि अर्जेटीना ने वह मैच 3-2 से जीता लेकिन नाइजीरिया ने कड़ी टक्कर दी. स्वीटजरलैंड और बेल्जियम के साथ भी अर्जेटीना का मुकाबला रोचक रहा. दोनों ही मैचों में 1-0 से जीत हासिल हुई. स्टार खिलाड़ियों के बावजूद अधिक गोल करने में अर्जेटीना के खिलाड़ी सफल नहीं रहे. नीदरलैंड ने पहले ही मैच में जिस तरीके से गत चैंपियन स्पेन को हरा कर उसे वर्ल्ड कप से बाहर किया था, उससे ही अंदाजा लग गया था कि इस बार अर्जेटीना को कड़ी टक्कर मिलेगी. कई विशेषज्ञ तो नीदरलैंड को ही मजबूत मान रहे थे. नीदरलैंड के खिलाड़ियों की फूर्ति और आक्रमण का स्पीड बहुत तेज था लेकिन रणनीति अर्जेटीना की अच्छी थी. इसका उसे फायदा मिला. निर्धारित समय तक कोई भी टीम गोल नहीं कर सकी. जब फैसला पेनाल्टी शूटआउट से हुआ तो किस्मत ने अर्जेटीना का साथ दिया. उसके गोलकीपर रोमेरो ने दो पेनाल्टी बचा कर अपनी टीम को फाइनल में पहुंचा दिया था. जर्मनी के खिलाड़ियों के अनुभव के आगे मैसी की टीम टिक नहीं सकी. बेहतर तालमेल, छोटे-छोटे पास का जवाब अर्जेटीना के पास नहीं था और उसे फाइनल में हार का सामना करना पड़ा.
अर्जेटीना की टीम दो-दो बार वर्ल्ड कप चैंपियन रह चुकी है. यह अलग बात है कि जितना अनुभव जर्मनी का था, उतना अर्जेटीना के पास नहीं था. अर्जेटीना उन चंद टीमों में शामिल है जिसने 1930 का पहला वर्ल्ड कप खेला था. उरुग्वे में हुए पहले वर्ल्ड कप का उपविजेता भी अर्जेटीना ही था. लेकिन उसके बाद यह टीम 1978 तक कुछ नहीं कर सकी. 1934 में तो पहले ही राउंड में ही बाहर हो गयी थी. 1938 और 1950 में अर्जेटीना की टीम ने वर्ल्ड कप से अपना नाम वापस ले लिया था. 1954 में भी टीम प्रवेश नहीं कर सकी. 1958 और 1962 में ग्रुप मैच के बाद ही बाहर हो गयी थी. इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अर्जेटीना की टीम 1966 में क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थी. 1970 में तो अर्जेटीना की टीम वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाइ भी नहीं कर सकी. 1974 में यही अर्जेटीना की टीम भी बहुत दूसरे राउंड के बाद बाहर हो गयी. इतना खराब प्रदर्शन करनेवाली टीम अगर चार साल बाद चैंपियन हो जाये तो आश्चर्य होना स्वाभाविक था.
1978 में पहली बार अर्जेटीना ने ताकत दिखायी. मेजबान देश अर्जेटीना ने हालैंड को हरा कर पहली बार वर्ल्ड कप जीता था. लेकिन अगले वर्ल्ड कप में खराब प्रदर्शन रहा. 1986 में टीम की कप्तानी माराडोना के हाथ में थी. पूरे वर्ल्ड कप में माराडोना का जादू चला था. इंग्लैंड के खिलाफ अर्जेटीना ने दो गोल किये थे. दोनों ही गोल माराडोना ने किया था. दोनों अलग-अलग कारणों से आज भी याद किये जाते हैं. एक गोल तो माराडोना ने हाथ से कर दिया था. रेफरी देख नहीं सके थे. इसे हैंड आफ गाड कहा जाता है. बाद में माराडोना ने स्वीकार किया कि उसने जानबूझ कर हाथ से गोल किया था. दूसरा गोल ऐतिहासिक था. इसे गोल आफ सेंचुरी कहा गया. आधे मैदान से सभी अंगरेजी खिलाड़ियों को छकाते हुए माराडोना ने लंबी दूरी से यह गोल किया था. फाइनल में जर्मनी को हरा कर चैंपियन बना था. 1990 में भी अर्जेटीना चैंपियन बनते-बनते रह गया था जब उसे जर्मनी ने फाइनल में हरा दिया था.
इसके बाद 1994 से 2010 तक अर्जेटीना का प्रदर्शन सामान्य रहा. 1998, 2006 और 2010 में क्वार्टर फाइनल तक टीम पहुंची. स्पेन और इटली के जल्दी बाहर होने के कारण अर्जेटीना के पास चैंपियन बनने का अच्छा अवसर आया था लेकिन जर्मनी ने उसके सपने को साकार नहीं होने दिया.