-अनुज कुमार सिन्हा-
दुनिया में पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड और अॉस्ट्रेलिया के बीच 15 मार्च 1877 को मेलबर्न स्टेडियम (अॉस्ट्रेलिया) में खेला गया था, लेकिन इस टेस्ट को रांची पहुंचने में 140 साल और एक दिन लग गये. यह कहा जा सकता है कि टेस्ट को मेलबर्न से रांची (दूरी 9213 किमी) की यात्रा तय करने में इतने वक्त लग गये. ऐसे तो भारत ने अपना पहला टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ जून 1932 में लॉर्ड्स में खेला था, लेकिन भारत की धरती पर खेलने में डेढ़ साल का वक्त और लगा था. मुंबई के जिमखाना ग्राउंड को भारत में पहला टेस्ट सेंटर बनने का गौरव मिला.
15 दिसंबर 1933 से वहां भारत और इंग्लैंड के बीच पहली बार टेस्ट खेला गया. लाला अमरनाथ के शतक के बावजूद भारत अपने देश का पहला टेस्ट नौ विकेट से हार गया था. अजीब संयोग है कि 1875 में बने जिमखाना ग्राउंड में सिर्फ एक ही टेस्ट मैच खेला जा सका. उस पहले टेस्ट के बाद कभी इस मैदान पर टेस्ट नहीं खेला गया. इस ग्राउंड को एसप्लानेड और आजाद मैदान भी कहा जाता है. यह ऐतिहासिक मैदान है.
झारखंड बनने के बाद रांची में अंतरराष्ट्रीय स्तर का जेएससीए स्टेडियम बना. इस स्टेडियम की तारीफ दुनिया के कई मशहूर खिलाड़ी कर चुके हैं. इस स्टेडियम के बनने के पहले झारखंड कई वनडे अंतरराष्ट्रीय मैचों का आयोजन कर चुका था. पहले ये वनडे मैच जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम में खेले जाते थे. कीनन (जमशेदपुर) में 1983 से ही वनडे मैच (अंतरराष्ट्रीय) होते रहे हैं. जेएससीए (रांची) स्टेडियम बनने के पहले जमशेदपुर को ही झारखंड का बड़ा केंद्र माना जाता था. राज्य बनने के पहले झारखंड-बिहार के लिए सबसे बड़ा केंद्र. अगर रांची के पहले झारखंड में किसी शहर में टेस्ट मैच हो सकता था, तो वह था जमशेदपुर.
कीनन स्टेडियम तो 1939 में ही बन कर तैयार हो गया था. तब देश में सिर्फ मुंबई, कोलकाता, मद्रास समेत इने-गिने शहरों में स्टेडियम थे. कोलकाता का इडेन और मद्रास का चिदंबरम तो 1934 में ही बना था. कोलकाता में इडेन के बनने के पांच साल बाद ही 1939 में कीनन का स्टेडियम बन तो गया था, लेकिन शहर में बुनियादी सुविधाओं (अच्छे होटल और एयरपोर्ट) के अभाव के कारण यहां टेस्ट मैच नहीं हो सका. हां, आजादी के बाद कानपुर, लखनऊ (दोनों 1952), हैदराबाद (1955) जैसे शहरों में टेस्ट होने लगा. पहले टेस्ट में सिर्फ महानगरों और बड़े शहरों का कब्जा था. टेस्ट के लिए चार-पांच केंद्र ही बेहतर माने जाते थे, उनसे बाहर निकलने के लिए बीसीसीआइ सोचता भी नहीं था. दिल्ली, मुंबई के खिलाड़ियों का बोलबाला रहता था. समय बदला. छोटे-छोटे शहरों से बेहतरीन खिलाड़ी निकलने लगे. कपिल इनमें बड़े नाम थे, जो चंडीगढ़ से निकले थे. इसके बाद तो अनेक खिलाड़ी निकले. इनमें
रांची जैसे छोटे शहर से निकला देश-दुनिया का सबसे बड़ा नाम यानी महेंद्र सिंह धौनी, जिसने टेस्ट हो, वनडे या टी-20, टीम इंडिया का झंडा बुलंद किया. देर आये लेकिन दुरुस्त आये, अंतत: छोटे-छोटे शहरों को तरजीह मिली. इसी क्रम में 2016 में इंदौर, राजकोट और विशाखापट्टनम जैसे केंद्र पर टेस्ट मैच खेला गया. यह भारतीय क्रिकेट के लिए शुभ संकेत है. अब रांची में टेस्ट होने जा रहा है.
वैसे देखा जाये, तो झारखंड की धरती ने अनेक महान खिलाड़ी दिये हैं. इनमें से कई ने टेस्ट, वनडे में देश का नाम आगे बढ़ाया है. दरअसल संयुक्त बिहार (तब एसोसिएशन का नाम बिहार क्रिकेट एसोसिएशन था) में अधिकांश खिलाड़ी झारखंड के होते थे, खासतौर पर जमशेदपुर के. कई बड़े खिलाड़ी टाटा स्टील से जुड़े थे और वहां नौकरी करते थे. ये खिलाड़ी बिहार टीम (अब झारखंड कहें) के लिए खेलते थे. झारखंड के लिए खेलनेवालों में रमेश सक्सेना, सुब्रतो बनर्जी, सबा करीम, हरि गिडवाणी, रणधीर सिंह, कल्याण मित्तर, सुधीर दास, आनंद शुक्ला, दलजीत सिंह, विमल बोस, शुते बनर्जी, अविनाश कुमार, वेंकटराम जैसे बड़े खिलाड़ी रहे हैं. इनमें से कई तो टीम इंडिया के भी हिस्सा रहे हैं. धौनी तो हैं ही. कई ने ता टेस्ट में भी हिस्सा लिया है. इनमें शुते बनर्जी (एक टेस्ट), रमेश सक्सेना (एक टेस्ट), सबा करीम (एक टेस्ट), सुब्रतो बनर्जी (एक टेस्ट) शामिल हैं. झारखंड का यह इलाका उपेक्षित था, इसलिए झारखंड के कई खिलाड़ियों को टीम इंडिया में नहीं लिया जा सका.
छोटे शहरों के प्रतिभावान खिलाड़ियों की ओर बहुत ध्यान नहीं दिया जाता था. यही कारण है कि झारखंड के कई खिलाड़ी टीम इंडिया में नहीं जा सके. धौनी के आने के बाद यह स्थिति बदली. कई खिलाड़ी इंडिया टीम की दहलीज पर खड़े हैं. इनमें रांची के इशान किशन, धनबाद के नदीम सबसे आगे हैं. दुनिया के कई महान खिलाड़ी झारखंड (कीनन) आ चुके हैं. इनमें वेस्टइंडीज के अॉलराउंडर सर गारफील्ड सोबर्स, इंग्लैंड के डेनिस कांप्टन, वेस्टइंडीज के वेस्ले हॉल के अलावा गुलाम अहमद, फजल महमूद, हनीफ मोहम्मद, मोहम्मद निसार प्रमुख हैं. विवियन रिचर्ड्स, ग्रीनिज, एल्विन कालीचरण, लॉयड मार्टिन क्रो तो कीनन में खेल चुके हैं. एलेन बार्डर खेलने आये थे, लेकिन मैच रद्द कर दिया गया था.
समय बदल गया है. अब रांची में जेएससीए स्टेडियम बनने के साथ विमान सुविधाएं बढ़ी है, एक से बढ़ कर एक होटल रांची में बन गये हैं. पहले ये सब नहीं थे. खिलाड़ियों को रांची तक विमान से आना पड़ता था और उसके बाद बस से जमशेदपुर जाना पड़ता था. कभी-कभार चार्टर्ड प्लेन का भी सहारा लिया जाता था. हाल के वर्षों में रांची को महत्व भी मिलना बढ़ा है. इसके पीछे दो ताकत दिखती है. एक तो धौनी के कारण पूरी दुनिया में रांची का नाम हुआ है. बोर्ड पर धौनी का प्रभाव दिखता है. दूसरा नाम है अमिताभ चौधरी का. बीसीसीआइ में निर्णय लेनेवाले कमेटी में रहने से रांची के पक्ष में कई बड़े फैसले हुए हैं.
रांची को लगातार मैच भी मिले हैं. टेस्ट मैच के लिए रांची को चुनने के पीछे भी कहीं न कहीं अमिताभ चौधरी का कद रहा है. छोटे-छोटे शहरों में टेस्ट कराने की बोर्ड की नीति तो है ही. अगर पूरे झारखंड को देखें, तो रांची, जमशेदपुर के अलावा धनबाद, ये तीन शहर ऐसे हैं, जहां से क्रिकेट के खिलाड़ी निकल रहे हैं. जेएससीए स्टेडियम के बनने के बाद कीनन पर निर्भरता घटी है. बोकारो और धनबाद में स्टेडियम बनाने की तैयारी चल रही है. इसलिए यह उम्मीद की जा सकती है कि रांची के बाद झारखंड के कुछ अन्य शहरों में आनेवाले दिनों में मैच देखने को मिल सकता है. अभी तक अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच सिर्फ जमशेदपुर और रांची में होते रहे हैं.
झारखंड का पहला टेस्ट (रांची, 16 मार्च 2017 से)
इतना तय है कि झारखंड का पहला टेस्ट रांची में खेला जायेगा, लेकिन पहली गेंद कौन फेंकेगा या पहली गेंद का सामना कौन करेगा, इस बात का फैसला 16 मार्च को ही होगा. रांची में कई और रिकॉर्ड बन सकते हैं. जेएससीए स्टेडियम में इस टेस्ट से पहले चार वनडे इंटरनेशनल मैच खेले जा चुके हैं. लेकिन बहुत बड़ा स्कोर किसी टीम ने नहीं बनाया है. रांची में वनडे में तीन सौ रन का आंकड़ा भी नहीं पहुंचा है. ऐसे यह मान कर चला जा रहा है कि रांची का विकेट भी स्पिनर्स के पक्ष में हो सकता है.