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विदाई में सचिन ने कहा, थैंक यू इंडिया (पढ़ें सचिन ने और क्‍या कहा)

मुंबई : मेरे सभी दोस्तों, (स्टेडियम में तालियों की जबरदस्त गूंज के बीच), ठहरिये, मुझे बोलने दीजिए, मैं बेहद भावनात्मक हो जाऊंगा. 22 यार्ड के बीच 24 वर्ष, यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है कि यह चमत्कारिक यात्रा खत्म हो गयी है. मैं इस अवसर का इस्तेमाल उन लोगों के प्रति आभार जताने में […]

मुंबई : मेरे सभी दोस्तों, (स्टेडियम में तालियों की जबरदस्त गूंज के बीच), ठहरिये, मुझे बोलने दीजिए, मैं बेहद भावनात्मक हो जाऊंगा. 22 यार्ड के बीच 24 वर्ष, यह विश्वास करना मुश्किल हो रहा है कि यह चमत्कारिक यात्रा खत्म हो गयी है. मैं इस अवसर का इस्तेमाल उन लोगों के प्रति आभार जताने में करना चाहता हूं, जिन्होंने मेरे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. (कागज का टुकड़ा दिखाते हुए) जीवन में पहली बार मैं सूची हाथ में लेकर आया हूं, ताकि मैं उन सभी लोगों को याद कर सकूं, किसी का नाम लेना भूल नहीं जाऊं. मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी स्थिति समझ रहे होंगे. हालांकि, यह थोड़ा मुश्किल है, पर मैं कोशिश करूंगा.

मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण स्थान मेरे पिता का है, और 1999 में जब उनका निधन हुआ, उसके बाद से ही वह मुझे बहुत याद आते हैं. मैं समझता हूं कि बिना उनके मार्गदर्शन के मैं आपके सामने आज खड़ा नहीं हो पाता. उन्होंने मुझे 11 वर्ष की उम्र में पूरी स्वतंत्रता दी और कहा कि मैं अपने सपने को पूरा करने में जुट जाऊं, लेकिन इसके साथ ही हिदायत दी कि सपनों को पूरा करने के लिए शॉर्ट-कट रास्ता न अपनाऊं. हो सकता है रास्ता कठिन हो, पर हार मत मानना. मैं बस अपने पिता की बातों पर चलता रहा. उन्होंने खास बात यह कही कि अच्छा इनसान बनो. उनकी इस बात को पूरा करने की अधिकतम कोशिश करता रहा. जब भी मैंने कुछ खास किया, अपना बल्ला दिखाया. यह मेरे पिता के लिए होता था.

मेरी मां, मैं नहीं जानता कि मेरे जैसे नटखट बच्चे को उन्होंने कैसे संभाला. मुझे संभालना आसान नहीं था. मां ने यह सब बहुत धीरज से किया होगा. एक मां के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि उसका बच्च सुरक्षित रहे, स्वस्थ व फिट रहे. बस इन्हीं बातों के लिए वह हमेशा चिंतित रहीं. उन्होंने पिछले 24 वर्षो से ही नहीं, जब तक मैं भारत के लिए खेलता रहा, बल्कि उससे पहले से मेरा ध्यान रखती रहीं. वह मेरे लिए हर हमेशा प्रार्थना करती रहीं, मैं समझता हूं कि उनकी प्रार्थनाओं, आशीर्वाद ने मुझे आगे बढ़ने व बेहतर प्रदर्शन करने की शक्ति दी. इसलिए मां, आपको आपकी कुरबानियों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

स्कूल के दिनों में चार वर्षो के लिए मैं अपने अंकल व आंटी के यहां रहा ,क्योंकि मेरा स्कूल मेरे घर से काफी दूर था. उन्होंने मुझे बेटे-सा प्यार दिया. कड़े अभ्यास के बाद जब मैं आता, और आधी नींद में रहता, तो मेरी आंटी मुझे उठातीं और खाना खिलातीं, ताकि मैं कल फिर से मैदान में जा कर खेल सकूं. उन क्षणों को कभी नहीं भूल सकता. मैं उनके बेटे-जैसा था और मुझे खुशी है कि उनका प्यार आज भी कायम है. मेरे बड़े भाई नितिन और उनके परिवार ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया.

मेरे बड़े भाई बहुत बोलनेवाले नहीं हैं, लेकिन एक बात जो उन्होंने हमेशा कही, वह यह कि तुम कुछ भी करो, मैं जानता हूं कि तुम अपना सौ फीसदी दोगे और यह कि तुम पर मुझे पूरा विश्वास है. उनकी हौसलाआफजाई का मेरे लिए खास महत्व था. मेरी बहन सविता ओर उनका परिवार भी ऐसा ही था. मेरे जीवन में पहला बल्ला मेरी बहन ने खरीद कर दिया था. वह कश्मीरी विलो लकड़ी का बना था. यहीं से मेरी यात्रा शुरू हुई. वह उन कई लोगों में एक हैं, जो मेरी बल्लेबाजी के दिन आज भी उपवास करती हैं. धन्यवाद बहन.

मेरे भाई अजीत के बारे में क्या बताऊं, मैं नहीं जानता. हमने साथ-साथ सपने देखे. वह ऐसे भाई हैं, जिन्होंने मेरे क्रिकेट खेलने के लिए अपने कैरियर की कुरबानी दी. उन्होंने मुझमे चिनगारी (जोश) देखा. यह उस समय की बात है, जब मैं केवल 11 वर्ष का था. वह मुझे आर्चरेकर सर, मेरे कोच के यहां ले गये. और वहां मेरा जीवन बदल गया. आपको विश्वास नहीं होगा कि दुबारा बैटिंग की कोई संभावना नहीं होने के बाद भी पिछली रात उन्होंने मुझे मेरे आउट होने के तरीके पर चर्चा करने के लिए बुलाया.

दरअसल हमने आदत बना ली थी, जन्म के बाद से ही ऐसा संबंध विकसित हो गया था. वह जारी है और जारी रहेगा. हो सकता है, मैं क्रिकेट न खेलूं, तब भी हम तकनीक पर बहस करते रहेंगे. हम कई बातों पर सहमत हुए . मेरी तकनीक व कई अन्य तकनीकी बातों पर मैं उनसे असहमत रहा. हमारे बीच तर्क-वितर्क होता, असहमति के बिंदु उभरते, लेकिन जब मैं इन बातों पर मुड़ कर सोचता हूं, तो लगता है ऐसा न होने पर मैं अपेक्षाकृत छोटा क्रिकेटर होता.

मेरे साथ सबसे खूबसूरत बात 1990 में हुई, जब मैं अपनी पत्नी अंजलि से मिला. वे खास वर्ष थे. वह जारी रहा और जारी रहेगा. मैं जानता हूं कि अंजलि, एक डॉक्टर होने के नाते, उनके सामने बड़ा कैरियर था. जब हमने परिवार बसाना तय किया, तो अंजलि ने पीछे हटना तय किया और कहा, तुम क्रिकेट खेलते रहो और मैं परिवार की जिम्मेवार निभाऊंगी.

इसके बिना मैं समझता हूं कि मैंबिना किसी तनाव के उन्मुक्त हो कर क्रिकेट नहीं खेल पाता. मेरे सारे बकवास सुनने, मेरी निराशाओं को झेलने के लिए धन्यवाद. हर उतार- चढ़ाव में मेरे साथ खड़े होने के लिए धन्यवाद. मेरे जीवन में आपके साथ की पार्टनरशिप सबसे बेहतरीन है.

इसके बाद मेरे जीवन में दो बेशकीमती हीरे मिले- सारा व अजरुन. वे बड़े हो गये हैं. मेरी बेटी 16 साल की है, बेटा 14 का. समय बितता रहा. मैं उनके साथ बहुत समय बिताना चाहता था. खासकर उन खास अवसरों पर जैसे उनके जन्मदिन पर, उनके वार्षिक दिवसों पर, उनके खेल दिवसों पर, छुट्टियां बिताने में. मैं इन सारे अवसरों पर साथ नहीं रहा. आपकी समझदारी के लिए धन्यवाद. आप दोनों मेरे लिए बेहद खास हैं. आप इतने खास हैं कि आप कल्पना नहीं सकते. मैं वादा करता हूं कि आपके साथ 14 या 16 वर्षो तक मैं बहुत अधिक नहीं रहा, पर अगले 16 वर्षो तक या उससे भी ज्यादा सब कुछ आपके लिए होगा.

मेरे सास-ससुर आनंद मेहता व अन्नाबेला दोनों ने हमेशा साथ दिया, प्यार दिया और ख्याल रखा. मैंने उनके साथ विभिन्न विषयों पर बात की, उनका सुझाव लिया. आप जानते हैं, मजबूत परिवार होना व उसका समर्थन व मार्गदर्शन का कितना महत्व होता है. आप ताली बजाना शुरू करें, इससे पहले बता दूं कि उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण काम किया, वह यह कि अंजलि के साथ विवाह करने की इजाजत दी. आपका बहुत धन्यवाद.

पिछले 24 वर्षो में देश के लिए खेलने के दौरान मैंने कई नये दोस्त बनाये. बचपन के दोस्त भी हैं. उन सबका जबरदस्त योगदान रहा. जब भी मैंने उन्हें बुलाया व नेट पर गेंद करने को कहा, तो उन्होंने अपना काम छोड़ कर मेरी मदद की- चाहे वह छुट्टियां बिताने में साथ देने का मामला हो या मेरे साथ क्रिकेट पर चर्चा का हो या जब मैं किसी सवाल को लेकर उलझा रहता और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए समाधान की तलाश में होता.

(मुसकुराते हुए) पिछले 29 वर्षो में सर ने कभी मुझे वेल प्लेड नहीं कहा, क्योंकि वह सोचते हैं कि मैं लापरवाह हो जाऊंगा और कड़ी मेहनत करना छोड़ दूंगा. हो सकता है अब वे मुझे शुभकामना दें और कहें- वेल डन , क्योंकि मेरे जीवन में अब कोई और मैच नहीं होना है. मैं क्रिकेट देखता रहूंगा, क्रिकेट हमेशा मेरे दिल में रहेगा, मेरे जीवन में आपका योगदान अमूल्य है. आपको बहुत धन्यवाद.

मुंबई के लिए मेरा क्रिकेट यहां इसी मैदान पर शुरू हुआ. मुझे याद है. मैंने उस दिन तड़के चार बजे न्यूजीलैंड से विमान से यहां पहुंचा और आठ बजे खेलने के लिए तैयार हो गया, क्योंकि मैं मुंबई क्रिकेट का हिस्सा बनना चाहता था, इसके लिए मुझे किसी ने बाध्य नहीं किया.

यह मुंबई क्रिकेट के प्रति प्यार था. बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरा क्रिकेट देखने और मेरा ख्याल रखने के लिए अपनी टीम के साथ-साथ अध्यक्ष को बहुत-बहुत धन्यवाद.

मेरा सपना भारत के लिए खेलना था और यही कारण रहा कि बीसीसीआइ के साथ मेरा संबंध स्थापित हुआ. मेरे कैरियर की शुरुआत के लिए बीसीसीआइ की भूमिका शानदार रही. उन्होंने मेरी योग्यता में विश्वास किया और 16 वर्ष की उम्र में टीम में मेरा चयन किया. यह एक बड़ा कदम था. इसलिए सभी चयनकर्ताओं को धन्यवाद, जिन्होंने मुझमें भरोसा जताया. बीसीसीआइ को भी धन्यवाद, जिसने मुझे स्वयं को साबित करने के लिए स्वतंत्रता दी.

अगर आप मेरे पीछे खड़े नहीं होते, तो स्थिति अलग होती. वास्तव में मैं आपके समर्थन की सराहना करता हूं. विशेषकर, जब मैं चोटिल हुआ था, आप मेरे साथ थे और यह सुनिश्चित किया कि मेरा सही इलाज हो. और, मैं फिट हुआ और भारत के लिए फिर खेला.

यह यात्रा खास है. पिछले 24 वर्षो में मैंने कई सीनियर क्रिकेटरों के साथ खेला. कई वैसे भी थे, जिन्हें मैंने खेलते हुए टेलीविजन पर देखा था. उन्होंने मुझे क्रिकेट खेलने और सही तरीके से खेलने के लिए प्रेरित किया. उन सभी सीनियर क्रिकेटरों को धन्यवाद. दुर्भाग्य से मैं उनके साथ नहीं नहीं खेल पाया, लेकिन मैं उनकी सभी उपलब्धियों व योगदानों का सम्मान करता हूं.

मैंने राहुल, लक्ष्मण, सौरभ और अनिल को बड़े स्क्रीन पर देखा, जो यहां नहीं हैं और मेरे सामने खड़े टीम के साथी खिलाड़ी. आप घर से दूर मेरे परिवार की तरह हैं. मैंने आपके साथ शानदार पल बिताये हैं. अब ड्रेसिंग रूम का हिस्सा नहीं होना मेरे लिए कष्टकारी होगा. सभी कोच का मार्गदर्शन मेरे लिए खास रहा है. जब एमएस धौनी ने मुझे 200वां टेस्ट मैच का कैप भेंट किया, तो मैंने टीम के लिए एक संक्षिप्त संदेश दिया. उसे मैं दोहराना चाहता हूं. मैं महसूस करता हूं कि हम सभी बहुत सौभाग्यशाली और गौरवान्वित हैं कि हम भारतीय क्रकेट टीम के हिस्सा हैं और देश की सेवा कर रहे हैं.

मैं जानता हूं, आप सच्चे भावना व मूल्यों से देश की सेवा जारी रखेंगे. मैं मानता हूं कि हम भाग्यशाली हैं कि ईश्वर ने हमें इस खेल की सेवा के लिए चुना है. हर पीढ़ी को अपनी क्षमतानुसार इस खेल का ख्याल रखने और सेवा करने का मौका मिलता है. मुझे पूरा भरोसा है कि आप सच्ची भावना और अपनी पूरी क्षमता से देश की सेवा जारी रखेंगे और देश के लिए सभी कप जीतेंगे. ऑल दी वेरी बेस्ट.

यदि मैं उन सभी डॉक्टर, ट्रेनर व फिजियो, जिन्होंने मुझे मैदान में लौटने और फिर से खेलने लायक बनाया, को धन्यवाद नहीं देता हूं, तो मैं कर्तव्यपालन में असफल रहूंगा. अपने कैरियर में मैं कई बार चोटिल हुआ. मैं नहीं जानता कि आपने मुझे कैसे फिट रखा, लेकिन आपके विशेष प्रयासों के बिना यह कभी भी संभव नहीं था. डॉक्टर निर्णायक समय उपलब्ध रहे. मैंने जब भी उन्हें मुंबई से चेन्नई, दिल्ली फोन किया, वे अपना काम व परिवार छोड़ कर अगली फ्लाइट से मेरे पास पहुंच जाते थे और मुझे खेलने के लिए फिट करते थे. उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद.

मेरे प्यारे मित्र, स्वर्गीय मार्क मैसकरेंहस, मेरे पहले मैनेजर. दुर्भाग्यवश, हमने 2001 में उन्हें कार दुर्घटना में खो दिया, लेकिन वह क्रिकेट, मेरे क्रिकेट और खासकर भारतीय क्रिकेट के सच्चे प्रेमी थे. वह भावुक थे. वह यह समझते थे कि देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए क्या करना है और मुझे स्वयं को साबित करने के लिए हमेशा फ्री रखते थे. वह विज्ञापन या प्रोमोशन या प्रायोजकों की जो भी मांगें होती थीं, उन्हें पूरा करने के लिए मुझ पर कभी दबाव नहीं डालते थे. उन्होंने मेरा काफी ख्याल रखा और आज मैं उन्हें मिस करता हूं. मार्क, तुम्हें धन्यवाद. मेरे मैनेजर विनोद नायडु ने 14 वर्षो से मेरे साथ काम कर रहे हैं. वह मेरे परिवार की तरह हैं. उन्होंने मेरे काम के लिए अपने परिवार से दूर रह कर सभी तरह के त्याग किया और समय बिताया, यह मेरे के लिए खास है. तुम्हें बहुत-बहुत धन्यवाद. तुम्हारे परिवार को भी, जिसने मेरे काम के लिए यह समय उपलब्ध कराया.

स्कूल के समय जब मैंने अच्छा प्रदर्शन किया, तो मीडिया ने मुझे बहुत ही समर्थन दिया. आज सुबह तक मीडिया ने यह समर्थन जारी रखा. मेरे प्रदर्शन की सराहना और समर्थन के लिए मीडिया को भी धन्यवाद. इससे मुझ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा.फोटोग्राफरों और उन सभी को भी धन्यवाद, जिन्होंने मेरे कैरियर के यादगार पल को कैमरे में कैद किया, जिससे कि ये पल हमारी जिदंगी में हमेशा बने रहेंगे. मैं जानता हूं, मेरी बात थोड़ी लंबी हो रही है, लेकिन अंतिम बात यह कि मैं आप सभी उपस्थित लोगों, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आये हैं, को धन्यवाद देना चाहता हूं. आपने मुझे बेहिसाब समर्थन दिया, चाहे मैंने शून्य बनाया या सेंचुरी बनायी. आपका समर्थन बेशकीमती है.

मैं जानता हूं, मैं बहुत से लोगों से मिला, जिन्होंने मेरे लिए उपवास किये, प्रार्थना की, मेरे लिए बहुत कुछ किया. इस सबके बिना मेरा जीवन आज जैसा नहीं रहता. मैं अपने ह्रदय की गहराइयों से आप सबको धन्यवाद देना चाहता हूं. यह भी कहना चाहता हूं कि समय बहुत जल्द बीत गया , लेकिन आपकी यादें मेरे साथ हमेशा-हमेशा के लिए रहेंगी. खासकर सचिन-सचिन की आवाज मेरे कानों में मेरी अंतिम सांस तक गूंजती रहेगी. बहुत धन्यवाद. अगर मैं कुछ और बताना भूल गया होगा, तो आशा है आप मेरी स्थिति समझेंगे. विदा.

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