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स्पॉट फिक्सिंगः अदालत के अधिकार क्षेत्र को लेकर भ्रम

नयी दिल्ली: आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में आज अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गयी क्योंकि आरोपियों के खिलाफ लगाये मकोका के आरोपों में अदालत के अधिकार क्षेत्र का मसला उठने के कारण यह तीन भिन्न अदालतों के पास पहुंचा. आरोपियों में अंडरवल्र्ड डान दाउद इब्राहिम, उसके साथी छोटा शकील और क्रिकेटर एस श्रीसंत भी शामिल हैं.डेढ़ […]

नयी दिल्ली: आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में आज अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गयी क्योंकि आरोपियों के खिलाफ लगाये मकोका के आरोपों में अदालत के अधिकार क्षेत्र का मसला उठने के कारण यह तीन भिन्न अदालतों के पास पहुंचा.

आरोपियों में अंडरवल्र्ड डान दाउद इब्राहिम, उसके साथी छोटा शकील और क्रिकेटर एस श्रीसंत भी शामिल हैं.डेढ़ घंटे से भी अधिक समय तक वकीलों को एक अदालत कक्ष से दूसरे अदालत कक्ष में जाते देखा गया और आखिर में अतिरिक्त सत्र न्यायधीश धर्मेश शर्मा ने नौ आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई की तिथि 26 अगस्त तय की. इन आरोपियों में राजस्थान रायल्स के निलंबित खिलाड़ी अजित चंदीला भी शामिल हैं.इन नौ आरोपियों की जमानत याचिका पर जिरह हेतु यह मामला पहले अतिरिक्त सत्र न्यायधीश (एएसजे) दया प्रकाश के सामने सुनवाई के लिये आया लेकिन विशेष लोक अभियोजक राजीव मोहन ने अदालत के अधिकार क्षेत्र का सवाल उठाते हुये कहा कि उसे मकोका के तहत आने वाले मामलों पर सुनवाई का अधिकार नहीं है.

इस मामले को अधिकार क्षेत्र के मसले पर स्पष्टीकरण देने के लिये जिला न्यायधीश आई एस मेहता की अदालत में भेजा गया. अभियोजक और बचाव पक्ष के वकील इसके बाद जिला न्यायधीश की अदालत के समक्ष उपस्थित हुए और संक्षिप्त सुनवाई के बाद यह कहते हुए इसे अतिरिक्त सत्र न्यायधीश धर्र्मेश शर्मा के पास स्थानान्तिरत किया गया कि मकोका के तहत आने वाले मामलों की सुनवाई उनकी अदालत में होती है.

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