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गणेश चतुर्थी कल: इस बार श्रद्धालु देंगे पर्यावरण बचाने का संदेश, इस शुभ मुहूर्त पर करें पूजा

नयी दिल्ली : देश भर में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाने की परंपरा चली आ रही है. भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है जो इस वर्ष 13 सितंबर यानी गुरुवार को पड़ रहा है. यदि इस दिन की पूजा सही समय और […]

नयी दिल्ली : देश भर में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाने की परंपरा चली आ रही है. भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है जो इस वर्ष 13 सितंबर यानी गुरुवार को पड़ रहा है. यदि इस दिन की पूजा सही समय और मुहूर्त पर की जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है. विद्वानों की मानें तो भगवान गणेश का जन्म दोपहर में हुआ था, इसलिए इनकी पूजा भी दोपहर में ही होती है. वैसे भगवान गणेश का पूजन प्रातःकाल, दोपहर और शाम में से किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन चतुर्थी के दिन मध्याह्न 12 बजे का समय गणेश-पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. मध्याह्न पूजा के वक्त की बात करें तो यह समय गणेश-चतुर्थी पूजा मुहूर्त के नाम से ही जाना जाता है, इसीलिए पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजे से रात 12 बजे तक होता है.

यहां चर्चा कर दें कि इस दिन कई जगहों पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है. पर्यावरण की सुरक्षा व नदियों व तालाबों के पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए लोग जागरूक हो गये हैं, इसलिए अब उन्होंने संकल्प ले लिया है कि वे केवल मिट्‌टी से बनी हुई गणेश प्रतिमा ही स्थापित कर उनकी पूजा करेंगे. पर्यावरण की सुरक्षा को देखते हुए इस वर्ष लोगों ने मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्ति बैठाने एवं उसकी पूजा अर्चना करने का निर्णय लिया है. पर्यावरण की देखभाल एवं जल की सुरक्षा के लिए बेहद आवश्यक है कि गणेश जी की मुर्ति मिट्टी से ही बनाया जाये एवं इसका विसर्जन भी घर में ही किया जाये.

प्लास्टर ऑफ पेरिस है नुकसानदायक, घर में ही करेंगे विसर्जन

मूर्तिकार जगदीश पंडित ने बताया कि मिट्टी की मूर्तियां ना केवल हमारी पूजा की परंपरा का हिस्सा रही है बल्कि हम सब के पर्यावरण के लिए बेहतर है. वह बरसों से केवल मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं और गणेश जी को लेकर लगातार आर्डर मिलते हैं. वहीं मूर्तिकार पिंटू कहते हैं कि प्लास्टर ऑफ पेरिस यानी पीओपी पानी में नहीं घुलता है और मिट्टी आसानी से पानी में घुल जाती है. इस कारण हम मिट्‌टी के ही गणेश बना रहे हैं. शहर की प्राची अग्रवाल, रितु अग्रवाल, पूजा अग्रवाल सहित कई गृहणियों ने कहा कि इस वर्ष वे मिट्टी से बने हुए गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर पूजन करेंगे एवं पूजन के बाद उसका विसर्जन भी घर में ही करेंगे एवं विसर्जित जल व मिट्टी को घर के तुलसी चौरें में ही डालकर पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान देंगे.

ऐसे पहचानें मिट्टी के गणेश की मूर्ति

प्लास्टर ऑफ पेरिस से प्रतिमा को सांचे में ढालकर बनाया जाता है, इससे वह चमकदार होती है.

मिट्टी से बनी प्रतिमा कम चमकती है. पीओपी की प्रतिमा अंदर से खोखली होती है.

पीओपी प्रतिमा का पिछला और अंदर का हिस्सा सफेद रहता है.

मिट्टी की प्रतिमा पर चारों ओर रंग मिलेगा. जबकि पीओपी की प्रतिमा में ऐसा नहीं होता.

मिट्टी की मूर्ति पीओपी की मूर्ति से वजनी होती है.

मिट्टी और प्राकृतिकरंगों के हैं बहुत फायदे

मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बनी गणेश प्रतिमा के विसर्जन से जल स्रोतों का पानी प्रदूषित नहीं होता.

इसके अलावा जलीय जीव-जंतुओं को भी नुकसान नहीं पहुंचता है और पर्यावरण संरक्षित रहता है.

अपने घर लाएं मिट्टी से बने गणेश

मिट्टी के गणेश जी ही पूजा के लिए घर लाएं

उनका विसर्जन घर में ही गड्ढा खोद कर करें

विसर्जित जल और मिट्टी को तुलसी के चौरे में डाल दें.

इस मिट्टी का प्रयोग आप पौध रोपण के लिए भी कर सकते हैं.

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