13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हवा को स्वच्छ रखने से फिर चूके

हवा को स्वच्छ रखने से फिर चूके

पंकज चतुर्वेदी

वरिष्ठ पत्रकार

प्रदूषण के प्रति चिंता व अपील व्यक्त करने के बाद भी दिल्ली व उसके आस-पास लोगों ने दीपावली पर इतने पटाखे चलाये कि हवा के जहरीले होने का बीते चार वर्ष का रिकॉर्ड टूट गया. दीपावली की रात दिल्ली में कई जगह वायु की गुणवत्ता अर्थात एक्यूआइ 900 के पार था. लगभग एक गैस चैंबर के मानिंद, जिसमें नवजात बच्चों का जीना मुश्किल है,

सांस या दिल के रोगियों के जीवन पर इतना गहरा संकट कि स्तरीय चिकित्सा तंत्र भी उससे उबरने की गारंटी नहीं दे सकता. बीते एक महीने से एनजीटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में जहरीली हवा से जूझने के तरीकों पर सख्ती से आदेश हो रहे थे. आतिशबाजी न जलाने की अपीलवाले लाखों रुपये के विज्ञापन पर चेहरे चमकाये जा रहे थे, दावे तो यह भी थे कि आतिशबाजी बिकने ही नहीं दी जा रही.

मौसम विभाग पहले ही बता चुका था कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण बन रहे कम दवाब के चलते दीवाली के अगले दिन बरसात होगी. ऐसा हुआ भी. हालांकि दिल्ली-एनसीआर में थोड़ा ही पानी बरसा, उतनी ही देर में दिल्ली के दमकल विभाग को 57 ऐसे फोन आये, जिसमें बताया गया कि आसमान से कुछ तेलीय पदार्थ गिर रहा है, जिससे सड़कों पर फिसलन हो रही है.

असल में यह वायुमंडल में ऊंचाई तक छाये ऐसे धूल-कण का कीचड़ था, जो लोगों की सांस घोंट रहा था. यदि दिल्ली में बरसात ज्यादा हो जाती, तो मुमकिन है कि अम्ल-वर्षा के हालात बन जाते. अधिकांश पटाखे सल्फर डाइऑक्साइड और मैग्नीशियम क्लोरेट के रसायनों से बनते हैं, जिनका धुआं इन दिनों दिल्ली के वायुमंडल में टिका हुआ है.

इनमें पानी का मिश्रण होते ही सल्फ्यूरिक एसिड व क्लोरिक एसिड बनने की संभावना होती है. यदि ऐसा होता, तो हालात बेहद भयावह हो जाते और उसका असर हरियाली, पशु-पक्षी पर भी होता. जिस जगह ऐसी बरसात का पानी जमा होता, वह बंजर हो जाती.

यह बात अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए चिंता का विषय बन गयी है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की हवा बेहद विषाक्त है. एक्यूआइ 500 होने का अर्थ होता है कि अब यह हवा इंसान के सांस लेने लायक नहीं बची, जो समाज किसान की पराली को हवा गंदा करने के लिए कोस रहा था, उसने दो-तीन घंटे में ही कोरोना से उपजी बेरोजगारी व मंदी, प्रकृति संरक्षण के दावों तथा कानून के सम्मान सभी को कुचल कर रख दिया.

दिल्ली से सटे गाजियाबाद के स्थानीय निकाय का कहना है कि केवल एक रात में पटाखों के कारण दो सौ टन अतिरिक्त कचरा निकला. जब हवा में कतई गति नहीं है और आतिशबाजी के रासायनिक धुएं से निर्मित स्मॉग के जहरीले कण भारी होने के कारण ऊपर नहीं उठ पाते व इंसान की पहुंच वाले वायुमंडल में ही रह जाते हैं,

तो सांस लेने पर ये इंसान के फेफड़े में पहुंच जाते हैं. फेफड़ों का दुश्मन कोरोना वायरस हमारे आस-पास मंडरा रहा है, ऐसे में आतिशबाजी ने उत्प्रेरक का काम किया है और हो सकता है कि आनेवाले दिनों में कोविड-19 और भयावह तरीके से उभरे.

अतिशबाजी ने राजधानी दिल्ली की आबो-हवा को इतना जहरीला कर दिया है कि बाकायदा एक सरकारी सलाह जारी की गयी है कि यदि जरूरी न हो तो घर से न निकलें. फेफड‍़ों को जहर से भर कर अस्थमा व कैंसर जैसी बीमारी देनेवाले पीएम यानी पार्टिक्यूलर मैटर की निर्धारित सीमा 60 से 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जबकि दीपावली के बाद यह सीमा कई जगह एक हजार के पार हो गयी है.

पटाखे जलाने से निकले धुंए में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑ‍क्साइड, शीशा, आर्सेनिक, बेंजीन, अमोनिया जैसे कई जहर सांसों के जरिये शरीर में घुलते हैं. आतिशबाजी से उपजे शोर के घातक परिणाम तो हर साल बच्चे, बूढ़े व बीमार लोग भुगतते ही हैं. इससे उपजे करोड़ों टन कचरे का निबटान भी बड़ी समस्या है.

यह जान लें कि दीपावली पर परंपराओं के नाम पर कुछ घंटे जलायी गयी बारूद कई वर्षों तक आपकी ही जेब में छेद करेगी, जिसमें दवाइयों व डॉक्टर पर होनेवाला व्यय प्रमुख है. आतिशबाजी पर नियंत्रण करने के लिए अभी से ही आतिशबाजियों में प्रयुक्त सामग्री व आवाज पर नियंत्रण, दीपावली के दौरान हुए अग्निकांड, बीमार लोग, बेहाल जानवरों की सच्ची कहानियां सतत प्रचार माध्यमों व पाठ्य-पुस्तकों के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाने का कार्य शुरू किया जाये.

यह जानना जरूरी है कि दीपावली असल में प्रकृति पूजा का पर्व है. यह समृद्धि के आगमन और पशु धन के सम्मान का प्रतीक है. इसका राष्ट्रवाद और धार्मिकता से कोई ताल्लुक नहीं है. यह गैर-कानूनी व मानव-द्रोही कदम है. इस बार समाज ने कोरोना, मंदी, पहले से ही हवा में जहर होने के बावजूद दीपावली पर जिस तरह मनमानी दिखायी,

उससे स्पष्ट है कि अब आतिशबाजी पर पूर्ण पाबंदी के लिए अगले साल दीपावली का इंतजार करने के बनिस्पत, सभ्य समाज और जागरूक सरकार को अभी से काम करना होगा. ताकि अपने परिवेश की हवा को स्वच्छ रखने का संकल्प महज रस्म अदायगी न बन जाये.

posted by : sameer oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें