भारत मे आर्थिक असमानता है, पर इसकी गहराई का पता पूर्व मंत्री पी जनार्दन रेड्डी की लड़की की शादी में किये गये खर्चे को जानकर मिलती है़ एक ओर जहां नोटबंदी के बाद देश के उन अनेक गरीब और मध्यम परिवारों को जिनके यहां शादियां तय थी, बैंक और एटीएम के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, यहां तक कि शादी की तारीख टालनी पड़ रही है़ वही दूसरी ओर पूर्व मंत्रीजी की लड़की की शादी में अरबों का खर्च लोगों को अाघात पहुंचाने वाला है़ क्या भारत जैसे महान देश में कोई ऐसा कानून नहीं बन सकता है, जो शादियों में खर्च की अधिकतम सीमा तय कर सके?
मोहम्मद नेहालुद्दीन, वासेपुर, धनबाद