आजादी के पहले और आजादी के बाद जितने भी आंदोलन हुए हैं, उनमें विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की बातें तो की गयीं, पर उनका विकल्प मुहैया नहीं कराया गया. परिणाम यह हुआ कि लोग देश भक्ति के जज्बे में कुछ ही दिनों तक विदेशी वस्तुओं से दूर रह पाये, फिर गुणवत्तापूर्ण स्वदेशी वस्तुएं उपलब्ध न होने से लोग उसी का उपभोग करने लगे.
इस बार स्वामी रामदेव द्वारा शुरू किया गया स्वदेशी आंदोलन सार्थक प्रतीत हो रहा है. उन्होंने विदेशी कंपनियों का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए इससे देश का हो रहे आर्थिक नुकसान का सिलसिलेवार आंकड़ा भी प्रस्तुत किया है. यही नहीं, उन्होंने विदेशी कंपनियों के मुकाबले सस्ती और गुणवत्तायुक्त स्वदेशी उत्पाद भी मुहैया कराये हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए स्वदेशी को अपनाना आवश्यक है, यह समझने की जरूरत है.
दयानंद कुमार, गिरिडीह