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जीएसटी की आस

संसद के मॉनसून सत्र से पहले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक की राह की अड़चनें कम होती दिख रही हैं. खबर है कि राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने कोलकाता में हुई बैठक में विधेयक के संशोधित मसौदे को हरी झंडी दे दी है. बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण […]

संसद के मॉनसून सत्र से पहले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक की राह की अड़चनें कम होती दिख रही हैं. खबर है कि राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने कोलकाता में हुई बैठक में विधेयक के संशोधित मसौदे को हरी झंडी दे दी है. बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का उत्साहित बयान इस बात की तसदीक करता है. जेटली ने कहा कि तमिलनाडु को छोड़ कर अन्य राज्यों ने जीएसटी के विचार का समर्थन किया है.
उन्होंने तमिलनाडु के सुझावों पर भी गौर करने की बात कही है. समिति की अगली बैठक जुलाई में होनी है. हालांकि खबर है कि जीएसटी में करों की अधिकतम दर 18 प्रतिशत ही रखने का ज्यादातर राज्य विरोध कर रहे हैं. उधर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तीन प्रमुख मांगों में भी इस प्रावधान में बदलाव करना शामिल है. ऐसे में अगले वित्त वर्ष से जीएसटी लागू होने की संभावनाओं का सही पता संसद के मॉनसून सत्र में ही चलेगा.
इस बीच, हालिया चुनावों के जरिये संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में जीएसटी समर्थक सांसदों की संख्या बढ़ने से भी सत्ता पक्ष का उत्साह बढ़ा है. अर्थशास्त्री बताते रहे हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून और श्रम कानूनों में संशोधन के अलावा जीएसटी लागू करना अहम कदम हैं. इनमें भूमि अधिग्रहण बिल पर सरकार की किरकिरी हो चुकी है. श्रम कानूनों में फेरबदल के कुछ प्रस्तावों का संघ व भाजपा समर्थक मजदूर संगठन भी विरोध कर रहे हैं.
ऐसे में माना जा रहा था कि अगले वित्त वर्ष से जीएसटी लागू होने से आर्थिक सुधारों के जरिये निवेश बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता परिलक्षित होगी. फिलहाल केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों द्वारा अपने-अपने स्तर पर विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की वसूली से न केवल उपभोक्ताओं पर करों का अधिक बोझ पड़ता है, बल्कि कर उगाही की प्रक्रिया भी जटिल हो जाती है.
माना जा रहा है कि पूरे देश में वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए एक समान कर प्रणाली लागू होने से जहां उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, वहीं करों की उगाही में सरलता और पारदर्शिता भी बढ़ेगी. इसी कड़ी में नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च का आकलन है कि जीएसटी लागू होने से कर राजस्व बढ़ेगा और देश के जीडीपी में 0.9 से 1.7 फीसदी तक की वृद्धि होगी. उम्मीद करनी चाहिए कि सत्ता पक्ष एवं विपक्ष की सभी संजीदा पार्टियां इस मुद्दे पर दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर व्यापक जनहित एवं देश हित में सर्वोत्तम कर प्रणाली तैयार करने की राह में सहभागी बनेंगी.

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