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पशुओं की चिंता
क्षमा शर्मा वरिष्ठ पत्रकार सरकार ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान बनाया है. अब किसी आपदा जैसे बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, आग लगना आदि में बचाव दलों को आदमियों के साथ-साथ जानवरों को भी बचाना होगा. इस प्लान को जारी करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अब आपदा के वक्त लोगों के पशु धन को […]
क्षमा शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार
सरकार ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान बनाया है. अब किसी आपदा जैसे बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, आग लगना आदि में बचाव दलों को आदमियों के साथ-साथ जानवरों को भी बचाना होगा. इस प्लान को जारी करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अब आपदा के वक्त लोगों के पशु धन को भी बचाना होगा .
यह सही बात भी है, क्योंकि बेजुबान पशु जब ऐसी मुसीबत में फंस जाते हैं, तो किसी को अपनी आपबीती सुना भी नहीं सकते. वैसे भी ऐसी विपत्ति के वक्त बचाव दलों का ध्यान मनुष्यों को बचाने पर केंद्रित रहता है.
यों कई बार मनुष्य ऐसी स्थितियों में अपने प्रयत्नों से भी जानवरों को बचाने का प्रयास करते हैं. हमारे जैसे कृषि समाज में पशुधन आम आदमी का सबसे बड़ा धन है. वह उसकी बहुत सी जरूरतों को पूरा करते हैं. लेकिन, जब अपनी ही जान नहीं बच रही हो, खुद मुसीबत में हों, तो जानवरों को कैसे बचाएं.
अकसर हम देखते हैं कि बाढ़ के समय लोग अपने-अपने जानवरों को नाव में लाते दिखाई देते हैं.पिछले दिनों एक आदमी आग लगने पर घर के अंदर अपने कुत्ते को बचाने गया. कुत्ता तो नहीं बच सका, आग में खुद भी जान गंवा बैठा. एक बार कोसी की बाढ़ में एक लड़का अपनी पालतू बकरी को कंधे पर बिठा कर नदी पार कर रहा था. नदी का पानी उसके गले तक आ रहा था. वह खुद को जैसे-तैसे बचाता, बकरी को लेकर आगे बढ़ रहा था.
पशुओं और मनुष्यों का रिश्ता सभ्यता की शुरुआत से ही है. पशुओं और मनुष्यों की दोस्ती की कहानी तो इतनी पुरानी है कि अपनी संस्कृति में पशुओं को भी देवता मान कर पूजते हैं. गाय को माता कहना इसी परंपरा का हिस्सा है. फिर पशुपालन हमारे ग्रामीण समाज में दही, दूध, मक्खन, पनीर और आय का एक साधन भी है. इसीलिए इसे धन की संज्ञा दी गयी है. प्राचीन ग्रंथों में मनुष्य और पशु की दोस्ती की न जाने कितनी कहानियां भरी पड़ी हैं. गणेश, विष्णु, शिव, ब्रह्मा, इंद्र, दुर्गा यहां तक कि यमराज तक के वाहन भी पशु ही हैं.
चेतक और महाराणा प्रताप की दोस्ती को कौन भूल सकता है.बरसों पहले अखबारों में छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी बहुल गांव के एक घर की पालतू मैना के बारे में छपा था. इस मैना का नाम रामश्री था. इसकी मालकिन सवेरे खेतों में काम करने चली जाती थी. लेकिन जब घर में कोई मेहमान आता था, तो यह मैना उड़ कर खेत पर जाकर इसकी सूचना अपनी मालकिन को देती थी.
गरीबी और भूख से बड़ी विपत्ति कोई नहीं है. और अफसोसनाक है कि किसी भी आपदा की सबसे अधिक मार गरीबों पर ही पड़ती है. फिर भी ये लोग अपने जानवरों को बचाने की कोशिश करते हैं. बांग्ला के महान लेखक शरतचंद्र की मशहूर कहानी है- महेश. महेश एक बैल है, जिसका मालिक एक गरीब मुसलिम किसान है. दोनों ही भूख और गरीबी से परेशान हैं.
किसान खुद तो भूखा है, मगर उससे बैल की भूख नहीं देखी जाती. उसे और कुछ नहीं सूझता, तो वह उसे अपने छप्पर की फूस खिलाने लगता है. एक दूसरा किसान उसे सलाह देता है कि वह बैल को मार कर अपनी भूख क्यों नहीं मिटा लेता. किसान भूखा है, फिर भी वह अपने बैल को मारने से इनकार कर देता है. कहानी इतनी करुण है कि अंत तक आते-आते पाठक रो पड़ता है. इसीलिए आनेवाली तमाम आपदाओं से तो सरकार मनुष्य और जानवरों को बचाये ही, गरीबी जैसी मुसीबत से भी लोगों को बचाने का प्रबंध करे, जो साल के बारहों महीने हमारा पीछा नहीं छोड़ती.
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